यूपी: इस जिले में मिली 73 वर्ष पुरानी फारसी में प्रकाशित धार्मिक ग्रंथ श्रीरामचरितमानस

तुलसी साहित्य के प्रेमियों के लिए ये अच्छी खबर है. उत्तर प्रदेश के भदोही जिले में 73 वर्ष पूर्व फारसी में प्रकाशित रामचरितमानस के गद्य स्वरूप की दुर्लभ प्रति मिली है. अभी तक तुलसीदास रचित रामचरितमानस के फारसी भाषा में प्रकाशन का उदाहरण मानस मर्मज्ञों के सामने नहीं आया. मानस के सातों कांड की कथा को संक्षेप रूप में समाहित करते हुए गागर में सागर भरा गया है. फिलहाल श्रीरामचरितमानस बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) स्थित सरसुंदरलाल चिकित्सालय के प्रमुख डॉ. वीएन मिश्र के संग्रहालय में सुरक्षित रखी हुई है. बता दें कि सनातनधर्मी परंपरा के धार्मिक ग्रंथ श्रीरामचरितमानस की लोकप्रियता के विशाल आयाम से जुड़े एक और महत्वपूर्ण पहलू का पता चला है. श्रीरामचरितमानस की फारसी में प्रकाशित पुस्तक का पता चलने के बाद साहित्यप्रेमियों का उत्साह बढ़ गया है.


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कराची शहर में हुआ श्रीरामचरितमानस का फारसी गद्यानुवाद

श्रीरामचरितमानस का फारसी गद्यानुवाद पाकिस्तान के कराची शहर में पं. मेवाचंद प्रेमचंद ने किया था. 1946 में इसे सनातन धर्मसभा कराची से महाराज आत्माराम रेवाचंद ने इंडिया प्रिटिंग प्रेस मीर वेदर से प्रकाशित कराया. रामचरितमानस की पांडुलिपियों और हजारों हस्तलिखित प्रतियों का अन्वेषण कर चुके भदोही जिले की मिर्जापुर सीमा से लगे कड़ेरुआ गांव निवासी पं. उदयशंकर दुबे को गत दिनों यह पुस्तक मिली तो वह अचरज से भर गए. करीब 500 पेज की 73 वर्ष पुरानी पुस्तक की बाइंडिंग कमजोर होकर खुल चुकी है और कुछ पेज बदरंग हो चले हैं. पं. उदयशंकर कहते हैं कि रामचरितमानस के फारसी गद्यानुवाद के रूप में प्रकाशित यह पहली पुस्तक है. इससे पूर्व मुगल शासकों ने वाल्मीकि रामायण का अनुवाद कराया था.


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पुस्तक में राम दरबार की मनोहारी पेंटिंग का परिचय

श्रीरामचरितमानस पुस्तक में विभिन्न प्रसंगों के रंगीन चित्र छपे हैं. इसमें राम दरबार की मनोहारी पेंटिंग का चित्र परिचय अंग्रेजी में ‘अयोध्यापति राम’ लिखा गया है, जो अमूमन देखने को नहीं मिलता है. इसके साथ ही वनगमन के दौरान राम, लक्ष्मण, सीता और लंकादहन के दौरान हनुमान जी के चित्र बिलकुल अलग किस्म के हैं. रामचरितमानस से जुड़ी नई कड़ी का खुलासा होने के बाद फारसी के जानकारों ने पुस्तक का अध्ययन शुरू कर दिया है.


रामचरितमानस की एक तस्वीर

गोस्वामी तुलसीदास संग्रहालय में रखी है पुस्तक

फारसी में प्रकाशित इस दुर्लभ पुस्तक को कुछ दिनों तक अपने पास रखने के बाद पं. उदयशंकर दुबे ने हफ्तेभर पूर्व अखाड़ा गोस्वामी तुलसीदास संकट मोचन के महंत डॉ. विश्वंभरनाथ मिश्र के छोटे भाई डॉ. विजयनाथ मिश्र को भेंट कर दी. जिसे पाकर गदगद डॉ. मिश्र ने कहा कि यह पुस्तक हमारे गोस्वामी तुलसीदास संग्रहालय के लिए विशेष उपयोगी सिद्ध होगी. इस मौके पर युवा साहित्यकार एवं लोकगीत के संपादक डॉ. आदित्य कुमार मिश्र भी उपस्थित थे.


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