कर्नाटक की जयानगर विधानसभा सीट पर जीत के साथ कांग्रेस ने राजधानी में अपनी लीडरशिप पोजिशन बरकरार रखी है. आईटी सिटी बेंगलुरु में कांग्रेस के पास 28 में से 16 सीटें हैं. बता दें कि जयानगर सीट पर तत्कालीन विधायक और बीजेपी उम्मीदवार बीएन विजयकुमार के निधन के कारण चुनाव टाल दिए गए थे.
कांग्रेस के आर रामलिंगा की बेटी सौम्या रेड्डी ने इस सीट पर 10 साल से सत्ताधारी बीजेपी से सत्ता छीन ली है. उन्होंने बीजेपी उम्मीदवार बीएन प्रह्लाद को 3,775 वोटों से हरा दिया है. बीजेपी ने सहानुभूति फैक्टर को ध्यान में रखकर इस सीट से बीएन विजयकुमार के भाई बीएन प्रह्लाद को उतारा था. लेकिन बुधवार के नतीजों ने बीजेपी की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है.
बता दें कि दक्षिणी बेंगलुरु की जयनगर सीट बीजेपी की मजबूत सीट थी. इससे पहले बी रामलिंगा रेड्डी 1989 से 2008 तक चार बार जीत चुके थे.
जयनगर में 70 प्रतिशत मिडल क्लास और अपर क्लास वोटर्स हैं. इसके अलावा यह बेंगलुरु का पॉश रेसिडेंशियल एरिया है, जहां सभी सुख-सुविधाएं हैं. पिछले विधानसभा और लोकसभा चुनावों में ये फैक्टर बीजेपी के लिए फायदेमंद साबित हुए.
Congratulations to @Sowmyareddyr for winning the Jayanagar Assembly Seat. After the victory in RR Nagar, this is yet another indication of people's faith in our party. Thank you to the voters of Jayanagar for supporting the Congress & defeating BJP. pic.twitter.com/wFhkrgP5mJ
— DK Shivakumar (@DKShivakumar) June 13, 2018
2014 लोकसभा चुनाव में भी जयानगर से कांग्रेस उम्मीदवार नंदन नीलेकणी के बजाय बीजेपी के अनंत कुमार जीते थे. कुछ महीने पहले तक कांग्रेस इस हारी हुई सीट को वापस पाने की सारी उम्मीदें खो चुकी थी.
सौम्या रेड्डी, इस बार कांग्रेस की पांचवी महिला विधायक हैं. उन्होंने जयानगर में कांग्रेस को वापस लाने के लिए वोटरों का धन्यवाद दिया.
बीजपी के मुकाबले काफी कमजोर था कांग्रेस का कैंपेन-
हालांकि, कांग्रेस का कैंपेन बीजेपी के मुकाबले काफी कमजोर था. यहां कांग्रेस के किसी बड़े नेता ने कैंपेन नहीं किया. रामलिंगा रेड्डी ने खुद ही अपनी बेटी के लिए प्रचार किया था.
बेंगलुरु से पांच बार कांग्रेस विधायक रह चुके दिनेश गुंदुराओ ने कहा, ‘बीजेपी का दावा था कि शहरी सीटों पर उन्हें रोकना नामुमकिन है. लेकिन वे बेंगुलुर में बुरी तरह हारे. इसका मतलब क्या है? यहां मोदी लहर नहीं है. हम 2019 लोकसभा चुनाव में अपना परफॉर्मेंस सुधारेंगे.”
वहीं दूसरी तरफ बीजेपी का कहना है कि वे नतीजों की समीक्षा करेंगे और लोकसभा चुनावों के लिए अपनी रणनीति को बदलेंगे.
येदियुरप्पा ने इसपर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है. उनके करीबियों का कहना है कि वे दुखी हैं. पार्टी के कुछ नेता इस हार के लिए अनंत कुमार को दोषी ठहरा रहे हैं. उनका कहना है कि स्थानीय सांसद होते हुए हार जाना उनकी राजनीतिक छवि के लिए बड़ा नुकसान है.