अयोध्या फैसला: इटावा में मुस्लिमों ने मस्जिद की मीनार पर सफेद झंडा फहराकर दिया शान्ति- एकता का संदेश, बोले- फैसले का तहेदिल से इस्तकबाल करते हैं

अयोध्या रामजन्मभूमि मामले (Ayodhya Ramjanmbhoomi Case) में सुप्रीम कोर्ट के फैसले बाद पूरे देश में सामाजिक सौहार्द की मिसाल देखने को मिल रही है. यूपी के मेरठ, मुजफ्फरनगर, बागपत, बरेली के बाद अब इटावा (Etawah) से हिन्दू-मुस्लिम भाईचारा की मिसाल देखने को मिल रही है. यहां के मुसलमानों ने मस्जिद की मीनार पर बड़े-बड़े सफेद झंडे फहराकर शान्ति का संदेश दिया है. मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने सभी हिन्दुस्तानियों से ये गुजारिश है कि आपसी सौहार्द को बरकरार रखें. कोर्ट के फैसले का हम तहेदिल से इस्तिकबाल करते है. देश की गंगा-जमुनी तहज़ीब को कायम रखें और आपसी सौहार्द को बरकरार रखें.


शहर के सबितगंज क्षेत्र की मस्जिद में इटावा की सबसे बड़ी व ऊँची मीनार है. जहां से सफेद झंडे के जरिए शांति व अमन चैन का पैगाम दिया गया. झंडे बन्ने मियां बाली मस्जिद के मीनार पर लगाए गए. इस मौके पर मुताबल्ली मस्जिद के डॉ बन्ने मियां, सज्जादानशीन आस्ताना आलिया नईम मियां साबितगंज आदि मौजूद थे. वहीं, मुस्मिल पक्ष के पैरोकार इकबाल अंसारी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जो कुछ कहा, ठीक कहा है. हम पहले से ही कहते रहे हैं कि कोर्ट जो भी फैसला करेगी उसे स्वीकार करेंगे. अब सरकार को फैसला करना है कि वह हमें जमीन कहां पर देती है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अयोध्या में 5 एकड़ जमीन दी जाए.


बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संविधान पीठ ने शनिवार को अयोध्या रामजन्मभूमि मामले (Ram Janmbhoomi Ayodhya Case) पर फैसला (Verdict) सुनाया. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने 45 मिनट तक फैसला पढ़ा और कहा कि मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट बनाया जाए और इसकी योजना 3 महीने में तैयार की जाए. कोर्ट ने 2.77 एकड़ की विवादित जमीन रामलला विराजमान को देने का आदेश दिया और कहा कि मुस्लिम पक्ष को मस्जिद निर्माण के लिए 5 एकड़ वैकल्पिक जमीन आवंटित की जाए. कोर्ट ने साथ ही कहा कि इसके लिए केंद्र सरकार तीन महीने में योजना बनाए. सीजेआई गोगोई ने कहा कि हिंदू-मुस्लिम विवादित स्थान को जन्मस्थान मानते हैं, लेकिन आस्था से मालिकाना हक तय नहीं किया जा सकता. पीठ ने कहा कि ढहाया गया ढांचा ही भगवान राम का जन्मस्थान है, हिंदुओं की यह आस्था निर्विवादित है.


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