प्रणब मुखर्जी की Fake फोटो पर RSS ने कहा, ‘यह संघ को बदनाम करने की घटिया चाल’

 

नागपुर में अपने कार्यक्रम में प्रणब मुखर्जी की तस्वीर के साथ छेड़छाड़ करके सोशल मीडिया पर जारी करने की निंदा करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने कहा कि यह जानबूझकर संघ को बदनाम करने की विभाजनकारी राजनीतिक ताकतों की चाल है जिन्होंने डॉ. मुखर्जी को इस समारोह में भाग लेने से रोकने और विरोध करने का काम किया था. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सर कार्यवाह डॉ. मनमोहन वैद्य ने एक बयान में कहा कि कुछ विभाजनकारी राजनीतिक तत्वों ने नागपुर में कल आयोजित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक समारोह से जुड़ी एक झूठी तस्वीर पोस्ट की जिसमें पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को प्रार्थना की मुद्रा में दिखाया गया है.

 

वैद्य ने कहा कि इन्हीं ताकतों ने डॉ. मुखर्जी को इस समारोह में भाग लेने से रोकने और विरोध करने का काम भी किया था और अब ये हताश ताकतें संघ को बदनाम करने के लिये इस प्रकार की घटिया चालें चल रही हैं. संघ के सह सर कार्यवाह ने कहा, ‘‘ हम जानबूझकर संघ को बदनाम करने के लिये इन विभाजनकारी राजनीतिक ताकतों द्वारा चलाई जा रही ऐसी कुत्सित चालों की निंदा और निषेध करते हैं.’’

 

शर्मिष्ठा ने किया था विरोध-

बता दें कि प्रणब मुखर्जी के आरएसएस कार्यक्रम में शामिल होने से पहले शर्मिष्ठा मुखर्जी ने इसका विरोध किया था. शर्मिष्ठा ने ट्वीट करते हुए लिखा था कि उम्मीद है आज की घटना के बाद प्रणब मुखर्जी इस बात को मानेंगे कि बीजेपी किस हद तक गंदा खेल सकती है.

 

उन्होंने लिखा कि यहां तक ​​कि आरएसएस भी इस बात पर विश्वास नहीं करेगा कि आप अपने भाषण में उनके विचारों का समर्थन करेंगे. उन्होंने कहा कि भाषण तो भुला दिया जाएगा, लेकिन तस्वीरें बनी रहेंगी और उनको नकली बयानों के साथ प्रसारित किया जाएगा.

 

स्वयंसेवकों को पढ़ाया राष्ट्रवाद का पाठ-

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आरएसएस के तृतीय वर्ष संघ शिक्षा वर्ग कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में कहा कि भारत में राष्ट्रीयता एक भाषा और एक धर्म की नहीं है. प्रणब ने कहा कि भारत की ताकत उसकी सहिष्णुता में निहित है और देश में विविधता की पूजा की जाती है. लिहाजा देश में यदि किसी धर्म विशेष, प्रांत विशेष, नफरत और असहिष्णुता के सहारे राष्ट्रवाद को परिभाषित करने की कोशिश की जाएगी तो इससे हमारी राष्ट्रीय छवि धूमिल हो जाएगी.

प्रणब मुखर्जी ने कहा कि वह इस मंच से राष्ट्र, राष्ट्रवाद और देशभक्ति पर अपना मत रखने के लिए बुलाए गए हैं. इन तीनों शब्दों को अलग-अलग देखना संभव नहीं है. इन शब्दों के समझने के लिए पहले हमें शब्दकोष की परिभाषा देखने की जरूरत है.