चल और अचल संपत्ति को आधार (Aadhar) से लिंक करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए मंगलवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस भेजकर चार हफ्ते में जवाब माँगा है. यह याचिका भाजपा नेता और वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय (Ashwini Upadhyay) ने दायर की है. याचिका में कहा गया है कि आधार को चल और अचल संपत्ति से लिंक करने पर बेनामी लेनदेन के जरिये किए जा रहे भ्रष्टाचार और काला धन पर लगाम कसने में मदद मिलेगी. कोर्ट ने अगली सुनवाई 15 अक्टूबर को मुकर्रर रखी है.
अश्विनी उपाध्याय ने याचिका में कहा गया है कि ये सरकार का कर्तव्य है कि वो गलत तरीके से हासिल की गई बेनामी संपत्तियों को जब्त करे और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाए. कानून के शासन को ठेंगा दिखाने वालों को सबक सिखाने के लिए कड़ी कार्रवाई करने की जरूरत है.
याचिका में कहा गया है कि आधार से चल और अचल संपत्ति के दस्तावेजों को लिंक करने से कर वसूलने वालों को संपत्ति के वैध मालिकों का पता लगाने में आसानी होगी. इससे चुनाव प्रक्रिया भी साफ-सुथरी हो जाएगी. चुनाव में काले धन का इस्तेमाल और गलत तरीके से राजनीतिक ताकत प्राप्त करने पर रोक लगेगी.
दरअसल बेनामी लेनदेन पर रोक लगाने के लिए साल 2016 में केंद्र सरकार ने बेनामी लेनदन (पाबंदी) अधिनियम 1988 पारित किया था. इसके तहत बेनामी लेनदेन करने पर तीन साल की जेल और जुर्माना या दोनों का प्रावधान था. केंद्र की मौजूदा सरकार ने इस कानून में संशोधन के लिए साल 2015 में संशोधन अधिनियम का प्रस्ताव किया. अगस्त 2015 में संसद ने इस अधिनियम में संशोधन को मंजूरी दे दी थी. बाद में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इस संशोधन को हरी झंडी दे दी. अब इसी अधिनियम को और पुख्ता और कारगर बनाने के लिए संपत्ति को आधार से जोड़े जाने की मांग उठाई जा रही है.
क्या है बेनामी संपत्ति ?
सरल भाषा में कहा जाए, तो बेनामी संपत्ति वो होती है, जिसे जिस व्यक्ति के नाम से खरीदा गया है, उसका भुगतान उस व्यक्ति ने नहीं किया है. लेकिन भविष्य में इस संपत्ति का लाभ भुगतान करने वाले व्यक्ति को ही मिलता है. उदाहरण के लिए आप कोई जमीन खरीदना चाहते हैं लेकिन आप उसे अपने नाम नहीं खरीदना चाहते, तो आपने उसे अपने भाई के नाम खरीद ली. इसे बेनामी संपत्ति कहा जाएगा क्योंकि कीमत आपने चुकाई है लेकिन मालिक आपका भाई है. आपको बता दें कि बेनामी संपत्ति में चल अचल दोनों तरह की संपत्ति शामिल हैं. बेनामी संपत्ति खरीदने के पीछे सिर्फ एक ही मकसद होता है और वो है इनकम टैक्स के दायरे से बचना.
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