इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बुधवार को उत्तर प्रदेश के संभल स्थित जामा मस्जिद की रंगाई-पुताई के मामले पर सुनवाई करते हुए मस्जिद की बाहरी दीवारों पर सफेदी करने की अनुमति दे दी है। मस्जिद कमेटी ने इस प्रक्रिया के लिए सिविल रिवीजन याचिका दाखिल की थी, जिसका अदालत ने निपटारा किया।
एएसआई की भूमिका पर अदालत की टिप्पणी
सुनवाई के दौरान, जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल ने आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) के वकील, एडवोकेट मनोज कुमार सिंह से सवाल किया कि एएसआई ने अब तक इस मामले में क्या कार्रवाई की है। इस पर सिंह ने कहा कि मस्जिद कमेटी ने कई वर्षों तक सफेदी कराई है, जिससे ढांचे की बाहरी दीवारों को नुकसान हुआ है। जस्टिस अग्रवाल ने एएसआई को कड़ी फटकार लगाई और कहा कि आपने पिछले सालों में क्या किया है? एएसआई ने बताया कि उन्होंने इस मामले में एफआईआर दर्ज की है, लेकिन जस्टिस अग्रवाल ने सवाल उठाया कि वे इतने सालों तक चुप क्यों थे।
मस्जिद कमेटी को नोटिस भेजने का निर्देश
कोर्ट ने एएसआई और राज्य के वकील से यह भी कहा कि अगर मस्जिद कमेटी ने किसी समझौते का उल्लंघन किया है, तो इसे लेकर नोटिस भेजा जाना चाहिए। जस्टिस अग्रवाल ने कहा कि अगर समझौते का उल्लंघन हुआ है, तो एएसआई को इस पर नोटिस भेजना चाहिए। इसके साथ ही, उन्होंने एएसआई के अधिकारियों से कहा कि वे अपनी जिम्मेदारी पूरी करें और मस्जिद कमेटी को सफेदी करने की अनुमति देने में कोई कानूनी रुकावट नहीं डालें।
पिछली सुनवाई में हाई कोर्ट का हलफनामा मांगना
10 मार्च को हुई पिछली सुनवाई में हाई कोर्ट ने एएसआई से हलफनामा मांगा था, जिसमें यह स्पष्ट किया जाए कि मस्जिद की रंगाई-पुताई, अतिरिक्त लाइटिंग और सजावटी लाइट लगाने की आवश्यकता है या नहीं। इस दौरान एएसआई ने मस्जिद कमेटी की आपत्ति का जवाब दिया था। अदालत ने कहा था कि यदि संरचना की आगे की जांच की जरूरत हो, तो एएसआई अपनी टीम भेज सकती है।
हाई कोर्ट का बयान
जस्टिस अग्रवाल ने सुनवाई के दौरान कहा कि मस्जिद की रंगाई-पुताई, अतिरिक्त रोशनी और सजावटी लाइटें लगाने के मामले में एएसआई को अपने विचार स्पष्ट करने चाहिए और यदि आवश्यकता हो, तो वे आवश्यक जांच भी कर सकते हैं।
न्यायालय की कड़ी टिप्पणी
इस केस की सुनवाई के दौरान जस्टिस अग्रवाल ने एएसआई के कार्यों पर सवाल उठाए और अधिकारियों को चेतावनी दी कि वे अपनी जिम्मेदारी निभाने में विफल रहे हैं।