सरकार की सलाह- प्लास्टिक से बने ‘तिरंगे’ का इस्तेमाल न करें

राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को भेजे परामर्श में गृह मंत्रालय ने कहा कि राष्ट्रीय ध्वज भारत की जनता की आशाओं और आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करता है और इसलिए इसे सम्मान का दर्जा मिलना चाहिए.

 

सरकार ने स्वतंत्रता दिवस से पहले सभी नागरिकों को प्लास्टिक के बने राष्ट्रीय ध्वज का इस्तेमाल नहीं करने की सलाह दी है और राज्यों तथा केंद्रशासित प्रदेशों से ध्वज संहिता का सख्ती से पालन सुनिश्चत करने को कहा है.

 

राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को भेजे परामर्श में गृह मंत्रालय ने कहा कि राष्ट्रीय ध्वज भारत की जनता की आशाओं और आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करता है और इसलिए इसे सम्मान का दर्जा मिलना चाहिए. मंत्रालय ने कहा कि उसके संज्ञान में ये बात आई है कि महत्वपूर्ण समारोहों में कागज के बने झंडों के स्थान पर प्लास्टिक के बने तिरंगों का इस्तेमाल किया जाता है.

 

 

प्लास्टिक के झंडे कागज के झंडों की तरह प्राकृतिक तरीके से नष्ट नहीं होते हैं इसलिए राष्ट्रीय ध्वज के सम्मान के अनुरूप प्लास्टिक के बने तिरंगे का उचित निस्तारण सुनिश्चित करना एक व्यवहारिक समस्या है.

 

आपको बता दें कि राष्ट्रीय सम्मानों के अपमान की रोकथाम अधिनियम 1971 की धारा 2 के अनुसार कोई भी सार्वजनिक स्थान पर या किसी अन्य स्थान पर राष्ट्रीय ध्वज या उसके हिस्से को जलाता है नष्ट करता है गंदा करता है बिगाड़ता है या उस पर पैर रखता है या उस पर लिखे शब्दों के प्रति सम्मान प्रकट करता है तो उसे जेल की सजा दी जा सकती है. इसके तहत 3 साल की जेल हो सकती है या जुर्माना लगाया जा सकता है.

 

मंत्रालय की तरफ से कहा गया है कि राष्ट्रीय सांस्कृतिक खेल आयोजन पर भारत की ध्वजा संहिता 2002 के प्रावधानों के अनुसार जनता द्वारा कागज के बने झंडो का प्रयोग किया जाना चाहिए.

 

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