Lohri 2021: लोहड़ी के बाद छोटी होने लगती है रात, जानिए वजह

स्पेशल न्यूज़: लोहड़ी का पावन पर्व हर साल 13 जनवरी को मनाया जाता है. यह त्यौहार मकर संक्रांति के ठीक एक दिन पहले मनाया जाता है. यह खास तौर पर पंजाब और हरियाणा के किसानों द्वारा मनाया जाने वाला पर्व है, लेकिन इसे कई राज्य के लोग मनाते हैं. जो फसलों से सम्बंधित होता है. कई लोगों का मानना है कि लोहड़ी की रात सर्दियों की आखिरी सबसे लंबी रात होती है जिसके बाद रातें छोटी होने लगती है. इसी के साथ शरद ऋतु यानी सर्दियों का असर भी कम होने लगता है. जानिए इस मान्यता के पीछे का तथ्य.


हम सभी जानते हैं कि, लोहड़ी के अगले दिन मकर संक्रान्ति का त्योहार होता है. मकर संक्रान्ति के दिन सूर्यदेव धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं और दक्षिणी गोलार्द्ध से उत्तरी गोलार्द्ध की ओर बढ़ने लगते हैं. इसे ही ज्योतिषी भाषा में सूर्य का दक्षिणायण से उत्तरायण होना कहा जाता है. आम बोलचाल में कहा जाए तो सूर्य मकर संक्रान्ति के दिन से उत्तर दिशा की ओर बढ़ने लगता है. इससे दिन की लंबाई धीरे धीरे बढ़ने लगती है और रात की घटने लगती है. इसे ही दिन बड़ा होना और रात छोटी होना कहा जाता है.


समर सोलिस्टिस की ये प्रक्रिया-
21 मार्च को सूर्य एकदम बीचोंबीच होता है, तब दिन और रात दोनों ही समान होते हैं. इसे वैज्ञानिक भाषा में इक्विनॉक्स कहा जाता है. इसके बाद जैसे जैसे सूरज उत्तरी गोलार्द्ध की तरफ बढ़ता जाता है, दिन बड़ा और रात छोटी होती जाती है. ये पूरी प्रक्रिया 21 जून को समर सोलिस्टिस पर जाकर खत्म होती है. 21 जून को सबसे लंबा दिन होता है.


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