लखनऊ (Lucknow) स्थित आयकर विभाग (Income tax Department) के दो वरिष्ठ अधिकारियों के बीच उपजा विवाद अब पुलिस थाने और अदालत की चौखट तक पहुंच गया है। संयुक्त आयुक्त योगेन्द्र मिश्रा (IRS Yogendra Mishra) पर उनके ही विभागीय सहयोगी और उपायुक्त गौरव गर्ग (IRS Gaurav garg) ने मारपीट का आरोप लगाया है। यह मामला अब न केवल पुलिस जांच का विषय है, बल्कि इसमें राजनीतिक और प्रशासनिक हस्तक्षेप के आरोप भी सामने आ रहे हैं।
विवाद से शुरू होकर मारपीट तक पहुंचा मामला
मामले की शुरुआत एक विभागीय बहस से हुई थी जो देखते-देखते तीखी कहासुनी और फिर कथित हाथापाई में बदल गई। उपायुक्त गौरव गर्ग ने हजरतगंज थाने में इस संबंध में FIR दर्ज कराई है। पुलिस ने IPC की गंभीर धारा 307 (जानलेवा हमला) के तहत मामला दर्ज किया है।
🔥 "#IPSRaveenaEffect: Raveena ji ने पहले प्रभाव से 307 में FIR लिखवायी ।
अब IO पर दबाव !एक IRS अधिकारी हाई कोर्ट अधिवक्ता पुत्र — फिर भी लिखित गवाही IO दबाववश लेने को तैयार नहीं।
मेडिकल रिपोर्ट छिपाई जा रही है। और आरोप? PR एजेंसी से वायरल कराए गए! @dgpup @lkopolice
— yogendra mishra (@irsyogendra) June 17, 2025
योगेन्द्र मिश्रा ने DGP और मुख्यमंत्री को लिखा पत्र
FIR के बाद संयुक्त आयुक्त योगेन्द्र मिश्रा ने खुद को निर्दोष बताते हुए उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (DGP) और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक पत्र लिखा। इस पत्र में उन्होंने दावा किया कि उन्हें जानबूझकर फंसाया जा रहा है। मिश्रा ने आरोप लगाया कि शिकायतकर्ता गौरव गर्ग की पत्नी, लखनऊ में तैनात IPS अधिकारी रवीना त्यागी (IPS Raveena Tyagi), इस मामले में हितों के टकराव (Conflict of Interest) के बावजूद हस्तक्षेप कर रही हैं। वही अब उन्होंने एक्स पर पोस्ट करते लिखा है कि IPS officer रवीना त्यागी ने IO पर दबाव भी बनाया है।
307 में FIR, लेकिन मेडिकल रिपोर्ट में चोट नहीं – योगेन्द्र मिश्रा का दावा
योगेन्द्र मिश्रा ने सोशल मीडिया मंच X पर एक विस्तृत पोस्ट में बताया कि उन पर 307 जैसी गंभीर धारा में केस दर्ज हुआ है, जबकि मेडिकल रिपोर्ट में किसी भी प्रकार की गंभीर चोट की पुष्टि नहीं हुई है। उन्होंने दावा किया कि:
- न खून बहा
- न टांके लगे
- न कपड़े फटे
- न कांच के निशान मिले
इसके बावजूद जानलेवा हमले की धारा क्यों लगाई गई?
साक्ष्य देने गए, लेकिन IO ने लेने से इनकार किया:योगेन्द्र
मिश्रा ने आरोप लगाया कि जब उनके पिता जो स्वयं हाई कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता हैं , 31 पन्नों का बयान और 150+ पेज का दस्तावेज लेकर थाने पहुंचे, तो जांच अधिकारी (IO) ने उसे स्वीकार करने से इनकार कर दिया। IO का कहना था कि स्पीड पोस्ट कर दीजिए।
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वीडियो और सबूत नज़रअंदाज़?
योगेन्द्र मिश्रा का कहना है कि उनके पास CCTV फुटेज, यूट्यूब और iCloud पर सुरक्षित वीडियो, और 6वीं मंज़िल से जुड़ी रिकॉर्डिंग उपलब्ध हैं, लेकिन पुलिस ने उनकी बात सुनी ही नहीं। उन्होंने मांग की कि:
- 3rd फ्लोर के वरिष्ठ अधिकारियों से पूछताछ की जाए
- सिक्योरिटी गार्ड्स से बयान लिया जाए
- CCTV फुटेज की जांच हो
- मेडिकल रिपोर्ट की प्रति उन्हें दी जाए
- मीडिया में लीक की गई जानकारी की जांच हो
39 लाख के कथित घोटाले का भी आरोप
मिश्रा ने पूरे विवाद को एक बड़ी गड़बड़ी से जोड़ा है। उन्होंने दावा किया कि आयकर विभाग की एक “Revenue Sports Meet” के नाम पर 39 लाख की अनियमित उगाही हुई, जिसमें जय नाथ जी की बेनामी कंपनियों के जरिए पैसा डाला गया और फिर नगद निकासी की गई। उन्होंने आरोप लगाया कि इस भ्रष्टाचार का विरोध करने पर उन्हें झूठे केस में फंसाया गया।
निष्पक्ष जांच की मांग
अपनी बात खत्म करते हुए योगेन्द्र मिश्रा ने कहा, जब एक IRS अधिकारी, जो खुद हाई कोर्ट अधिवक्ता का पुत्र है, उसकी भी बात नहीं सुनी जाती, तो आम नागरिक की क्या बिसात? उन्होंने DGP और पुलिस कमिश्नर से निष्पक्ष जांच की मांग की और पुलिस सुधारों की वास्तविकता पर सवाल उठाया। इस दौरान यह भी कहा कि सत्य को आप झुका सकते है पर मिटा नहीं सकते।