समाजवादी पार्टी (Samajwadi party) के नेता और अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के करीबी इत्र व्यापारी मनोज दीक्षित (Manoj Dixit) के ठिकानों पर प्रवर्तन निदेशालय (ED), इनकम टैक्स (IT) और जीएसटी (GST) की टीमें 24 घंटे से छापेमारी कर रही हैं। कारोबारी और उनके परिवार के सभी सदस्यों को घर के अंदर ही रखा गया है, जबकि बाहरी लोगों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है।
दीवार फांदकर अंदर गई टीम, कई ठिकानों पर छानबीन जारी
बुधवार सुबह जब जांच एजेंसियों की टीम फर्म चंद्रवली एंड संस पहुंची तो परिवार ने गेट नहीं खोला। इसके बाद अधिकारियों ने दीवार फांदकर प्रवेश किया और छानबीन शुरू की। टीम 26 कोल्ड स्टोरेज, 5 स्कूल और 3 होटलों से संबंधित दस्तावेजों की जांच कर रही है। इसके अलावा, ओडिशा में मौजूद संपत्तियों की भी जांच चल रही है।
पुरानी शिकायत के आधार पर कार्रवाई
इनकम टैक्स विभाग को मनोज दीक्षित और उनके भाइयों के खिलाफ वित्तीय गड़बड़ियों की शिकायत मिली थी। इससे पहले भी एक साल पहले जीएसटी विभाग ने छापेमारी की थी, लेकिन तब कोई बड़ी अनियमितता सामने नहीं आई थी।
तीन पीढ़ियों से इत्र कारोबार, राजनीति में भी सक्रियता
इत्र फर्म चंद्रवली एंड संस की स्थापना पंडित चंद्रवली ने की थी। उनके बेटे वीरेंद्र दीक्षित ने इसे आगे बढ़ाया और आज तीसरी पीढ़ी के 6 भाई – सुबोध, अतुल, मनोज, विपिन, राम और श्याम दीक्षित – इस व्यापार को संभाल रहे हैं।
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राजनीति में भी प्रभावशाली परिवार
- मनोज दीक्षित ने राष्ट्रीय क्रांति पार्टी से छिबरामऊ विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए। बाद में वे समाजवादी पार्टी में शामिल हुए और प्रदेश सचिव बने।
- 2024 लोकसभा चुनाव के दौरान मनोज दीक्षित ने भाजपा सांसद सुब्रत पाठक पर विवादित बयान दिया था, जिसके बाद दोनों के बीच तनातनी जारी है।
- उनके भाई विपिन दीक्षित और राम दीक्षित भाजपा से जुड़े हैं, जबकि सुबोध दीक्षित की पत्नी उमा दीक्षित ने भाजपा से कन्नौज नगर पालिका चुनाव लड़ा था, लेकिन हार गईं।
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परिवार के कई नेताओं से अच्छे संबंध
- राम दीक्षित भाजपा सांसद सुब्रत पाठक के करीबी हैं।
- विपिन दीक्षित, समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण के नजदीकी माने जाते हैं।
- परिवार के सभी राजनीतिक दलों से संपर्क हैं, जिससे उनकी पकड़ मजबूत बनी हुई है।
- फिलहाल, ईडी, आईटी और जीएसटी की टीमें जांच में जुटी हैं, लेकिन अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है।