Sawan Month 2021 Start Date in Hindi: सावन का महीना हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र महीना माना गया है. सावन को श्रावण (Shravan) भी कहते हैं. सावन के महीने को हिंदू कैलेंडर के अनुसार 5वां महीना माना गया है. पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास का समापन 24 जुलाई को शक्ल पक्ष की पूर्णिमा की तिथि को हो चुका है. 25 जुलाई से श्रावण यानी सावन का महीना आरंभ होगा. सावन का महीना 22 अगस्त दिन रविवार के दिन समाप्त हो रहा है. सबसे प्रमुख सवाल यह है कि भगवान शिव को सावन या श्रावण मास क्यों प्रिय है? दूसरा सवाल यह है कि श्रावण मास में भगवान शिव का जलाभिषेक क्यों करते हैं?.
धर्माचार्यों के मुताबिक शिव-पुराण में लिखा गया है कि श्रावण मास में भगवान शिव शक्ति अर्थात् देवी पार्वती के साथ भू-लोक में निवास करते हैं. अतः शिव के साथ भगवती की भी पूजा करनी चाहिए. श्रावण मास में भगवान शिव की जलहरि या अर्घे में भगवती पार्वती का निवास होता है. भगवान भोलेनाथ जब पहली बार ससुराल जाने के लिए धरती पर अवतरित हुए तो वह सावन मास था. ससुराल में उनका जलाभिषेक से स्वागत किया गया. इससे वह बेहद प्रसन्न हुए. फिर ऐसी मान्यता बन गई कि भगवान शिव हर वर्ष श्रावण मास में अपने ससुरात जाते हैं, इसलिए श्रावण मास में उनका जलाभिषेक करके उनको प्रसन्न किया जा सकता है और आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है.
श्रावण में ही महादेव ने पिया था हलाहल विष
सावन मास की पौराणिक महत्ता से जुड़ी एक और घटना है. समुद्र मंथन सावन मास में हुआ था. जब मंथन से विष निकला तो पूरे संसार की रक्षा करने के लिए भगवान शिव ने उसे अपने कंठ में धारण कर लिया. विष से उनका कंठ नीला पड़ गया, जिससे वे नीलकंठ कहलाए. विष का प्रभाव महादेव पर न हो या कम हो, इसलिए समस्त देवताओं ने भगवान शिव को जल अर्पित किया. इससे भगवान शिव को काफी राहत मिली और वे प्रसन्न हुए.
इस घटना के बाद से ही हर वर्ष सावन मास में भगवान शिव को जल अर्पित करने या उनका जलाभिषेक करने की परंपरा बन गई. ऐसी मान्यता है कि सावन में भगवान शिव का जलाभिषेक करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है और जिस तरह उन पर छाए संकट के बादल मिट गए, वैसे ही उनके भक्तों के भी संकट दूर हो जाएंगे.
पूजा विधि
सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा में विधि का विशेष ध्यान रखें. विधि पूर्वक पूजा करने से शुभ फल प्राप्त होने की संभावना बढ़ जाती है. सावन सोमवार के दिन सुबह जल्दी स्नान आदि कर घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें. उसके बाद शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग पर गंगा जल और दूध के साथ धतूरा, बेलपत्र, पुष्प, गन्ना आदि अर्पित करें. इसके साथ ही भगवान की प्रिय चीजों को भोग लगाएं, शिव आरती और शिव चालीसा, शिव के 108 नामों के साथ इस मंत्र का जाप करें- ”ॐ नम: शिवाय”
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