उत्तर प्रदेश पुलिस का इतिहास कई जांबाज अफसरों के किस्सों और कहानियों से भरा हुआ है। यूपी पुलिस में ऐसे कई पुलिस अधिकारी रहे, जिन्होंने लोगों का विश्वास जीता और अपनी अलग पहचान बनाई। इनमें से एक हैं 2005 बैच के आईपीएस सुभाष चंद्र दुबे। आमजन आज भी उन्हें उनके निर्भिक व्यवहार और जांबाजी के लिए याद करती है।
बढ़ती लोकप्रियता से घबराने लगे थे कद्दावर नेता
शिकायतों की सुनवाई और उन पर कार्रवाई करके नागरिकों का विश्वास जीतने वाले सुभाष चंद्र दुबे कद्दावर लोगों को खटकने लगे। दरअसल, अपराधी के बारे में सटीक सूचना पर वह अफसर या नेता के घर दबिश देने में नहीं हिचकते थे। एक कबीना मंत्री के बंगले से नामजद आरोपी की गिरफ्तारी से सुर्खियों में आए तो एक बार एंड लाउंज पर सुभाष चंद्र दुबे की टीम का छापा 10 साल बाद भी याद किया जाता है।
आईपीएस सुभाष चंद्र दुबे ने प्रशिक्षण के दौरान ही अपराधियों पर नकेल कसने, एनकाउंटर और गुंडागर्दी पर अंकुश लगाया। उन्होंने राजधानी लखनऊ में अपनी ट्रेनिंग पूरी की। सहायक पुलिस अधीक्षक/क्षेत्राधिकारी के रूप में तैनाती होने के साथ उन्होंने नागरिकों की सीधी सुनवाई के साथ अपराधियों पर नकेल कसनी शुरू की।
जानकारी के मुताबिक, उसी दौरान इनामी जयसिंह ने अंशू दीक्षित व सुधाकर पांडेय के साथ मिलकर नेहरू इंक्लेव में छात्रनेता विनोद त्रिपाठी व उनके साथी गौरव सिंह को गोलियों से भून दिया था। इस खूनी संघर्ष से लखनऊ दहल गया, आईपीएस सुभाष चंद्र दुबे की टीम ने अपने तरीके से बदमाशों की तलाश शुरू की। इस हत्याकांड के 21 दिन बाद जयसिंह मुठभेड़ में मारा गया और अंशू व सुधाकर ने बिहार में खुद को गिरफ्तार करवा लिया।
तेजतर्रार सिपाहियों को लगाते थे ड्यूटी
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, जयसिंह के एनकाउंटर से आला अधिकारियों ने सुभाष के काम की जमकर सराहना की और पूरे जिले में अपराधियों पर नकेल कसने की जिम्मेदारी सौंप दी। इसके बाद चेन स्नेचिंग जैसी वारदातों को अंजाम देने वाले अपराधियों की ताबड़तोड़ गिरफ्तारी शुरू हुई और पुलिसकर्मियों ने बाजार और दूसरी जगहों पर पैदल गश्त शुरू की।
आईपीएस सुभाष चंद्र दुबे की मेहनत रंग लाई, अपराधियों में पुलिस का खौफ बैठ गया। इसके अलावा उन्होंने अलीगंज से अगवा युवक को छह घंटे में कन्नौज से सकुशल लाकर नागरिकों का विश्वास जीता। संगीन वारदात पर न सिर्फ जल्दी पहुंचते बल्कि पड़ताल भी खुद शुरू कर देते थे। गोमतीनगर क्षेत्र में चेन-पर्स लूट, वाहन चोरी और अन्य अपराधों से प्रभावित स्थानों को चिह्नित किया और तेजतर्रार सिपाहियों की ड्यूटी लगाई।
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