Aravali Green Project: भारत सरकार ने अरावली पर्वतमाला के बिगड़ते पारिस्थितिकी तंत्र को सुधारने के लिए महत्वाकांक्षी “अरावली ग्रीन वॉल परियोजना” की शुरुआत की है। इस परियोजना के तहत उत्तर-पश्चिम भारत में अरावली पर्वत श्रृंखला के चारों ओर हरित बफर क्षेत्र विकसित करने की योजना बनाई गई है, जिससे पर्यावरण संरक्षण और जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
16,053 करोड़ रुपये का संभावित निवेश
सरकार इस परियोजना के पहले चरण में करीब 16,053 करोड़ रुपये खर्च करने की योजना बना रही है। इस पहल का मुख्य उद्देश्य थार रेगिस्तान के पूर्व की ओर विस्तार को रोकना और भूक्षरण की समस्या पर नियंत्रण पाना है।
Also Read-भारत के लिए मुश्किलें बढ़ीं, ट्रंप का बड़ा ऐलान, 2 अप्रैल से रेसिप्रोकल टैरिफ लागू
प्राकृतिक अवरोध के रूप में अरावली पर्वत
अरावली पर्वतमाला लगभग 700 किलोमीटर तक फैली हुई है और यह थार मरुस्थल के विस्तार को रोकने में प्राकृतिक अवरोध का कार्य करती है। यह दिल्ली, जयपुर और गुरुग्राम जैसे महत्वपूर्ण शहरी क्षेत्रों को पर्यावरणीय क्षति से बचाने में अहम भूमिका निभाती है।
भारत की सबसे पुरानी पर्वतमाला और जल स्रोतों का संरक्षण
अरावली न केवल भारत की सबसे पुरानी पर्वतमाला है, बल्कि यह चंबल, साबरमती और लूनी जैसी नदियों का भी स्रोत है। इसके जंगल, घास के मैदान और आर्द्रभूमि कई दुर्लभ वनस्पतियों और जीव-जंतुओं को संरक्षण प्रदान करते हैं। लेकिन अतिक्रमण, खनन और वनों की कटाई के कारण इस क्षेत्र का पारिस्थितिकी तंत्र तेजी से बिगड़ रहा है।
‘अरावली ग्रीन वॉल’ पहल
मार्च 2023 में केंद्र सरकार ने “अरावली ग्रीन वॉल” पहल की शुरुआत की थी। इसके तहत गुजरात, राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली में 64.5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में एक 5 किलोमीटर चौड़ी हरित पट्टी विकसित करने की योजना है।
42% भूमि क्षरण से प्रभावित
इस परियोजना के तहत शामिल कुल 64.5 लाख हेक्टेयर भूमि में से 42% (लगभग 27 लाख हेक्टेयर) क्षेत्र क्षरण से प्रभावित है। इसमें राजस्थान का योगदान 81%, गुजरात का 15.8%, हरियाणा का 1.7% और दिल्ली का 1.6% है। भूमि क्षरण के कारण कृषि योग्य भूमि की उत्पादकता कम हो जाती है, जिससे पर्यावरण और आर्थिक संतुलन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
बंजर भूमि बनेगी उपजाऊ
परियोजना के पहले चरण में 8,16,732 हेक्टेयर वन क्षेत्र को बहाल करने का लक्ष्य रखा गया है। इसमें दिल्ली में 3,010 हेक्टेयर, गुजरात में 5,677 हेक्टेयर, हरियाणा में 3,812 हेक्टेयर और राजस्थान में 99,952 हेक्टेयर भूमि को पुनर्जीवित किया जाएगा।
कार्बन अवशोषण क्षमता में वृद्धि
इस पहल से 2.5 से 3 अरब टन कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर अतिरिक्त अवशोषण क्षमता विकसित करने में मदद मिलेगी। साथ ही, 2030 तक 2.6 करोड़ हेक्टेयर बंजर भूमि को फिर से उपजाऊ बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
क्या है अरावली ग्रीन वॉल परियोजना ?
अरावली ग्रीन वॉल परियोजना न केवल पारिस्थितिकी तंत्र को पुनर्जीवित करने में सहायक होगी, बल्कि जलवायु परिवर्तन से निपटने, भूजल पुनर्भरण और जैव विविधता के संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। यह पहल भारत को अपने पर्यावरणीय लक्ष्यों को प्राप्त करने और टिकाऊ विकास की दिशा में आगे बढ़ने में मदद करेगी।