देश के बड़े मंदिरों में से एक मथुरा के गिरिराज जी मंदिर ने एक अनूठी पहल शुरू की है जिसकी हर तरफ सराहना हो रही है. मथुरा के गिरिराज जी मंदिर ने यह फैसला किया है कि मंदिर में हर दिन चढ़ने वाला हजारों लीटर दूध अब से नालियों में न बहकर अनाथों और शहीद परिवारों के घर जाएगा. बात दें कि गिरिराज मंदिर में हर दिन करीब 10 से 12 हजार लीटर दूध चढ़ाया जाता है साथ ही महीने में एक दिन आने वाली पूर्णमासी और दूसरे तीज-त्योहरों पर ये मात्रा दोगुनी हो जाती है. मंदिर का कहना है कि अब से दूध और दूध की कीमत के रुपये अनाथ आश्रम और शहीद जवानों के परिवार की सहायता के लिए दिए जाएंगे.
मथुरा में धर्म-कर्म से जुड़े अमित गोस्वामी ने बताया, “ गिरिराज जी की मान्यता से जुड़े यहां चार मंदिरों पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं. आस्था के चलते इन मंदिरों पर दूध चढ़ाया जाता है. ये चार मंदिर हैं जतिपुरा, दानघाटी, मानसी गंगा और मुखबिंद हैं.” जतिपुरा मंदिर के सेवायत ओमप्रकाश बताते हैं, “हमारे यहां मंदिर में सबसे ज्यादा गुजराती लोग आते हैं. अगर समान्य दिनों की बात करें तो रोजाना करीब 5 हजार लीटर दूध मंदिर पर चढ़ जाता है. जो देश के दूसरे हिस्सों में बैठे हैं उनका भी किसी का 11 लीटर तो किसी का 31 और 51 से 101 लीटर तक दूध रोजाना चढ़ाया जाता है.”
लेकिन अभी तक ये दूध मंदिर में चढ़ने के बाद नालियों में बह जाता था या मंदिर में ही बने कुंड में जमा होकर खराब हो जाता था. लेकिन खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन के अधिकारी वीके राठी ने मंदिर प्रशासन और मथुरा के जागुरुक लोगों के सहयोग से एक अनूठी पहल शुरु कराई है. वीके राठी ने बताया, अभी तक होता ये था कि मंदिर में चढ़ने वाला दूध नालियों में बह जाता था. “अगर कहीं किसी कुंड में ये दूध जमा किया जाता था तो ये खराब होने के बाद संक्रमण फैलाता था. और खासतौर से बरसात के दिनों में तो इससे संक्रमण फैलने का खतरा ज्यादा हो जाता था. अभी ये पहल गिरिराज जी के मंदिर से शुरु की गई है. धीरे-धीरे इससे दूसरे मंदिरों को भी जोड़ा जाएगा.”
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दूध दान करने के लिए बनाई जाएगी डेस्क
पहल के तहत मंदिर में एक डेस्क बनाई गई है. उदाहरण के तौर पर आप मंदिर में 11 लीटर दूध चढ़ाने आए हैं तो अपनी स्वेच्छा से आप दूध का संकल्प लेकर प्रतीकात्मक रूप से एक या सवा लीटर दूध मंदिर में चढ़ाकर बाकी का दूध डेस्क पर दे सकते हैं या उतने दूध के पैसे डेस्क पर दे सकते हैं. साथ ही ये भी बता सकते हैं कि आप दूध या दूध की कीमत किसे देना चाहते हैं. जैसे अनाथ आश्रम में, कुष्ठ आश्रम, वृद्ध आश्रम में या फिर शहीद जवानों की मदद के लिए. मानसी गंगा मुकुट मुखारविंद मंदिर पर हो चुकी है. और लोगों को जागरुक करने के लिए सेवायत राजकुमार शर्मा, संतोष उपाध्याय, गणेश पहलवान श्रद्धालुओं को दूध का संकल्प दिला रहे हैं.
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