साल 2006 में कोल्लम जिले में एक मां और उसकी 17 दिन की जुड़वां बेटियों की नृशंस हत्या (Triple Murder Case) ने पूरे राज्य को दहला दिया था। अब 19 साल बाद, केरल पुलिस (Kerala Police) ने इस जघन्य हत्याकांड को AI तकनीक (AI Technology) की मदद से सुलझाने में सफलता पाई है। इस अनोखे मामले ने तकनीक और जांच के संगम का शानदार उदाहरण पेश किया है।
हत्या का खौफनाक मंजर
10 फरवरी 2006 को, संथम्मा नाम की महिला जब अपने घर लौटीं, तो उन्होंने अपनी बेटी रंजिनी और उसकी नवजात बेटियों को खून से लथपथ पाया। तीनों की निर्मम हत्या की गई थी। रंजिनी का गला काटा गया था, और दोनों बच्चियों की भी बेरहमी से हत्या कर दी गई थी।
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हत्या के इस मामले में शुरुआती जांच में ही पता चला कि अपराध में सेना के दो जवान, दिविल कुमार और राजेश का हाथ है। लेकिन दोनों आरोपी फरार हो गए और मामला ठंडे बस्ते में चला गया।
प्यार, धोखा और साजिश
पुलिस की जांच के अनुसार, रंजिनी और दिविल पड़ोसी थे और उनके बीच प्रेम संबंध था। लेकिन जब रंजिनी गर्भवती हुई, तो दिविल ने उसे छोड़ दिया और पठानकोट स्थित सेना के शिविर में चला गया। दिविल ने अपने सहकर्मी राजेश को इस बात की जानकारी दी, और दोनों ने रंजिनी और उसके बच्चों को खत्म करने की साजिश रची।
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राजेश ने खुद को ‘अनिल कुमार’ के नाम से पेश किया और अस्पताल में रंजिनी से दोस्ती कर ली। उसने रंजिनी को विश्वास दिलाया कि वह उसे न्याय दिलाने में मदद करेगा। इसके बाद, राजेश ने रंजिनी को समाज के डर का हवाला देकर एक अलग घर में शिफ्ट कराया, ताकि उसे आसानी से निशाना बनाया जा सके।
2010 में सीबीआई को सौंपा गया मामला
10 फरवरी 2006 को राजेश ने रंजिनी और उसकी बेटियों की हत्या कर दी। हत्या के बाद दोनों आरोपी फरार हो गए। जांच में पुलिस को राजेश की असली पहचान का पता चला, लेकिन दोनों को पकड़ने में नाकाम रही। 2010 में यह मामला सीबीआई को सौंपा गया, लेकिन तब भी आरोपियों का कोई सुराग नहीं मिल पाया।
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एआई तकनीक ने किया कमाल
केरल पुलिस ने इस मामले को सुलझाने के लिए एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) का सहारा लिया। पुलिस ने आरोपियों की पुरानी तस्वीरों का इस्तेमाल कर 19 साल बाद उनकी संभावित उपस्थिति को फिर से बनाया। एआई द्वारा बनाई गई इन तस्वीरों को सोशल मीडिया पर साझा किया गया। इनमें से एक तस्वीर फेसबुक पर एक शादी की फोटो से 90% मेल खाई।
पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए आरोपी दिविल कुमार को पुडुचेरी में ढूंढ निकाला। वर्तमान में वह ‘विष्णु’ के नाम से रह रहा था और एक स्कूल टीचर से शादी कर चुका था। उसकी गिरफ्तारी के बाद दूसरे आरोपी राजेश, जो अब ‘प्रवीण कुमार’ के नाम से रह रहा था, उसे भी पकड़ लिया गया।

पुलिस की मेहनत और एआई से सुलझा मामला
42 साल के दिविल और 48 साल के राजेश ने नई पहचान और नकली दस्तावेजों के साथ सामान्य जीवन जीना शुरू कर दिया था। दोनों ने महिला शिक्षकों से शादी की और इंटीरियर डिजाइनिंग के काम में जुट गए थे। एआई तकनीक और पुलिस की कड़ी मेहनत ने इस मामले को सुलझाने में मदद की, जो भारत में अपनी तरह का पहला मामला है।
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न्याय के लिए लंबी लड़ाई
रंजिनी की मां संथम्मा ने इस मामले को कभी नहीं छोड़ा। उन्होंने लगातार न्याय की लड़ाई लड़ी। सीबीआई और केरल पुलिस के इस अद्वितीय प्रयास ने न केवल रंजिनी और उसकी बेटियों को न्याय दिलाया, बल्कि यह भी दिखाया कि तकनीक और संकल्प के साथ कितने मुश्किल मामलों को सुलझाया जा सकता है।
केरल पुलिस की सराहना
यह केस पुलिस के लिए एक मील का पत्थर साबित हुआ है। एआई तकनीक का ऐसा उपयोग भारतीय पुलिस तंत्र के लिए प्रेरणा है। उम्मीद की जाती है कि अन्य राज्यों की पुलिस भी इस केस से सीख लेकर ठंडे बस्ते में पड़े मामलों को सुलझाने की दिशा में काम करेगी।
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