अखिलेश को बड़ा झटका, महागठबंधन से अलग हुई निषाद पार्टी, थाम सकती है BJP का दामन

लोकसभा चुनाव 2019 से पहले उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा महागठबंधन (SP-BSP Alliance) को बड़ा झटका लगा है. 26 मार्च को अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन का ऐलान करने वाली निषाद पार्टी ने महागठबंधन से अलग होने का ऐलान कर दिया है. निषाद पार्टी का सपा से किनारा करने को महागठबंघन के लिए पूर्वांचल में बड़ा झटका माना जा रहा है.


गौरतलब है कि 26 मार्च को सपा ने निषाद पार्टी को अपने गठबंधन में शामिल किया था. इसी की वजह से अखिलेश फिर से गोरखपुर जीतने का दावा कर रहे थे. ज्ञात हो गोरखपुर के उपचुनाव में संजय निषाद के पुत्र प्रवीण निषाद को सपा ने प्रत्याशी बनाया था, और प्रवीण निषाद ने भाजपा के उपेंद्र शुक्ल को पराजित किया था.


मंगलवार को सपा-बसपा गठबंधन को मजबूत करने का दम भरने वाले डॉ. संजय निषाद ने शुक्रवार को कहा ‘महागठबंधन में हम गए लेकिन हमें लगा कि धोखा हो गया. अखिलेश यादव ने हमें सम्मान नहीं दिया. हमारा बैनर-पोस्टर में कहीं नाम नहीं दिया गया. पहले ही दिन से हमें लगा कि सामान्य स्थिति नहीं है और कहीं न कहीं हमें मिटाने की साजिश हो रही है.


निषाद पार्टी के प्रमुख संजय निषाद हैं और उनके पुत्र प्रवीण निषाद ने 2018 के में सपा के टिकट पर गोरखपुर से लोकसभा उपचुनाव जीता था. यह जीत इसलिये मायने रखती थी क्योंकि यह सीट उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अपनी लोकसभा सीट थी और वह पहले कई बार इस सीट से सांसद रह चुके है.


सूत्रों का कहना है कि योगी आदित्यनाथ की सहमति बन गई तो भाजपा प्रवीण निषाद को ही गोरखपुर से उम्मीदवार बना सकती है. इसके अलावा घोसी संसदीय सीट पर भी विकल्प खुला है. शाम को भाजपा मुख्यालय में कोर ग्रुप की बैठक में भी संजय निषाद पर चर्चा हुई लेकिन, भाजपा ने इस पर अपना पत्ता नहीं खोला है.


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