OPINION: बयानवीर नेताओं व कर्मों से संकट में घिरती कांग्रेस

अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही कांग्रेस पार्टी (Congress party) के नेता अपनी हरकतों और बयानबाजी से अपनी पार्टी का संकट हर आने वाले दिन और गहरा कर देते हैं। इसका ताज़ा उदहारण श्री अधीर रंजन जी हैं, जो लोकसभा में दल के नेता भी हैं। राष्ट्रपति पद के चुनाव में आदरणीय द्रौपदी मुर्मू जी की ऐतिहासिक विजय हुई है इसमें तमाम बातों के अलावा ये भी महत्वपूर्ण रहा कि देश के इतिहास में पहली बार सत्तारूढ़ दल के उम्मीदवार के पक्ष में विरोधी दलो के 17 सांसदों और 100 से अधिक विधायकों ने क्रास वोटिंग की । इससे कांग्रेस के अंदर भारी घबराहट और बैचेनी का वातावरण व्याप्त है। चुनावों के बाद कांग्रेस शासित राजस्थान, छत्तीसगढ़ और झारखंड आदि राज्यों में शांतिकाल में भी अंदर ही अंदर राजनैतिक हलचलें भी उफान ले रही हैं और यह कब विकराल रूप धारण कर इन सरकारों को धराशायी कर देंगी कहा नहीं जा सकता।

एक तो द्रौपदी जी की ऐतिहासिक विजय और दूसरा अपने नेताओं द्वारा की गयी क्रॉस वोटिंग और तीसरा सोनिया जी को ईडी का बुलावा कुल मिलकर कांग्रेस के लिए गहरे सदमे वाली स्थिति है। शायद इसीलिए लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीररंजन चौधरी बहुत अधिक अधीर हो गये और उन्होंने एक टीवी डिबेट के दौरान राष्ट्रपति जी को राष्ट्रपत्नी कहकर संबोधित किया। वो सफाई कुछ भी दें लेकिन इस बयान पर सांसद अधीर रंजन चौधरी की न तो जुबान फिसली है और नहीं हिंदी न आने के कारण गलती हुई है। उन्होंने एक सुनियोजित साजिश के तहत राष्ट्रपति जी का अपमान किया और परिणाम स्वरूप सदन में भारी हंगामे के साथ साथ सामाजिक, राजनैतिक व नैतिक दबाव बनने के कारण राष्ट्रपति को पत्र लिखकर माफी मांगनी पड़ी। अधीर की इस हरकत के कारण आज कांग्रेस व सम्पूर्ण विपक्ष बुरी तरह से बैकफुट पर है और वह इस आघात से बाहर निकलने के लिए छटपटा रहा है लेकिन इन सबके बचाव में वह जो कुछ कह रहा है। उससे वह बुरी तरह फंसता ही जा रहा है।

कांग्रेस के लिए इस बयान के राजनैतिक नुकसान की भरपाई कर पाना जितना कठिन है उतना ही ज़रूरी क्योंकि आदिवासी समाज बहुल राज्यों गुजरात, छत्तीसगढ़ और राजस्थान तथा मध्य प्रदेश में चुनाव होने जा रहे हैं। भाजपा ने जिस प्रकार से कांग्रेस व उसके नेताओं को गरीब, आदिवासी विरोधी करार देते हुए जोरदार अभियान चलाया और राजस्थान से लेकर भोपाल की सड़कों तक जिस प्रकार से आंदोलन किया है उससे भी कांग्रेस दबाव में आ गयी है और उसे रक्षात्मक होना पड़ा है। अधीर रंजन ने पत्र लिखकर माफी तो मांग ली है लेकिन भाजपा ने अभी तक इसे पूर्णतः स्वीकार नहीं किया है और वह कह रही है, ”यह जुबान नहीं फिसली यह इरादतन टिप्पणी की गयी है” और जब तक कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी माफी नहीं मांगती तब तक सदन नहीं चलने दिया जाएगा। राष्ट्रपत्नी विवाद पर भाजपा पूरी तरह से आक्रामक तेवरों में दिखलायी पड़ रही है और अब कांग्रेस को वह कतई माफ नहीं करने वाली। भाजपा के रणनीतिकारों को पता है कि इस प्रकरण का आदिवासी इलाकों में राजनैतिक लाभ मिल सकता है और कांग्रेस को भारी दबाव में लाया जा सकता है।

