लोकसभा चुनाव से पूर्व सपा को बड़ा झटका, निषाद समाज का यह कद्दावर नेता बीजेपी में शामिल

लोकसभा चुनाव की दहलीज पर खड़ी समाजवादी पार्टी को बड़ा झटका लगा है. गोरखपुर से निषाद समाज के नेता पूर्व मंत्री जमुना निषाद की पत्नी पूर्व विधायक राजमति निषाद और उनके बेटे अमरेंद्र निषाद ने बीजेपी का दामन थाम लिया है. गुरुवार को प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र नाथ पाण्डेय ने खुद उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाई.


अमरेंद्र निषाद लोहिया वाहिनी के राष्ट्रीय सचिव थे. साल 2017 के विधानसभा चुनाव में पिपराईच क्ष्रेत्र से सपा के प्रत्याशी थे. जबकि उनकी मां पूर्व विधायक राजमति निषाद दो बार विधायक रह चुकी हैं. पिपराइच की यह सीट माँ तत्कालीन विधायक राजमति निषाद ने पुत्र के लिए छोड़ी थी. हालांकि वह चुनाव नहीं जीत सके थे.


क्यों महत्वपूर्ण है निषाद समाज

बता दें कि पूर्व मंत्री जमुना निषाद अपने समाज के सर्वमान्य नेता माने जाते रहे हैं. कभी मंदिर के करीबियों में शुमार रहे स्वर्गीय जमुना निषाद ने जब तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ के खिलाफ ताल ठोकी थी तो बेहद कम अंतर से चुनाव हारे थे. बसपा और सपा में रह चुके पूर्व मंत्री जमुना निषाद की 2010 में एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी. 2011 में हुए पिपराइच विधानसभा उप चुनाव में उनकी पत्नी राजमति निषाद को सहानुभूति में लोगों ने चुनाव जीता दिया था. 2012 के विधानसभा चुनाव में जनता ने फिर भरोसा जताया और वह फिर विधायक चुन ली गईं. 2017 में राजमति निषाद ने अपने बेटे अमरेंद्र के लिए यह सीट छोड़ दी. लेकिन सपा प्रत्याशी के रुप में उतरे अमरेंद्र निषाद भाजपा की आंधी में चुनाव हार गए थे.


निषाद मतों की एकजुटता से हारी थी बीजेपी

गोरखपुर लोकसभा सीट बीजेपी के कब्जे में 1989 से थी. इस सीट पर निषाद वोटर निर्णायक स्थिति में है. चूंकि, मंदिर का निषाद समाज पर प्रभाव रहा है इसलिए चाहे जो भी प्रत्याशी रहा हो निषाद समाज ने मंदिर के प्रत्याशी को वोट किया. लेकिन 1999 में समाजवादी पार्टी ने जमुना निषाद को प्रत्याशी बना दिया. सजातीय प्रत्याशी होने के नाते निषाद समाज ने एकजुटता दिखाई तो बीजेपी के तत्कालीन प्रत्याशी योगी आदित्यनाथ जीते लेकिन महज कुछ हजार का जीत हार का अंतर रहा. 2017 में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद इस सीट पर चुनाव हुए. इस चुनाव में निषाद प्रत्याशी उतरा. सपा के सिंबल पर उतरे इस प्रत्याशी के समर्थन में बसपा भी रही. परिणाम यह रहा कि संयुक्त विपक्ष के समर्थन से उतरे सपा प्रत्याशी प्रवीण निषाद चुनाव जीत गए.


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