खाद्य प्रसंस्करण के जरिए ग्रामीण क्षेत्रों की सूरत बदलने की तैयारी में योगी सरकार, 3 लाख लोगों को मिलेगा रोजगार

योगी सरकार (Yogi Government) की खाद्य प्रसंस्करण (Food Processing) इकाइयां गांवों में रोजगार और व्यपार की बड़ी खेप पहुंचाने की तैयारी में है। सरकार की योजना खाद्य प्रसंस्करण से ग्रामीण युवाओं तक रोजगार पहुंचाने के साथ ही किसानों को आर्थिक रूप से आत्म निर्भर बनाने की भी है। हजारों की संख्या में रोजगार पैदा करने वाली इस योजना का खाका राज्य सरकार ने नीति आयोग में पेश कर दिया है। इसके माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों की सूरत बदलने की तैयारी हो रही है।


तय योजना के अनुसार योगी सरकार खाद्य प्रसंस्करण की 62,122 इकाइयों के जरिए ग्रामीण क्षेत्रों में नए रोजगार सृजन करेगी। इन इकाइयों के साथ ही नई यूनिटें लगा कर उन्हें गांवों और किसानों से सीधे जोड़ा जाएगा। सरकार की योजना खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के जरिए किसानों को कृषि व्यापारी बनाने की है। पिछले चार साल में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में 10,500 करोड़ रुपये के रिकार्ड निवेश को योजना का बड़ा आधार माना जा रहा है।


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खाद्य प्रसंस्करण सेक्टर को अधिक रोजगार परक बनाने के लिए कई अतिरिक्त सुविधाएं भी राज्य सरकार देने जा रही है। इसके लिए खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति-2017 में अमूल चूल बदलाव किया जा रहा है। सरकार की तैयारी अगले कुछ दिनों में 20 हजार करोड़ रुपये से अधिक निवेश लाकर करीब 3 लाख लोगों के लिए रोजगार के अवसर जुटाने की है।


मौजूदा समय में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति-2017 में पूंजीगत अनुदान व ब्याज में छूट की सुविधा दी जा रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की योजना खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को और अधिक सुविधाएं देकर बड़े निवेश लाकर ग्रामीण इलाकों में रोजगार के अधिकतम अवसर उपलब्ध कराने की है।


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गौरतलब है कि प्रदेश में खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार कृषि प्रसंस्करण इकाइयों को मंडी शुल्क में छूट दे रही है। जिसके लिए मंडी शुल्क से छूट दिए जाने के नए नियम बनाए गए हैं। सरकार का लक्ष्य ज्यादा इकाइयों को प्रदेश में आकर्षित करने का है ताकि रोजगार के नए अवसर के साथ ही किसानों को भी इसका लाभ मिल सके।


रोजगार के ज्यादा अवसर पैदा करने के लिए सरकार ने प्रदेश की बड़ी मंडियों की खाली पड़ी भूमि पर कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण उद्योग स्थापित करने की योजना तैयार की थी। जिसके तहत मंडी क्षेत्र में स्थापित होने वाली खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां जिनकी लागत 5 करोड़ या उससे अधिक हैं, उन्हें 5 साल के लिए मंडी शुल्क से छूट दी जा रही है।


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ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार और स्वरोजगार बढ़ाने के लिए क्षेत्रवार कृषि उत्पादन के मुताबिक इकाइयां लगाई जा रही हैं। पश्चिमी और मध्य उत्तर प्रदेश में मक्के की खेती के लिहाज से मक्का आधारित खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को लगाने पर सरकार का जोर है। इसी तरह कुशीनगर में केले की चिप्स तो पूर्वांचल में आलू व अन्य फसलों से जुड़ी इकाइयां लगाई जा रही हैं।


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