उत्तर प्रदेश में होने वाले राज्यसभा चुनाव (Rajya Sabha Elections) में समाजवादी पार्टी की तीसरी सीट पर खेल हो सकता है। भारतीय जनता पार्टी ने अपने आठवें उम्मीदवार का ऐलान कर दिया है। संजय सेठ (Sanjay Seth) को भाजपा ने अपना आठवां उम्मीदवार बनाया है। वहीं, आज संजय सेठ ने अपना नामांकन भी कर दिया है। यूपी में राज्यसभा की 10 सीटों पर चुनाव होना है। इससे पहले भाजपा ने अपने सात उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया था, जबकि समाजवादी पार्टी के तीन उम्मीदवार अपना नामांकन भी दाखिल कर चुके हैं।
समझिए राज्यसभा चुनाव का गणित
उत्तर प्रदेश में विधानसभा की 403 सीटें हैं। वर्तमान में 399 विधायक हैं। विधानसभा की 4 सीटें रिक्त हैं। वर्तमान संख्याबल के हिसाब से राज्यसभा की एक सीट जीतने के लिए प्रथम वरीयता के 37 विधायकों के वोट की जरूरत होगी। एनडीए का गणित देखें तो भाजपा के पास 252, अपना दल (एस) के पास 13, निषाद पार्टी के पास 6 और सुहेलदेव भारतीय समाजपार्टी के पास 6 विधायक हैं। उधर, हाल में ही एनडीए के साथ आने वाले राष्ट्रीय लोक दल के 9 विधायकों को भी जोड़ लिया जाए तो एनडीए का संख्याबल 286 हो जाता है। वहीं, राजा भैया की पार्टी जनसत्ता दल के पास 2 विधायक है, जो कि समय-समय पर सरकार के साथ खड़े नजर आए हैं। अगर इन्हें भी जोड़ लिया जाए तो एनडीए का आंकड़ा 288 तक पहुंच जाता है।
सुभासपा के विधायक अब्बास अंसारी व सपा विधायक इरफान सोलंकी जेल में बंद है। समाजवादी पार्टी के पास 108 विधायक हैं। कांग्रेस के पास 2 और बसपा के पास 1 एमएलए हैं। समाजवादी पार्टी को 3 सीटें हासिल करने के लिए 111 विधायकों की जरूरत है। ऐसे में अगर एमएलए इरफान सोलंकी व समाजवादी पार्टी के सभी विधायक पार्टी उम्मीदवारों के पक्ष में वोट करते हैं और कांग्रेस विधायकों के साथ ही बसपा के 1 विधायक का वोट भी मिल जाता है तो सपा का तीसरा उम्मीदवार आसानी से चुनाव जीत जाएगा।
लेकिन समस्या ये है कि इरफान सोलंकी के वोट डालने पर सस्पेंस है और पल्लवी पटेल ने साफ कह दिया है कि हम बच्चन-रंजन को वोट नहीं देंगे। ऐसे में सपा के अपने 2 वोट पर संशय है ही। वहीं, बसपा का वोट मिलने की संभावना भी न के बराबर है। अगर ऐसा होता है तो सपा के पास तीसरी सीट के लिए 28-29 वोट ही बचेंगे। दूसरी तरफ, आरएलडी के एनडीए में शामिल होने के बाद भाजपा के पास सात उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित करने के बाद भी 28-29 वोट अधिक है। ऐसे में दोनों ही पक्षों के पास प्रथम वरीयता के वोट करीब-करीब बराबर होंगे। इस स्थिति में फैसला द्वितीय वरीयता के वोट पर निर्भर करेगा, जहां भाजपा और एनडीए का पलड़ा भारी दिख रहा है। वहीं सपा का राज्यसभा गणित गड़बड़ नजर आ रहा है।
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