पहले भी ऐसे कई अवसर आए हैं जब अधीर रंजन ने कांग्रेस को मुसीबत में डाला है। यह वहीं अधीर हैं जिन्होंने भाजपा नेताओं को इडियट कहा दिया था। इसके अलावा वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण को अधीर ने निर्बला सीतारमण कहकर संबोधित किया था। 21 मई को अधीर ने राजीव गांधी की पुण्य तिथि पर एक ट्वीट किया था जिसके बाद बवाल मच गया था ओर बाद में उन्हें अपना वह ट्वीट डिलीट करना पड़ गया था। मार्च 2022 में वह ममता बनर्जी को पागल कह चुके हैं। एनआरसी के मुददे पर वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व गृहमंत्री अमित शाह को घुसपैठिया कह चुके हैं। अधीर रंजन चौधरी कश्मीर मुददे पर भी अपनी फजीहत करवा चुके हैं। अगस्त 2019 में ही उन्होंने पूछा था कि 1948 से ही कश्मीर मामले की मानीटरिंग संयुक्त राष्ट्र करता आ रहा है तो यह हमारा आंतरिक मामला कैसे हो गया ? अधीर रंजन चौधरी हर बार गलत बयानबाजी करते हैं और बहुत ही सोच समझकर करते हैं।

लोकसभा में नेता विपक्ष अधीर रांजन की टिपपणी से राजनैतिक वातावरण गरमाया हुआ है। उनके एक शब्द ने भाजपा को अवसर दे दिया और कांग्रेस समेत पूरे विपक्ष को कठघरे में खड़ा कर सोचने पर मजबूर कर दिया है। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के नेतृत्व में सम्पूर्ण भाजपा व एनडीए हमलावर है और विपक्ष को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि विपक्षी होने के बाद भी जितना विरोध वो नहीं कर पा रहे उससे कहीं अधिक विरोध तो सत्ता पक्ष ही करता जा रहा है। राष्ट्रपत्नी विवाद के बीच जब मीडिया ने सोनिया गांधी से सवाल किया तो उन्हाने कहा कि वह पहले ही माफी मांग चुके हैं लेकिन विवाद बढ़ता ही जा रहा था। फिर लोकसभा में उन्होंने मंत्री ईरानी से कह दिया ”डोंट टॉक टु मी“। बस लोकसभा में दोनों ओर से हंगामा शुरू हो गया। बहस बढ़ती देख वह सदन से चली गयीं और इसके बाद भाजपा की महिला सांसदों ने और आक्रामक अंदाज में हंगामा शुरू कर दिया। ये भी एक कारण है कि अब भाजपा सोनिया गांधी से माफी की मांग पर अड़ गयी है।

यह बात बिलकुल सत्य है कि आज संसद के अंदर व सड़क तक कांग्रेस का जो हाल हो रहा है उसके लिए श्रीमती सोनिया गांधी व उनका अहंकार ही जिम्मेदार है। सोनिया के अहंकार ने कांग्रेस को डुबा दिया है लेकिन वह अभी भी स्वयं को महारानी ही समझती हैं। परिवारवाद के कारण ही यह दुर्दिन देखने पड़ रहे हैं। कांग्रेस व गांधी परिवार अभी तक यह समझ नहीं पा रहा है कि अब उसके हाथ से सत्ता जा चुकी है और वह फिलहाल इतनी जल्द उसके हाथ वापस नहीं आने वाली। गांधी परिवार के घोटालों की जांच बहुत तेजी से चल रही है। जिसका असर उनकी मनोवृत्ति पर पड़ना स्वाभाविक है। आज वह जितनी भी हरकतें कर रहा है उससे कांग्रेस का संकट और अधिक गहराता ही जा रहा है।

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