कुन्नूर के पास एक हेलीकाप्टर दुर्घटना में सीडीएस जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी समेत 13 लोगों की मौत ने पूरे देश को झकझोर के रख दिया है. इस हादसे की वजह से कई सवालों ने भी जन्म लिया है. लोगों का कहना है कि आखिर इतने बड़े पद पर बैठे व्यक्ति को ले जाने वाला हेलीकॉप्टर क्रैश कैसे कर सकता है. हादसे के वक्त बाद आज सेना के द्वारा ब्लैक बॉक्स(Black Box) को बरामद कर लिया गया है. ब्लैक बॉक्स की बरामदगी के बाद उम्मीद है कि सेना इस हादसे से जुड़े रहस्य को सुलझा लेगी. आइये आपको बताते हैं कि आखिर क्यों इस ब्लैक बॉक्स की तलाश की जा रही थी.
क्यों इतना जरूरी है ब्लैक बॉक्स
जानकारी के मुताबिक, ब्लैक बॉक्स विमान या हेलीकॉप्टर में लगा एक महत्वपूर्ण इलेक्ट्रानिक उपकरण है, जिसे फ्लाइट डेटा रिकार्डर के रूप में भी जाना जाता है. यह उड़ान के बारे में 88 महत्वपूर्ण मापदंडों को रिकार्ड करता है, जिनमें एयरस्पीड, विमान की ऊंचाई, काकपिट बातचीत और हवा का दबाव भी शामिल है. दुर्घटना के बाद ब्लैक बाक्स की भूमिका अहम है क्योंकि यह प्राथमिकता के आधार पर यह समझने के लिए महत्वपूर्ण होता है कि वास्तव में दुर्घटना का कारण क्या है. इस ब्लैक बॉक्स में पायलट और कंट्रोल रूम तथा लोकेशन मास्टर के बीच हुई बातचीत सहित तमाम जानकारियां स्वत: फीड हो जाती हैं जो दुर्घटना के बाद जांच में मददगार साबित होती है.
ALSO READ : कुन्नूर हादसा : हेलीकॉप्टर क्रैश होने के बाद जीवित थे CDS रावत, हिंदी में बताई थी अपनी परेशानी
बता दें कि एक सामान्य Black Box का वजन लगभग 10 पाउंड (4.5 किलो) होता है. इसे विमान में पीछे की ओर लगाया जाता है, जिससे कि कभी गंभीर दुर्घटना हो भी तो बाक्स को ज्यादा नुकसान न हो. देखा भी गया है कि हादसे में प्लेन के पीछे का हिस्सा कम प्रभावित होता है. दुर्घटना के बाद भी ब्लैक बॉक्स से एक तरह की विशेष आवाज निकलती रहती है, जिससे खोजी दल तुरंत पहचान लेते हैं और इस तरह से दुर्घटनास्थल तक पहुंचा जा सकता है. यहां तक कि पानी में कई हजार फीट तक नीचे गिरने के बाद भी इस बाक्स से आवाज और तरंगें निकलती रहती हैं और ये लगभग एक महीने तक जारी रह सकती हैं.
ऑरेंज रंग का होता ब्लैक बॉक्स
ब्लैक बॉक्स के लिए काले रंग का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है और यह ऑरेंज रंग का होता है. इसे ऑरेज कलर का इसलिए बनाया जाता है, ताकि विमान के क्रैश होने के बाद इसे आसानी से रिकवर किया जा सके. वैसे ब्लैक बॉक्स ही नहीं, बल्कि हवाई जहाज में एक और चीज डाटा निकालने में मदद करती है, वो है कॉकपिट वायस रिकॉर्डर (CVR). ये असल में ब्लैक बॉक्स का ही एक हिस्सा है. ये विमान में आखिरी दो घंटों की आवाजें रिकॉर्ड करता है
ALSO READ : कुन्नूर हादसा : अब तक सामने नहीं आई हेलीकॉप्टर क्रैश होने की वजह, उठ रहे ये 5 सवाल