UP: हाईकोर्ट से स्वामी प्रसाद मौर्य को नहीं मिली राहत, गैर जमानती वारंट निरस्त करने की मांग खारिज

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) को राहत देने से इंकार कर दिया है। मौर्य के खिलाफ कथित रूप से बेटी का बिना तलाक दूसरी शादी कराने, मारपीट और गालीगलौज करने के साथ ही जानमाल की धमकी व साजिश रचने का आरोप है।

दीपक कुमार स्वर्णकार ने दाखिल किया वाद

न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की एकल पीठ ने यह आदेश पारित किया कि स्वामी प्रसाद के विरुद्ध प्रथम दृष्टया जो आरोप हैं, उन पर ट्रॉयल कोर्ट में ही विचार हो सकता है। कोर्ट ने इन टिप्पणियों के साथ परिवाद की कार्यवाही व गैर जमानती वारंट को निरस्त करने की मांग वाली स्वामी प्रसाद मौर्या की याचिका को खारिज कर दिया है।

Also Read: मुरादाबाद: भाजपा प्रत्याशी कुंवर सर्वेश सिंह के निधन पर BJP-SP नेताओं ने जताया शोक, CM योगी ने कहा- पूर्व सांसद के निधन से स्तब्ध हूं

पत्रावली के अनुसार सुशांत गोल्फ सिटी के रहने वाले वादी दीपक कुमार स्वर्णकार ने कोर्ट में बदायूं से भाजपा की सांसद संघमित्रा व स्वामी प्रसाद मौर्या समेत अन्य के खिलाफ वाद दाखिल किया है। दीपक का आरोप है कि वह संघमित्रा के साथ साल 2016 से लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे थे।
जानलेवा हमला कराने का आरोप

संघमित्रा और उनके पिता स्वामी प्रसाद मौर्य ने वादी को बताया कि संघमित्रा का पहले विवाह के बाद तलाक हो गया है, लिहाजा दीपक कुमार स्वर्णकार ने तीन जनवरी 2019 को भाजपा सांसद से शादी कर ली। वहीं, इसके बाद जब उसे पता चला तो शादी की बात खुल न जाए, इसलिए उस पर जानलेवा हमला कराया गया।

Also Read: मेरठ: अखिलेश ने जनसभा को किया संबोधित, बोले- पहले ही चरण में BJP की फिल्म हो गई फ्लॉप

उक्त परिवाद को चुनौती देते हुए स्वामी प्रसाद की ओर से दलील दी गई कि याची के विरुद्ध कोई ठोस आरोप नहीं लगाए गए हैं और पत्रावली पर जो बयान परिवादी का उपलब्ध है, वह विश्वसनीय नहीं लगता। कहा गया कि जो घटनाएं बताई गई हैं, वे भी श्रंखलाबद्ध नहीं हैं और परिवाद बदनीयती से दाखिल किया गया है। हालांकि न्यायालय ने इन दलीलों को अस्वीकार करते हुए कहा कि आरोपों की सत्यता की जांच ट्रॉयल के दौरान ही हो सकती है।

( देश और दुनिया की खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें, आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं. )