UP: पशुधन विभाग में ठेका दिलाने के नाम पर धोखाधड़ी, बड़े एक्शन की तैयारी में CM योगी

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पशुधन विभाग में ठेका दिलाने के पर हुई धोखाधड़ी (animal husbandry department scam) के मामले में कुछ और बड़ी कार्रवाइयों की तैयारी कर रहे हैं। भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की अपनी चिर परिचित रणनीति के अनुसार ही सीएम योगी ने इस प्रकरण की जांच करने के लिए एसटीएफ को आदेश दिए। एसएटीएफ ने बीते रविवार को राजधानी लखनऊ से पशुधन विभाग में फर्जी टेंडर के जरिए धोखाधड़ी कर एक व्यक्ति से 9 करोड़ 72 लाख रुपए की ठगी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश करते हुए विभाग के मंत्री के निजी सचिव समेत 4 जालसाजों को गिरफ्तार कर लिया।


मामले में शामिल सबकी धरपकड़ का दिया आदेश


सूत्रों ने बताया कि इस धोखाधड़ी में शामिल तमाम हाई प्रोफाइल गिरफ्तारियां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश पर ही हुईं हैं। सीएम योगी ने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि तेजी से इस मामले की तह तक जाएं और सबकी धरपकड़़ करें। सूत्रों ने बताया कि पशुपालन विभाग के कैबिनेट मंत्री के निजी प्रधान सचिव रजनीश दीक्षित, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी धीरज कुमार देव और कुछ पत्रकार मिलकर सचिवालय के एक कमरे से फर्जीवाड़ा करते रहे।


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इन लोगों ने इंदौर के एक ठेकेदार को पशुधन विभाग में आटे की सप्लाई का ठेका दिलाने के नाम पर नौ करोड़ 72 लाख रुपये हड़प लिये। जांच में मामला सही पाए जाने पर शनिवार की देर रात हजरतगंज कोतवाली में 11 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई। इसके कुछ ही घंटों बाद ही एसटीएफ और हजरतगंज पुलिस ने इसमें शामिल मास्टरमाइड आशीष राय, रजनीश दीक्षित, एके राजीव उर्फ अखिलेश कुमार और धीरज कुमार देव को गिरफ्तार कर लिया।


मंजीत बनकर मिलता था मंत्री का प्रधान निजी सचिव


एसटीएफ के आईजी अमिताभ यश ने बताया कि ये लोग सचिवालय स्थित एक कमरे में मंजीत को बुलाते थे। यहां पर रजनीश दीक्षित व धीरज कुमार की मदद से एक कमरे में एसके मित्तल उपनिदेशक निदेशक, पशुपालन विभाग का बोर्ड लगाकर मंजीत को मिलवाया जाता था। इस कमरे में आशीष राय खुद को निदेशक बताकर मंजीत सिंह मिलता था।


सचिवालय में सारी डीलिंग होने की वजह से मंजीत को शक ही नहीं हुआ कि वह जालसाजों के चंगुल में है। इन लोगों ने मंजीत को फर्जी वर्क आर्डर भी दे दिया था। जब इसकी असलियत सामने आयी तो उसने इन लोगों से विरोध जताया। फिर इन लोगों से रुपये लौटाने को कहा। रुपये न देने पर ही मंजीत सिंह ने शासन में शिकायत की थी। इसके बाद ही एसटीएफ ने इस पूरे मामले की जांच शुरू की थी।


उधर, अपने प्रधान निजी सचिव रजनीश दीक्षित के कारनामों की वजह से चर्चा में आए पशुधन विकास राज्यमंत्री जयप्रकाश निषाद ने पूरे मामले से अंजान होने की बात कही है। हालांकि उन्होंने दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करने की बात कही है। जयप्रकाश निषाद कूल्हे की हड्डी टूटने की वजह से घर पर ही अपना इलाज करा रहे हैं।


214 करोड़ का टेंडर दिलाने के नाम पर करोड़ों की हड़प


गौरतलब है कि पशुपालन विभाग में 214 करोड़ का टेंडर दिलाने के नाम पर करोड़ों रुपये हड़पने के मामले में एसटीएफ ने सात आरोपितों को गिरफ्तार किया है। इसमें पशुधन, मत्स्य एवं दुग्ध विकास राज्यमंत्री जयप्रकाश निषाद का प्रधान निजी सचिव रजनीश दीक्षित, सचिवालय का संविदा कर्मी धीरज कुमार देव, कथित पत्रकार एके राजीव व खुद को पशुपालन विभाग का उपनिदेशक बताने वाला आशीष राय शामिल है। फर्जीवाड़े का यह खेल वर्ष 2018 में शुरू हुआ था।


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इसके पीछे एक आइपीएस अधिकारी, राजधानी में तैनात एक इंस्पेक्टर व अन्य पुलिसकॢमयों की संलिप्तता भी उजागर हुई है। एएसपी एसटीएफ विशाल विक्रम सिंह के मुताबिक पशुपालन विभाग में फर्जी टेंडर के माध्यम से नौ करोड़ 72 लाख रुपये की ठगी की शिकायत मिली थी।


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