मुकेश कुमार संवाददाता, गोरखपुर : साप्ताहिक विविध साहित्यिक – सांस्कृतिक कार्यक्रम के क्रम में आज दिनांक 27 जनवरी को दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविघालय हिंदी विभाग में ‘साहित्यकार से मिलिए’ कार्यक्रम का आयोजन हुआ। इस कार्यक्रम का मुख्य अतिथि प्रसिद्ध कवि – आलोचक जितेंन्द्र श्रीवास्तव रहे। अतिथियों का स्वागत करते हुए विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो0 दीपक प्रकाश त्यागी ने कहा कि यह मेरे लिए सौभाग्य का विषय है कि मेरे मित्र इग्नू के सांस्कृतिक विभाग और मानविकी के निदेशक हैं और वैश्विक स्तर पर इग्नू की पहचान देने का महत्वपूर्ण दायित्व का निर्वहन कर रहे हैं। साथ ही आप की हिंदी साहित्य की सेवा में अपनी सृजनात्मक प्रतिभा से समृद्ध कर रहे हैं।इतने कम समय में उनके काव्य संग्रह तथा आलोचना पुस्तके पुरस्कृत और सम्मानित हुई हैं जो आश्चर्य जनक है । उन्होंने जितेंद्र श्रीवास्तव की कविताओं और आलोचनात्मक साहित्य का उल्लेख किया और कहा कि जहां इनकी कविताओं का वैविध्य, संवेदनात्मक आवेग तथा अपने समय के मानव जीवन की विडंबनाओ की सधी हुई अभिव्यक्ति हुई है वहीं उनके चिंतन में राष्ट्रवाद, शब्दों के समय, विचारधारा पर गम्भीर विचार हुआ है। प्रोफेसर त्यागी ने बताया कि जितेंद्र श्रीवास्तव ने प्रेमचंद्र की कहानियों के विषय के अनुसार कई खंडों में संपादन किया है।
प्रो0 दीपक प्रकाश त्यागी ने जितेंद्र श्रीवास्तव को मिले सम्मान का भी उल्लेख करते हुए बताया कि उन्हे कृति सम्मान, भारत भूषण सम्मान, देवी शंकर अवस्थी आलोचना सम्मान इत्यादि मिल चुका है। उन्होंने कहा कि मुख्य रूप से श्री जितेंद्र श्रीवास्तव से कवि है, जो अपने जीवन में विस्थापन को देखा है, उन्होनें गोरखपुर संबधित गतिविधियों को रचनाओं में जगह देकर एक नए तरह की रचना संसार तैयार किया है। इनकी कविताओं का अनुवाद विभिन्न भाषाओं में हुआ है।
श्री जितेंद्र श्रीवास्तव ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि पद से बोलते हुए कहा कि अपने सहपाठी जो हिन्दी विभाग में आज प्रोफेसर हैं जिनमें प्रो0 दीपक प्रकाश त्यागी, प्रो0 विमलेश मिश्र के साथ अपने बिताए पल याद किया। उन्होनें कहा कि गोरखपुर वह स्थान है जो मेरी जन्मस्थली और निर्माण स्थली रही है। मैं दिल्ली में रहता हूँ लेकिन मै दिल्ली वाला नही हूँ। मैं दिल्ली छोड़ना भी नहीं चाहता, लेकिन गोरखपुर में आना हमेशा ही भावुक होना होता हैं। उन्होने अपनी कविताओं पाठ किया। जिसमें मुख्य रूप से ‘‘शहर का छूटना’’ और बेटियां कविता को खूब सराहा गया। उन्होंने प्रेम से संबधित कविता पढ़ा जिसका शीर्षक ‘‘ढूढ़ लूंगा’’ चश्मा, प्रेम का विरोध पढ़ा जिसमें निष्काम प्रेम की चर्चा हुई। पुनः उन्होने अपनी ग़ज़लों के चंद शेरों को पढ़ा। हिन्दी विभा के छात्रों की विशेष मांग पर प्रेम आधारित कई कविताओं पाठ हुआ जिसकी खूब दाद मिली। जितेंद्र श्रीवास्तव ने एक सोहर पर आधारित कविता सोनचिरई का पाठ किया जो कि मुख्य तौर पर महिला पीड़ा पर आधारित है।
श्री जितेंद्र श्रीवास्तव ने इसके बाद हिन्दी विभाग के छात्रों के साथ संवाद किया जिसमें छात्र और छात्राओं ने अपने सवाल जवाब कवि से किया जिसके बाद उसके प्रत्युत्तर भी मिलें। छात्रों के सवाल उनके कविता को लेकर भी था तो वही कहीं ने कहा उनके राजनीति जीवन पर भी सवाल किया। कार्यक्रम के अध्यक्ष पद से बोलते हुए प्रो0 कमलेश गुप्ता ने जितेंद्र श्रीवास्तव को विभाग में आने और समय देने के लिए आभार जताया। जितेन्द्र की कविताओं पर टिप्पणी करते हुए उन्होने कहा कि कविता में सड़ांध को कम करना कवि की जिम्मेदारी है जिसको जितेंद्र श्रीवास्तव बखूबी कर रहे हैं।
विभाग के साहित्यिक सांस्कृतिक समिति के सहयोजक प्रो0 राजेश मल्ल ने सभी का आभार ज्ञापन किया। इस कार्यक्रम से पूर्व परास्नातक स्तर की निबंध प्रतियोगिता आयोजित हुई, जिसमे एम0ए0 हिन्दी एवं पत्रकारिता के 22 विधार्थी ने सहभागिता कीं।
कार्यक्रम के दौरान उपस्थित प्रो0 अनिल कुमार राय, प्रो0 विमलेश कुमार मिश्र, प्रो0 प्रत्युष दूबे, डॉ0 नरेन्द्र कुमार, डॉ0 संदीप कुमार यादव, डॉ0 अखिल मिश्र, डॉ0 सुनील कुमार, डॉ0 प्रियंका नायक, डॉ0 अर्पणा पांडेय, डॉ0 रजनीश कुमार चतुर्वेदी, डॉ0 अन्वेषण सिंह, डॉ0 नरगिस बानों, श्री अभय शुक्ल तथा विभाग के विधार्थी व शोधार्थी उपस्थित रहे।