लखनऊ: उत्तर प्रदेश के इतिहास की सबसे बड़ी पुलिस भर्ती परीक्षा (Uttar Pradesh Police Recruitment Exam) आखिरकार शनिवार को सकुशल संपन्न हो गई। इस परीक्षा को संपन्न कराने के लिए योगी सरकार ने ऐसी पुख्ता तैयारी की, जो पूरे देश के लिए एक नजीर बन गई। परीक्षा को संपन्न कराने के लिए सरकार ने मैनपावर से लेकर एडवांस टेक्नोलॉजी तक का उपयोग किया। परीक्षा केंद्र के अंदर और बाहर सुरक्षा के ऐसे कड़े इंतजाम रहे कि नकलची और सॉल्वर गैंग ने पूरी परीक्षा से ही दूरी बना ली। योगी सरकार ने पेपर लीक को लेकर परीक्षा से पहले जो कानून सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम-24 बनाया, उसका भी असर देखने को मिला। इसके अलावा यूपी पुलिस ने वॉट्सएप से लेकर सोशल मीडिया तक अपनी पैनी नजर बनाए रखी। खुफिया एजेंसियों को 24 घंटें अलर्ट मोड में रखा गया, ताकि कहीं कोई कमी न रह जाए। दो चरणों में 5 दिन तक चली इस परीक्षा में 32 लाख से अधिक अभ्यर्थी शामिल हुए। इस दौरान योगी सरकार के अभूतपूर्व इंतजामों के बीच पारदर्शिता और शुचिता का भी पूरा ध्यान रखा गया। इसके लिए परीक्षा को सरकारी स्कूलों पर ही संपन्न कराया गया। परीक्षा के आयोजन में सभी आवश्यक व्यवस्थाओं का पालन किया गया, जिससे परीक्षार्थियों को किसी भी प्रकार की असुविधा का सामना नहीं करना पड़ा। इसके लिए 2300 मजिस्ट्रेट और 1,97,859 पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया। वहीं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लैस सीसीटीवी का प्रयाेग किया गया।
आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का किया गया इस्तेमाल
सीएम योगी के निर्देश पर उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड द्वारा परीक्षा को सकुशल संपन्न कराने के लिए 1174 केंद्रों के 16,440 कमरों में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए, जो आर्टिफिशियल इंजेलिजेंस से आच्छादित थे। इससे हर परीक्षा कक्ष की गतिविधियां, जैसे कक्ष निरीक्षक का भ्रमण न करना आदि की सूचना रियल टाइम पर बोर्ड के कंट्रोल रूम में पहुंचती रही। वहीं कहीं कोई संदेह होने पर स्टेटिक मजिस्ट्रेट को तत्काल जानकारी दी गयी। इससे फर्जी जानकारी देने वाले अभ्यर्थी हतोत्साहित हो गये और उन्होंने परीक्षा से दूरी बना ली। इतना ही नहीं सीएम योगी की मंशा के अनुरुप शुचितापूर्ण परीक्षा कराने के लिए अभ्यर्थियों का डाटा एनालिसिस किया गया। ऐसे में हर शिफ्ट में पेपर शुरू होने के आधे घंटे के अंदर डाटा मैच किया गया। वहीं डाटा मिस मैच मिलने पर ऐसे अभ्यर्थियों की सूची नोडल अधिकारी काे दी गयी। इस पर एग्जाम देेने के बाद संदिग्धों को दबोच लिया गया। उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड की अलर्टनेस और चाक-चौबंद व्यवस्था का ही नतीजा रहा कि परीक्षा के दौरान एक परिंदा भी पर नहीं मार पाया।
परीक्षा केंद्रों पर तैनात किये गये 74 ऑब्जर्वर पुलिस अधिकारी
पुलिस भर्ती परीक्षा को सकुशल संपन्न कराने के लिए 1,97,859 पुलिसकर्मियों और दो कंपनियों को तैनात किया गया। इसमें पीएसी की 25 और सीएपीएफ की 8 कंपनियों को तैनात किया गया। वहीं 137 अपर पुलिस अधीक्षक, 522 पुलिस उपाधीक्षक, 47,587 मुख्य आरक्षी, 86,844 आरक्षी और 26,582 महिला आरक्षी को तैनात किया गया। इसके अलावा 3876 निरीक्षक भी तैनात किये गये, जिसमें 3740 पुरुष और 136 महिला निरीक्षक शामिल हैं। इसके साथ ही 32,311 उपनिरीक्षक को तैनात किया गया। इसमें 30,220 पुरुष और 2091 महिला उपनिरीक्षक शामिल हैं। इतना ही नहीं परीक्षा केंद्रों पर 74 ऑब्जर्वर पुलिस अधिकारियों को तैनात किया गया।
