उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन (UP Power Corporation, UPPCL) में पीएफ घोटाले (PF Scam) मामले में गिरफ्तार किए गए पूर्व एमडी अयोध्या प्रसाद मिश्रा यानी कि एपी मिश्रा (AP Mishra) तत्कालीन समाजवादी सरकार से करीबी ऐसे समझिए कि सरकार ने तमाम योग्य आईएएस को दरकिनार कर एक इंजीनियर को पावर कॉर्पोरेशन का एमडी बना दिया. इसके लिए अखिलेश सरकार ने तमाम नियम बदल दिए. उनके लिए कई ऐसे फैसला किए गए जो पावर कॉरपोरेशन के इतिहास में पहली बार हुए थे. नियमों में बदलाव के साथ ही आचार संहिता लागू होने से पहले मंत्रिमंडल की बैठक बुलाकर उन्हें रातों रात एक साल के लिए सेवा विस्तार दिया गया था.
IAS को दरकिनार कर एक साथ दिए तीन पदों के चार्ज
प्रदेश सरकार के मुताबिक जब एपी मिश्रा की आयु 62 वर्ष पूरी हो गई तब उन्हें फिर से एमडी बनाने लिए अखिलेश यादव की सरकार ने तैनाती के सारे नियम बदल दिए थे. एपी मिश्रा लगातार पांच साल तक एमडी बने रहे. उन्हें छठवें साल भी एमडी बनाए रखने के लिए चुनाव आचार संहिता लगने से ठीक पहले सरकार ने कानून में बदलाव किया था. एपी मिश्रा पूर्व मुख्यमंत्री के इतने करीब थे कि उनके लिए पावर कॉरपोरेशन में आईएएस अधिकारी को ही एमडी पद पर तैनात किए जाने की परंपरा को तोड़ा गया था. पहली बार नॉन आईएएस अधिकारी को एमडी बनाया गया था. एपी मिश्रा को एमडी के साथ ही मध्यांचल और पूर्वांचल विद्युत वितरण का प्रभार भी दिया गया था.
योगी सरकार बनने के 2 दिन पहले ट्रांसफर किए 21 करोड़
एपी मिश्रा लगातार जहां 05 वर्ष तक एमडी बने रहे, वहीं 6वें साल भी उनकों एमडी बनाये रखने के लिए अखिलेश सरकार ने कानून में ये बदलाव चुनाव आचार संहिता लगने के ठीक पहले किया. इस दौरान एपी मिश्रा की अगुवाई में निजी और एक डिफॉल्टर फाइनेंस कम्पनी डीएचएफएल में नई सरकार बनने से ठीक 02 दिन पहले दिनांक 17 मार्च, 2017 को 21 करोड़ रुपये ट्रांसफर किये गये. यह पैसा इतनी जल्दबाजी में ट्रांसफर किया गया कि इसके लिए आवश्यक प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया.
सेवा समाप्ति के बाद भी DHFL को मनी ट्रान्सफर कराई
नई सरकार के गठन से ठीक दो दिन पूर्व एपी मिश्रा ने 17 मार्च 2017 को डीएचएफएल (DHFL) को 21 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए थे. यह धनराशि इतनी जल्दबादी में ट्रांसफर किया गया कि इसके लिए जरूरी प्रक्रिया का पालन तक नहीं किया गया. यही नहीं जब उन्हें पहली बार तैनाती दी गई तो विज्ञापन निकाला गया लेकिन एपी मिश्रा विज्ञापन भर नहीं सके. लिहाजा, उनके लिए दोबारा विज्ञापन निकाला गया. योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में नई सरकार के गठन के बाद 12 फरवरी 2017 को एपी मिश्रा के एक साल के सेवा विस्तार को समाप्त कर दिया गया था. इसके बावजूद 24 मार्च 2017 तक एपी मिश्रा पद का दुरुपयोग करते रहे और डीएचएफएल को धनराशि ट्रांसफर कराया था.
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