फतेहपुर: साध्वी निरंजन ज्योति बोलीं- आतंकवादी गतिविधियों में शामिल है नुरुल हुदा स्कूल, भाषण देने आता था उमर गौतम

उत्तर प्रदेश के फतेहपुर (Fatehpur) जनपद के नुरुल हुदा इंग्लिश मीडिया स्कूल में हिंदू बच्चों को उर्दू-अरबी की तालीम दिए जाने की खबर मिलने के बाद जिले की सांसद और केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्यमंत्री साध्वी निरंजन ज्योति (Sadhvi Niranjan Jyoti) शनिवार की शाम स्कूल की पूर्व टीचर कल्पना सिंह के घर पहुंची। कल्पना सिंह वही टीचर हैं, जिन्होंने स्कूल में धर्मांतरण का खुलासा किया था। कल्पना ने साध्वी निरंजन ज्योति को बताया कि सीबीएससी बोर्ड से मान्यता प्राप्त शहर के नुरुल हुदा इंग्लिश मीडियम स्कूल (Nurul Huda English Medium School) में पिछले कई सालों से अवैध धर्मांतरण के आरोपी मौलाना उमर गौतम का आना जाना था। उमर जब भी मौलानाओं के साथ वहां आता तो स्कूल प्रबंधक पर बच्चों को इस्लामिक तालीम देने के लिए जोर देता।


कल्पना सिंह ने बताया कि उनकी मौजूदगी में हिंदू बच्चों को उर्दू-अरबी की तालीम दी जाती थी, जिसका उन्होंने विरोध भी किया था। इस पर स्कूल प्रबंधक ने इस्लाम को ताकतवर बताते हुए कल्पना सिंह से धर्मांतरण करने के लिए कहा था। लेकिन जब कल्पना ने इसका विरोध जारी रखा तो उन्हें स्कूल से निकाल दिया गया।


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नुरुल हुदा इंग्लिश मीडियम स्कूल में हिन्दू बच्चों को इस्लामिक तालीम दिए जाने के आरोप पर साध्वी निरंजन ज्योति ने बताया कि इस स्कूल में धर्मांतरण कराने का काम बहुत दिनों से चल रहा था। भारत का संविधान कहता है कि विद्यालयों में किसी भी मजहबी परम्परा को पढ़ाने का अधिकार नहीं है, जिस तरह इस स्कूल में हिन्दू बच्चों को उर्दू-अरबी और कलमा का पाठ पढ़ाया जा रहा है और टीचरों को टॉर्चर करके निकाल दिया गया और वेतन भी नहीं दिया गया है। इससे साफ जाहिर हो रहा है कि इस स्कूल के माध्यम से एक धर्म विशेष की शिक्षा का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है।


साध्वी निरंजन ज्योति ने कहा कि यह स्कूल के माध्यम से आतंकवादी गतिविधियों में विद्यालय संलिप्त पाया गया है। उन्होंने कहा कि अवैध धर्मांतरण मामले में उमर गौतम जो पकड़ा गया है वह विद्यालय में भाषण देने आता था। भाषण देने का मतलब उसका सम्बंध इस स्कूल से है। केंद्रीय मंत्री ने तत्कालीन डीएम व एसपी पर सवाल उठाते हुए कहा कि मैंने दोनों से बातचीत कर इस बारे में जानकारी दी थी कि इस विद्यालय पर नजर रखें।


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उन्होंने बताया कि मुझे संदेह हो रहा था की जो बच्चे घूमते फिरते हैं उनकी भाषा नहीं समझ में आती थी, क्योंकि कोई केरल का होता है तो कोई तमिलनाडु का, मैंने खुद देखा था। क्योंकि सफ़ेद पठानी कपड़ा पहने हुए घूम रहे हैं उन्हें यहां की भाषा भी नहीं आती थी। वह लोग यहां कैसे आ गए यह बहुत गंभीर विषय है, जिसे सरकार ने संज्ञान लिया है। उन्होंने कहा कि फिर भी मैं भारत सरकार के संज्ञान में लाऊंगी कि इस तरह मजहबी उलेमात फैलाने वाले विद्यालय को बंद होना चाहिए।


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