भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव के बीच केंद्र सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए सेना प्रमुख को टेरिटोरियल आर्मी (Territorial Army) के अधिकारियों और जवानों को किसी भी मिशन पर तैनात करने का अधिकार दे दिया है। इस फैसले के तहत, सेना प्रमुख अब टेरिटोरियल आर्मी के जवानों को नियमित सेना की सहायता के लिए भी नियुक्त कर सकते हैं। यह फैसला टेरिटोरियल आर्मी रूल्स 1948 के नियम 33 के तहत लिया गया है और इसके लिए रक्षा मंत्रालय ने एक आधिकारिक अधिसूचना भी जारी की है।
“Central Government empowers the Chief of the Army Staff to exercise the powers.. call out every officer and every enrolled person of the Territorial Army to provide for essential guard…’
Reads Indian Govt Gazette notification: pic.twitter.com/7KOp8cAi38
— Sidhant Sibal (@sidhant) May 9, 2025
क्या है टेरिटोरियल आर्मी?
टेरिटोरियल आर्मी उन नागरिकों की एक सैन्य इकाई है जो सामान्य जीवन में विभिन्न नौकरियों में लगे होते हैं, लेकिन समय-समय पर सेना से प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं और आवश्यकता पड़ने पर देश की सेवा के लिए तैयार रहते हैं। वर्तमान में टेरिटोरियल आर्मी में 32 इन्फैंट्री बटालियन हैं, जिनमें से 14 बटालियन को देश के विभिन्न कमांड क्षेत्रों में तैनात किया जा सकता है ,जैसे कि साउथर्न, ईस्टर्न, वेस्टर्न, सेंट्रल, नॉर्दर्न, साउथ वेस्टर्न कमांड, अंडमान-निकोबार और आर्मी ट्रेनिंग कमांड (ARTRAC)।
तैनाती के लिए बजट अनिवार्य
भारत सरकार का यह फैसला ऐसे समय में आया है जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बहुत अधिक बढ़ चुका है। हाल ही में भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) में एयर स्ट्राइक कर 100 से ज्यादा आतंकियों को मार गिराया था।हालांकि टेरिटोरियल आर्मी की तैनाती तभी की जाएगी जब इसके लिए संबंधित मंत्रालय या विभाग बजट उपलब्ध कराएगा। यदि किसी मंत्रालय को टेरिटोरियल आर्मी की आवश्यकता है, तो उस खर्च का वहन भी वही मंत्रालय करेगा।
आतंकवाद के खिलाफ सख्त रवैया
इस ऑपरेशन के बाद भारत ने आतंकवाद के खिलाफ सख्त रवैया अपनाया है। ऐसे समय में टेरिटोरियल आर्मी की भूमिका काफी महत्वपूर्ण हो जाती है, क्योंकि ये न केवल सुरक्षा के मोर्चे पर सहयोग कर सकते हैं, बल्कि रेगुलर आर्मी को भी मजबूती से सपोर्ट कर सकते हैं।