कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद (Salman Khurshid) को हिंदुत्व पर अपनी विवादित टिप्पणी को लेकर भारी विरोध का सामना करना पड़ रहा है. विरोधी तो घेर ही रहे खुद उन्हीं की पार्टी के गुलाम नबी आजाद भी खुर्शीद के बयान को गलत बता रहे हैं. वहीं इसी बीच खुर्शीद के राजनीतिक गढ़ फर्रूखाबाद (Farrukhabad) में उनकी टिप्पणी को लेकर आक्रोश का माहौल देखने को मिल रहा है. हिंदू जागरण मंच के कार्यकर्ताओं ने खुर्शीद का पुतला फूंका, उनके खिलाफ नारेबाजी की, इतना ही नहीं कांग्रेस नेता की फोटो को जूते से पानी भी पिलाया.
गुरूवार को कायमगंज में हिंदू जागरण मंच के कार्यकर्ता जवाहर गंज में विभागीय कार्यालय इकट्ठा हुए और सलमान खुर्शीद की किताब में हिंदू समाज की तुलना ISIS और बोको हराम से करने पर आक्रोश जताया. कार्यकर्ताओं ने सलमान खुर्शीद की फोटो लेकर बीच चौराहे पर ‘सलमान खुर्शीद मुर्दाबाद’ के नारे लगाते हुए फोटो को जूते से भरकर पानी पिलाया और जूते मारते हुए फोटो को आग के हवाले कर दिया. इस दौरान प्रदीप सक्सेना (विभागीय अध्यक्ष), अनूप चौबे, सनी शर्मा, अवधेश यादव, शानू, शिवमंगल कौशल आदि लोग मौजूद रहे.
जानिए खुर्शीद की किस टिप्पणी पर मचा है बवाल ?
दरअसल, सलमान खुर्शीद ने अपनी नई किताब ‘सनराइज ओवर अयोध्या: नेशनहुड इन आवर टाइम्स’ में एक पूरा अध्याय देश में हिंदुत्व की बढ़ती विचारधारा के ऊपर लिखा है. खुर्शीद किताब में लिखते हैं, “हिंदुत्व साधु-संतो के सनातन और प्राचीन हिंदू धर्म को अलग कर रहा है, जो हर तरह से आतंकी संगठन आईएसआईएस और बोको हराम जैसे जिहादी इस्लामिक संगठनों की तरह है. सलमान खुर्शीद ने आगे कहा है, “हिंदू धर्म बहुत ही उच्च स्तर का धर्म है. इसके लिए महात्मा गांधी ने जो प्रेरणा दी है, उससे बढ़कर कुछ नहीं हो सकता है. कोई इसमें नया लेबल लगा देगा तो उसे मैं क्यों मानूंगा? कोई हिंदू धर्म का अपमान करेगा तो भी मैं बोलूंगा. मैंने ये कहा कि हिंदुत्व की राजनीति करने वाले गलत हैं और आईएसआईएस भी गलत है.”
सलमान खुर्शीद लिखते हैं, “मेरी अपनी पार्टी (कांग्रेस में), चर्चा अक्सर इस मुद्दे की तरफ मुड़ जाती है. कांग्रेस में एक ऐसा वर्ग भी है, जिसे इस बात पर पछतावा है, हमारी छवि अल्पसंख्यक समर्थक पार्टी की है. ये वर्ग केवल जनेऊधारी पहचान की वकालत करता है. इन्होंने अयोध्या पर आए फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए ये ऐलान किया कि अब इस स्थल पर भव्य मंदिर बनाया जाना चाहिए. इस रुख ने निश्चित तौर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के उस हिस्से को अनदेखी की गई, जिसमें मस्जिद के लिए भी जमीन देने का निर्देश दिया गया था.”
INPUT- Abhishek Gupta
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