CAG रिपोर्ट : माया-मुलायम सरकार की वजह से नहीं मिला कर्मचारियों को NPS का लाभ

उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव और मायावती की सरकार में सरकारी कर्मचारियों को नई पेंशन स्कीम का लाभ नहीं मिल पाया। इस दौरान यूपी के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव और मायावती थीं। कैग ने एक रिपोर्ट जारी कर उत्तर प्रदेश में नई पेंशन स्कीम में कई खामियां पकड़ी हैं। कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि साल 2005 से 2008 के बीच का कोई आंकड़ा नहीं मिला है। वहीं, ऑडिट एजेंसी ने बताया कि स्टेट अकाउंट के पास इसका डेटा ही उपलब्ध नहीं। ऐसे में 2005 से 2008 के बीच का आंकडा ऑडिट में शामिल नहीं किया जा सका।

 

राज्य कर्मचारियों को नहीं मिला नई पेंशन स्कीम का लाभ

कैग रिपोर्ट कहती है कि कर्मचारियों और राज्य सरकार की ओर से किए जाने वाले योगदान को सुनिश्चित न करने से नेशनल सिक्योरिटीज डिपोजिटरी लिमिटेड (NSDL) में भी निवेश नहीं हो पाया। साथ ही कर्मचारियों को निवेश से मिलने वाले लाभ भी नहीं मिल पाया। रिपोर्ट के मुताबिक, 1 अप्रैल 2005 या उसके बाद नियुक्त राज्य कर्मचारियों को एनपीएस का भी लाभ नहीं मिला पाया है।

 

मुलायम-माया सरकार के नहीं मिले आंकड़े

दरअसल, उत्तर प्रदेश में 1 अप्रैल, 2005 या फिर उसके बाद नियुक्त सरकारी मुलाजिमों की ओर से पेंशन फंड में योगदान को लेकर गंभीर अनियमितता सामने आई हैं। नए प्रावधानों के तहत इस टाइम पीरियड के बाद प्रदेश में नियुक्त कर्मचारियों के लिए बेसिक पे का 10 प्रतिशत हिस्सा नेशनल सिक्योरिटीज डिपोजिटरी लिमिटेड (NSDL)/ ट्रस्टी बैंक के जरिए संबंधित फंड मैनेजर को ट्रांसफर करना अनिवार्य किया गया है। प्रदेश सरकार को इतनी ही राशि जमा करानी होती है।

 

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जाहिर सी बात है कि साल 2005-2008 के बीच उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह और मायावती की सरकार थी। इस दौरान कुछ मामलों में कर्मचारियों का पैसा भी कट गया, जिसे जमा तक नहीं कराया गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2005-2008 के दौरान कर्मचारियों के वेतन से नेशनल सिक्योरिटीज डिपोजिटरी लिमिटेड (NSDL) में राशि जमा की गई है या नहीं, इसकी जानकारी मौजूद नहीं है। यही नहीं प्रदेश सरकार की ओर से किए जाने वाले योगदान का है।

 

वाहवाही लूटने के लिए किया राजस्व में इस्तेमाल

कैग की रिपोर्ट ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2008-2009 से 2016-2017 के बीच कर्मचारियों ने 2830 करोड़ रुपए का योगदान किया। जबकि सरकार की तरफ से इस दौरान 2247 करोड़ रुपए का ही योगदान किया गया।

 

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ऐसे में सरकार ने 583 करोड़ रुपए कम जमा किए। रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकरार ने 583 करोड़ रुपए का इस्तेमाल राजस्व को बढ़ाकर पेश करने में किया। यही नहीं, राजकोषीय घाटे को भी कम करके दिखाया गया। साल 2008-2009 से 2016-2017 के बीच राज्य सरकार और कर्मचारियों को कुल 5660 करोड़ रुपए एनएसडीएल में जमा कराने थे, लेकिन सिर्फ 5001.71 करोड़ रुपए ही जमा कराए गए।

 

रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2015-2016 में कर्मचारियों की ओर से कुल 636.51 करोड़ रुपए का योगदान किया गया था, लेकिन 2017-2017 में यह आंकड़ा कम होकर 199.24 करोड़ जा पहुंचा। कैग ने अनुसार, एनपीएस के मद में योगदान के अनियमित ट्रांसफर के कारण ऐसा हुआ है। कैग ने एनपीएस से जुड़ी अनियमितताओं को बिना देर किए दुरुस्त करने की सिफारिश भी की है।

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