थिएटर में चल रही थी फिल्म तभी एक शख्स ने कहा ‘अल्लाह हू अकबर’, और मूवी छोड़कर भाग गए दर्शक

कहते हैं ईश्वर शान्ति का दूसरा नाम है. उनके स्मरण मात्र से हृदय में सुख की अनुभूति होती है. ईश्वर से भी ज्यादा उसके नाम में शक्ति होती है. इसके उच्चारण मात्र से मनुष्य निर्भयता को प्राप्त होता है. लेकिन इसके ठीक विपरीत ‘अल्लाह हू अकबर’ (Allah Hu Akbar) आम जनमानस में भय का वातावरण बनाए दे रहा है. लोगों में इसका डर इस कदर बैठ गया है इसकी बानगी पेरिस के एक सिनेमाहॉल से देखने को मिली. जहां फिल्म के दौरान एक शख्स ने अल्लाह हू अकबर के नारे लगाए. जिसे सुनकर हॉल में अफरातफरी मच गयी और दर्शक फिल्म छोड़कर भाग गए.


दरअसल, पेरिस के ग्रैंड रेक्‍स सिनेमा में रविवार देर शाम 9:30 बजे का शो था. हॉलीवुड फिल्‍म ‘जोकर’ चल रही थी. दर्शक इस बेहतरीन फिल्‍म का आनंद ले रहे थे, लेकिन तभी उनके बीच बैठा एक शख्‍स चिल्‍लाते हुए कहता है, ‘अल्‍लाह हू अकबर.’ सिनेमाहॉल का माहौल बदल जाता है. सब डर जाते हैं. अंदर भगदड़ जैसी स्‍थ‍िति मच जाती है. अफरातफरी मच जाती है. लोग चारो तरफ भागने लगते हैं. पलक झपकते ही पूरा सिनेमा खाली हो गया. एक स्‍थानीय मीडिया हाउस से बात करते हुए विक्‍टर नाम के दर्शक ने कहा कि सब बुरी तरह डर गए थे. लोग भागने लगे. कुछ महिलाएं नीचे गिर गईं.


सुरक्षा के लिहाज से पूरे रेक्‍स सिनेमा को खाली करवाया गया. बम स्‍क्‍वॉड ने आकर गहन तलाशी ली. हालांकि, किसी भी तरह का विस्‍फोटक या घातक हथियार नहीं मिला. Le Parisien की रिपोर्ट के अनुसार, सोमवार को पूछताछ के बाद उस शख्‍स को छोड़ दिया गया है. पूछताछ के अलावा उसकी मनोरोग संबंधी जांच भी हुई. रेक्‍स सिनेमा के एक डायरेक्‍टर ने बाद में ‘द हॉलीवुड रिपोर्टर’ को बताया कि उस शख्‍स की मंशा किसी हमले की नहीं थी. वह इस तरह की हरकत से लोगों का ध्‍यान बंटाना चाहता था, ताकि दर्शकों का सामान चुरा सके.


ग़ौरतलब है कि आतंकी संगठनों से द्वारा की गई आतंकी घटनाओं में अक्सर “अल्‍लाह हू अकबर!” नारा सुनाई देता है. आज के समय में यह शब्द डर का पर्याय बन चुका है. ‘अकबर’ के अरबी शब्द का अर्थ है बड़ा. यह इस्लामी परिभाषा में ईश्वर अल्लाह की गुणवाचक संज्ञा है. इस परिभाषा में अकबर का अर्थ होता है. बहुत बड़ा, सबसे बड़ा. अजान के प्रथम बोल हैं. ‘अल्लाह हू अकबर’ अर्थात अल्लाह बहुत बड़ा/सबसे बड़ा है. इसमें यह भाव निहित है कि अल्लाह के सिवाय दूसरों में जो भी, जैसी भी, जितनी भी बड़ाइयां पाई जाती हैं. वे ईशू प्रदत्त हैं, और ईश्वर की महिमा व बड़ाई से बहुत से बहुत छोटी, तुच्छ, अपूर्ण,अस्थाय़ी, त्रुटियुक्त है.


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