इलेक्ट्रानिक गैजेट्स को निष्क्रिय करने के लिये लगाए गए जैमर
परीक्षा को पारदर्शी बनाने एवं सही अभ्यर्थियों को प्रवेश देने के लिए तकनीक का प्रयोग किया गया। इसके लिए परीक्षा केन्द्र पर अभ्यर्थियों की चैकिंग, फ्रिस्किंग एवं पर्यवेक्षण की उचित व्यवस्था की गई थी। केंद्र पर अभ्यर्थियों फिजिकल फ्रिस्किंग, एचएचएमडी द्वारा फ्रिस्किंग, बायोमैट्रिक फिंगर प्रिन्ट एवं फेशियल रिकॉग्निशन के बाद ही प्रवेश दिया गया। वहीं फेशियल रिकॉग्निशन न होने पर एफआरआईएस कैप्चर करने की भी व्यवस्था की गई। फेशियल रिकॉग्निशन में संशय होने पर अभ्यर्थी का आधार वेरिफिकेशन कराया गया। इसके अलावा सभी केन्द्रों पर इलेक्ट्रानिक डिवाइसेज जैसे मोबाइल, ब्लूटूथ को निष्क्रिय करने के लिये जैमर लगाए गए। परीक्षा कक्ष एवं केन्द्र में सीसीटीवी लगाकर निगरानी की गयी, जिसका लाइव फीड केन्द्र के कन्ट्रोल रूम, जनपद के कन्ट्रोल रूम एवं भर्ती बोर्ड मुख्यालय के कन्ट्रोल रूम में पहुंचता रहा।
केंद्र के आस-पास की फोटो कॉपी मशीन की दुकानों और साइबर कैफे को बंद कराया गया
पुलिस भर्ती परीक्षा के लिए 67 जिलोंं के जिन थाना क्षेत्रों में परीक्षा केन्द्र बनाये गये, वहां यूपी-112 पीआरवी के वाहनों के चार्ट में परीक्षा केन्द्र के आस-पास के महत्वपूर्ण एवं संवेदनशील स्थानों को चिन्हित किया गया। इन स्थानों पर लगातार पीआरवी की मूवमेंट रही ताकि असामाजिक तत्वों को चिन्हित करते हुए अभिसूचना विभाग, एसटीएफ तथा जनपदीय पुलिस द्वारा परस्पर उच्च स्तरीय समन्वय स्थापित कर अतिरिक्त सतर्कता बरती गयी। इतना ही नहीं परीक्षा केन्द्रों के आस-पास ध्वनि विस्तारक यन्त्रों का प्रयोग तथा परीक्षा परिसर में मोबाइल, आईटी गैजेट्स एवं अन्य आपत्तिजनक सामग्री ले जाने के संबंध में दिये गये गाइड लाइन का पूर्णतः पालन सुनिश्चित कराया गया। वहीं परीक्षा केन्द्रों के प्रवेश स्थलों पर अभ्यर्थियों की तलाशी में सहयोग के लिए पर्याप्त संख्या में पुलिस कर्मी (महिला / पुरुष कर्मी) तैनात किये गये। इसके अलावा परीक्षा केन्द्रों के आस-पास स्थित फोटो काॅपी मशीन की दुकानों, साइबर कैफे, मोटरसाइकिल स्टैंड आदि के आस-पास विशेष निगरानी रखी गयी। साथ ही केंद्र के आस-पास की फोटो कॉपी मशीन दुकान और साइबर कैफे को बंद कराया गया।
जनपदीय पर्यवेक्षक के रूप में जिलाधिकारी को किया गया तैनात
उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड (यूपीपीआरपीबी) के अध्यक्ष राजीव कृष्णा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा के अनुरूप परीक्षा के लिए विभिन्न प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों-कर्मचारियों की तैनाती की गई। वहीं जनपद स्तर पर जिलाधिकारी जनपदीय पर्यवेक्षक (मजिस्ट्रेट) के रूप में तैनात रहे। उनके द्वारा परीक्षा केन्द्र ड्यूटी, सेक्टर मजिस्ट्रेट, स्टैटिक मजिस्ट्रेट की तैनाती समेत अन्य प्रशासनिक व्यवस्थाएं की गयीं। इसके तहत जिलाधिकारी द्वारा हर सेंटर पर स्टैटिक मजिस्ट्रेट के साथ सहायक केंद्र पर्यवेक्षक की तैनाती की गई। इसके अलावा अपर जिलाधिकारी को सहायक नोडल अधिकारी (प्रशासन) के रूप में नियुक्त किया गया जबकि 3 परीक्षा केंद्रों पर एक सेक्टर मजिस्ट्रेट की तैनाती की गयी। इतना ही नहीं नकल विहीन परीक्षा संपन्न कराने के लिए उड़ान दस्तों को मुस्तैद किया गया। वहीं केंद्र पर्यवेक्षक के रूप में पुलिस उपाधीक्षक से लेकर सब इंस्पेक्टर की तैनाती की गयी। प्रदेश के जिन सेंटर पर नौ सौ से अधिक अभ्यर्थी थे, वहां