राजीव कृष्ण… एक ‘सिस्टम मैन’ की कहानी!

उत्तर प्रदेश की राजनीति और प्रशासन का संगम हमेशा से ही सुर्खियों में रहा है। और जब देश के सबसे बड़े राज्य को नया डीजीपी मिलता है-वो भी कार्यवाहक—तो चर्चाएं और भी गहराने लगती हैं। इस बार यूपी पुलिस की कमान संभाली है 1991 बैच के तेजतर्रार आईपीएस अधिकारी राजीव कृष्ण ने। पूर्व डीजीपी प्रशांत कुमार के कार्यकाल की समाप्ति के बाद जब उन्हें एक्सटेंशन नहीं मिला, तब यह जिम्मेदारी सौंपी गई है एक ऐसे अफसर को, जिनका प्रोफेशनल रिकॉर्ड बिलकुल क्लीन और प्रभावशाली रहा है।

राजीव कृष्ण सिर्फ एक पुलिस अफसर नहीं, बल्कि एक ऐसा चेहरा हैं जो उत्तर प्रदेश पुलिस की कई ऐतिहासिक जिम्मेदारियों का साक्षी रहा है। बरेली, कानपुर, अलीगढ़ जैसे बड़े जिलों में ASP के रूप में काम करने से लेकर लखनऊ, आगरा, नोएडा, बुलंदशहर जैसे संवेदनशील जिलों में कप्तानी करने तक, उन्होंने हर मोर्चे पर खुद को साबित किया। योगी सरकार में वह लखनऊ और आगरा के ADG Zone रहे। विजिलेंस विभाग में अगस्त 2023 में ADG बने। फिर जनवरी 2024 में DG के पद पर प्रमोट हुए। पेपर लीक कांड के बाद मार्च 2024 में उन्हें भर्ती बोर्ड की जिम्मेदारी दी गई और परीक्षा सकुशल सम्पन्न हुई। यानी जब भी सिस्टम को स्थिरता की ज़रूरत पड़ी, राजीव कृष्ण को ही याद किया गया।

जब उत्तर प्रदेश में एटीएस यानी Anti Terrorism Squad की नींव रखी गई, तो इसके पहले DIG बनने का गौरव भी राजीव कृष्ण को ही मिला। यह इस बात का सबूत है कि वह सिर्फ लॉ एंड ऑर्डर के विशेषज्ञ नहीं, बल्कि इंटेलिजेंस और ऑपरेशंस के भी मास्टर हैं। राजीव कृष्ण की ताकत सिर्फ उनकी अपनी काबिलियत नहीं, बल्कि उनका बैकग्राउंड भी कमाल का है। उनका परिवार भारतीय नौकरशाही की एक मिसाल है। पत्नी मीनाक्षी सिंह IRS अधिकारी और इनकम टैक्स कमिश्नर हैं। मीनाक्षी की बहन आभा सिंह, पोस्टल सर्विस की पूर्व अधिकारी और अब मुंबई हाईकोर्ट में सीनियर वकील हैं। उनके पति YP सिंह, पूर्व आईपीएस अधिकारी हैं। साले राजेश्वर सिंह, पूर्व ईडी अधिकारी और अब लखनऊ के सरोजनी नगर से बीजेपी विधायक हैं। राजेश्वर की पत्नी लक्ष्मी सिंह नोएडा की पुलिस कमिश्नर है। यानि न्यायपालिका, प्रशासन, कानून व्यवस्था और राजनीति—हर फ्रंट पर यह परिवार एक्टिव है।

वहीं, राजीव कृष्ण को पूर्णकालिक डीजीपी न बनाकर कार्यवाहक बनाए जाने पर विपक्ष ने हमला बोला है। अखिलेश यादव ने एक्स पर तंज कसते हुए लिखा कि UP को फिर मिला कार्यवाहक DGP! जो हर ग़लत को सही साबित करते रहे, उन्हें क्या मिला? आज जाते-जाते यही सोच रहे होंगे।” उन्होंने इशारा किया कि डबल इंजन सरकार एक स्थायी अधिकारी तक तय नहीं कर पा रही, तो प्रदेश कैसे चलाएगी? वहीं, मायावती ने ज़रूर थोड़ी सकारात्मक उम्मीद जताई कि नए प्रमुख निष्पक्ष रहकर अपराध के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेंगे।

अब सवाल ये है – क्या राजीव कृष्ण करेंगे बदलाव की शुरुआत? UP की कानून-व्यवस्था लगातार विपक्ष के निशाने पर रही है। ऐसे में राजीव कृष्ण की तुरंत और निष्पक्ष कार्रवाई, और जमीन से जुड़ी पुलिसिंग राज्य को एक नई दिशा दे सकती है। वो उस अधिकारी की छवि रखते हैं जो चमक-दमक से नहीं, परिणामों से पहचान बनाते हैं। उनके ट्रैक रिकॉर्ड को देखें तो यही लगता है कि वह ‘कार्यवाहक’ भर नहीं, बल्कि ‘क्राइसिस मैनेजर’ हैं। फिलहाल ये तय है अब अपराध और अपराधियों के खिलाफ UP में पुलिस का फुल एक्शन देखने को मिलेगा।

देश और दुनिया की खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें, आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं.