पत्रकार और ह्यूमन राइट ऐक्टिविस्ट्स समेत कई भारतीयों की WhatsApp के जरिए की गई जासूसी, भारत सरकार ने मांगा जवाब

आजकल लगभग हर कोई मोबाइल में वाट्सएप (WhatsApp) का इस्तेमाल कर रहा है. लेकिन इसको लेकर एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है. दरअसल वाट्सएप के अधिकारियों ने बताया कि इस हफ्ते उनकी ओर से कई भारतीयों को कहा गया है कि एक इजरायली ‘स्पाइवेयर’ (Spyware) ने वाट्सएप के जरिए उनकी जासूसी की है. इनमें भारतीय पत्रकार, एक्टिविस्ट शामिल हैं. इनकी जासूसी मई के महीने में की गई है. मंगलवार को ही वाट्सएप की पैरेंट कंपनी फेसबुक की ओर से इजरायल की साइबर सिक्योरिटी कंपनी एनएसओ पर आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज कराया है कि उसने वाट्सएप के सर्वर का इस्तेेमाल कर 1400 वाट्सएप यूजरों को यह मॉलवेयर फैलाया है जिसकी जरिए उसने जासूरी की है. इनमें 20 देशों के पत्रकार, सरकार के उच्चाधिकारी, मानवाधिकार एक्टिविस्ट शामिल हैं.


इस स्पाइवेयर जरिए वाट्सएप इस्तेमाल करने वाले शख्स के मैसेज, कॉल और पासवर्ड की डिटेल आसानी से पाई जा सकती है. कितने लोगों की जासूसी की गई है इसकी कोई निश्चित संख्या तो वाट्सएप की ओर से नहीं बताई गई है लेकिन उसकी ओर से यह जरूर कहा गया है कि उसने प्रभावित लोगों को फोन कर सूचना दे दी है. माना जा रहा है कि भारत में यह जासूसी अप्रैल के दो हफ्ते में की गई है. फेसबुक ने मई के महीने में घोषणा की थी कि उसने एक साइबर अटैक को नाकाम कर दिया है. 


कैसे काम करता है यह स्पाईवेयर

इस स्पाईवेयर का नाम Pegasus है. जैसी ही आपको कई वीडियो कॉल करता है तो साइबर हमला करने वाला शख्स एक कोड जारी करता है जिसके जरिए यह आपके फोन में इंस्टॉल हो जाता है. भले ही वीडियो कॉल को आपने रिसीव न किया हो. फोन में इंस्टॉल होने के बाद इसके जरिए आपके फोन, कॉल, वाइस कॉल, पासवर्ल्ड, कॉन्टेक्ट लिस्ट, कलेंडर इवेंट, माइक्रोफोन, कैमरे तक की डिटेल आसानी से पाई जा सकती है.


एनएसओ ने किया इनकार 

वहीं इजरायल कंपनी ने ऐसी किसी भी आरोप से इनकार किया है और कहा कि इसका कोर्ट में सामना किया जाएगा. उसकी ओर से कहा गया है कि उसकी तकनीकि पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के खिलाफ करने के लिए नहीं है. साथ में यह भी कहा कि Pegasus वैध सरकारी एजेंसियों के लिए ही लाइसेंस मिला है.  


भारत सरकार ने मांगा जवाब

वहीं इस मामले में भारत सरकार ने चिंता जाहिर की है. सरकार के सूचना एवं तकनीकी मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा है कि “भारत सरकार मैसेजिंग प्लेटफॉर्म व्हाट्सएप पर अपने नागरिकों की निजता के उल्लंघन से चिंतित है. हमने व्हाट्सएप से इस बारे में जानकारी मांगी है कि किस तरह की निजता के उल्लंघन भारतीय नागरिकों के साथ हुए हैं और उनकी सुरक्षा के लिए व्हाट्सएप ने क्या कदम उठाए हैं.”


बयान में आगे कहा गया है कि भारत सरकार अपने नागरिकों की निजता और सुरक्षा के लिए वचनबद्ध है. देश हित में भारत सरकार ने फोन इंटरसेप्ट करने के स्थापित मानदंड और प्रोटोकॉल हैं जिसके तहत भारत और राज्य सरकार के उच्च पदस्थ अधिकारियों से मंजूरी और निरीक्षण के बाद ही ऐसा किया जाना संभव है. जो लोग इसमें राजनीतिक हित साधने की कोशिश कर रहे हैं उनको यह बताना चाहते हैं कि यूपीए सरकार के समय तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी के दफ्तर में जासूसी की गई थी. इसके अलावा तत्कालीन आर्मी चीफ जनरल वीके सिंह की भी जासूसी की गई थी. यह वह लोग हैं जो गणमान्य और कुछ पदों पर तैनात थे और यह सब एक परिवार की सनक और पसंद को ध्यान में रखकर किया गया था.”


केंद्रीय सूचना और तकनीकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है. इससे पहले दोपहर में जब रविशंकर प्रसाद अपने दफ्तर पहुंचे तो आनन-फानन में उन्होंने व्हाट्सएप के जरिए भारतीय नागरिकों की जासूसी मामले पर बैठक बुलाई. बैठक में उन तमाम मसलों पर विस्तार से चर्चा हुई जिनकी जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स के जरिए सामने आई थी. मंत्रालय ने फैसला लिया कि इस बार मैसेजिंग प्लेटफॉर्म व्हाट्सएप से तुरंत जवाब मांगा जाए, और उसके बाद मैसेजिंग प्लेटफॉर्म व्हाट्सएप को जवाब देने के लिए नोटिस जारी कर दिया गया.


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