पुलिस उपाधीक्षक को तैनात किया गया। वहीं नौ सौ से कम अभ्यर्थी वाले सेंटर पर इंस्पेक्टर और सात सौ तक अभ्यर्थी वाले सेंटर पर सब इंस्पेक्टर को नियुक्त किया गया। परीक्षा की शुचिता सुनिश्चित करने के लिए परीक्षा केन्द्र पर नियुक्त कर्मियों में से 50 प्रतिशत जिलाधिकारी और शेष 50 प्रतिशत केन्द्र व्यवस्थापक (प्रधानाचार्य) द्वारा नियुक्त किये गये। इनमें परीक्षा सहायक प्रथम एवं द्वितीय जिलाधिकारी और केन्द्र व्यवस्थापक द्वारा नियुक्त किये गये जबकि 12 अभ्यर्थियों पर एक अंतरीक्षक को तैनात किया गया। इसके साथ सहयाेगी अंतरीक्षक भी तैनात किये गये।
67 ड्रोन कैमरों से हॉटस्पॉट्स की चेकिंग की गई
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पुलिस भर्ती परीक्षा को लेकर एक उच्च स्तरीय बैठक की थी, जिसमें उन्होंने परीक्षा की तैयारियों को लेकर बारीकी से चर्चा की। इस दौरान उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिये थे कि परीक्षा को लेकर कोई गड़बड़ी न हो इसके लिए हर एक छोटे-बड़े पहलुओं पर विशेष ध्यान दिया जाए। इसके तहत अपर पुलिस महानिदेशक एसटीएफ, यातायात, रेलवे, डायल-112 के साथ सभी जोन के एडीजी, पुलिस कमिश्नर, आईजी, डीआईजी, एसएसपी और एसपी अपने-अपने जिले में 23 घंटे अलर्ट रहे। इस बार परीक्षा को सकुशल संपन्न कराने के लिए परीक्षा केन्द्रों के रास्ते के सीसीटीवी कैमरों पर विशेष नजर रखी गयी। इसके साथ ही अति संवेदनशील स्थानों पर अतिरिक्त नये सीसीटीवी लगाए गए। वहीं चिन्हित हॉटस्पॉट्स पर 67 ड्रोन कैमरों से चेकिंग की व्यवस्था की गई।
भीड़भाड़ वाले स्थानों पर रखी गयी विशेष नजर
परीक्षा केंद्रों पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम के लिए एसपी, एएसपी और सीओ को पर्यवेक्षक बनाया गया। इसके अलावा परीक्षा केंद्रों के अंदर एक सुरक्षा अधिकारी को तैनात किया गया। प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों की ओर से परीक्षा केंद्रों का बारीकी से भ्रमण किया गया। इस दौरान छोटी सी छोटी चीजों पर बारीकी से ध्यान दिया गया। वहीं परीक्षा केंद्रों पर भीड़ और अभ्यर्थियों की संख्या को देखते हुए पुलिस फोर्स को तैनात किया। इसके अलावा शिक्षा विभाग, परीक्षा केन्द्रों के प्रबंधकों तथा संबंधित विभागों के साथ समन्वय स्थापित करते हुए प्लान के तहत कार्रवाई की गयी। परीक्षा के दो दिन पहले से लेकर परीक्षा खत्म होने के बाद तक अभ्यर्थियों व अभिभावकों के उनके गृह जनपद में पहुंचने तक की स्थिति का आंकलन किया गया ताकि उसके अनुसार पुलिस बल का प्रबंध किया जा सके। परीक्षा केन्द्रों, रेलवे, मेट्रो स्टेशन, बस, टैक्सी स्टैंड, होटल, रेस्टोरेन्ट पर भीड़ को कंट्रोल करने के लिए भी पूरी व्यवस्था की गयी है। इसके लिए वहां के संचालकों, प्रबंधकों व अन्य महत्वपूर्ण व्यक्तियों के साथ मिलकर एक प्लान बनाया गया। इन सभी के सहयोग से पल-पल की निगरानी की गयी। इसके अलावा परीक्षा केंद्रों पर राजपत्रित अधिकारियों एवं मजिस्ट्रेट की ड्यूटी अनिवार्य रूप से लगायी गयी। वहीं गोपनीय सामग्री की सुरक्षित अभिरक्षा के लिए विशेष स्थान (Dedicated) ट्रेजरी / चिन्हित स्ट्रांग रूम पर पर्याप्त संख्या में सीसीटीवी कैमरे लगाये गए, जिसका 24×7 लाइव मॉनीटरिंग किये जाने का प्राविधान किया गया। इसके अलावा गोपनीय सामग्री के सुरक्षित परिवहन के लिए प्रत्येक केन्द्र के लिए एक डेडिकेटेड वाहन एवं सेक्टर मजिस्ट्रेट पर्याप्त सशस्त्र पुलिस कर्मियों सहित का प्राविधान किया गया।
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