सपा छोड़ने के बाद पंखुड़ी ने बयां किया दर्द, ब्राह्मण और महिला होने के कारण मिलती थीं अभद्र टिप्पणियां

समाजवादी पार्टी छोड़ने के बाद पंखुड़ी पाठक ने बेहद सनसनीखेज खुलासे किये हैं. पंखुड़ी पाठक ने जी न्यूज़ डिजिटल पर ये राज खोले. पंखुड़ी के अनुसार उनके ब्राहमण होने के कारण समाजवादी पार्टी में उनपर भद्दी टिप्पणियां की जाती थी. पार्टी में महिलाओं को लेकर बेहद गिरी हुई सोच के भी आरोप पंखुड़ी ने लगाए. जानिए और क्या काहा पंखुड़ी ने…

 

ब्राह्मण होने के कारण किया जाता था टार्गेट 

जब से हम लोग विधानसभा का चुनाव हारे, और घर की लड़ाई हुई, तब से अखिलेश जी का राजनीतिक स्टाइल बहुत चेंज हो गया. उसके बाद उनके आसपास के लोगों ने उन्हें बहुत इनसिक्योर बना दिया कि आप किसी पर ज्यादा ट्रस्ट मत करिए. किसी से ज्यादा बात मत करिए. साथ ही एक तरह की बहुत ही निगेटिव कास्ट पॉलिटिक्स हमारी पार्टी के अंदर आ गई. उसमें अपर कास्ट के लोगों और खासतौर से ब्राह्मणों को टार्गेट किया जाता था. इसके चलते पिछले साल मेरे खिलाफ ‘हेट कैंपेन’ चलाया गया. हर दिन कई मैसेज मेरे पास आते थे, जिनमें मेरे ऊपर बहुत गंदे-गंदे कमेंट किए जाते. विधानसभा चुनाव में हार के बाद सपा के लोग कहने लगे कि इस ब्राह्मण लड़की को निकालो. क्या सपा में पिछड़ों की लड़की नहीं है. मेरे लुक्स को लेकर कमेंट होते थे. अखिलेश जी को भी इसमें टार्गेट किया जाता था. बहुत ही गंदा और कास्टिस्ट एंगल देने की कोशिश की गई. ये भी कोशिश की गई कि हार की पूरी जिम्मेदारी मेरे ऊपर डाल दी जाए, क्योंकि आपने एक ब्राह्मण महिला को पार्टी का प्रवक्ता बनाया, इसलिए आप चुनाव हार गए.

 

सपा में महिलाओं के प्रति नीच सोच

इस पार्टी में महिलाओं के प्रति सोच बहुत निचले स्तर की है. शायद मुझसे लोगों को सबसे ज्यादा दिक्कत यही थी कि एक महिला अपने बल पर इतना आगे कैसे बढ़ सकती है. मेरे ब्राह्मण होने से ज्यादा दिक्कत मेरे महिला होने से थी. जो आत्मनिर्भर है, जिसका कोई फैमिली बैकग्राउड नहीं है, वो इतना आगे कैसे बढ़ सकती है. यदि कोई पॉलिटिकल बैकग्राउंड की महिला होती है, तो उसे स्वीकार कर लेते हैं, लेकिन कोई महिला अपने आप उठकर आई है, संघर्ष करके आई है तो उसे लोग स्वीकार नहीं करते हैं. लगातार टार्गेट करते हैं. ये मानसिकता सपा में बहुत बड़े लेबल पर है और जो लोग आज मुझ पर भद्दे पोस्ट कर रहे हैं, मेरे ख्याल वो इस मानसिकता का बेहतरीन उदाहरण दे रहे हैं.

 

हेट कैंपेन 

मेरे खिलाफ हेट कैंपेन चलाने वालों में कई अखिलेश जी के करीबी थे. वो खुद सीधे कमेंट नहीं करते थे, लेकिन अपने लोगों को ऐसे कमेंट करने के लिए बढ़ावा देते थे. वो ट्रोल्स को मेरे खिलाफ फंड भी करते थे. मेरे घर में सभी लोग ये देख रहे थे और सब बहुत परेशान थे. मुझे भी लगा कि अपमान के साथ यहां काम नहीं किया जा सकता. इसलिए मैंने पिछले साल अप्रैल में ही इस्तीफा दे दिया था. जब मैंने इस्तीफा दिया तो अखिलेश जी ने मुझे बुलाया और कहा कि मैं जानता हूं ये कौन कर रहा है. हम इसे ठीक करेंगे. तुम परेशान न हो. मैंने उनसे कहा कि मैं यहां तभी रुक सकती हूं जब मेरा आत्मसम्मान बना रहे. मैंने इंतजार किया और जब मैंने देखा कि चीजें जस की तस हैं, तो मैंने इस्तीफा दे दिया.

 

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