मुकेश कुमार, संवाददाता गोरखपुर। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के रक्षा एवं सामरिक अध्ययन विभाग के तत्वावधान में हीरक जयंती सप्ताह के अंतर्गत भारतीय सीमा सुरक्षा में सीमा सुरक्षा संगठन (बीआरओ) की भूमिका’ विषय पर शनिवारी संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
सीमा सड़क संगठन की अहम भूमिका पर चर्चा
संगोष्ठी में विभागाध्यक्ष प्रो. विनोद कुमार सिंह ने कहा कि 1962 के भारत-चीन युद्ध में भारत की पराजय का एक प्रमुख कारण सीमावर्ती क्षेत्रों में आवागमन के साधनों की कमी थी। इसी को ध्यान में रखते हुए 7 मई 1960 को सीमा सड़क संगठन (BRO) की स्थापना की गई। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार द्वारा बीआरओ के बजट में वृद्धि की गई है और सीमा क्षेत्रों में कनेक्टिविटी को मजबूत करने के लिए कई सड़क परियोजनाएं चलाई जा रही हैं, जिससे भारतीय सेना को हर मौसम में सीमा तक पहुंचने में सुविधा हो।
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शोध छात्रा ने सीमा सुरक्षा पर शोध पत्र प्रस्तुत किया
इस विषय पर विभाग की शोध छात्रा रूपम श्रीवास्तव ने अपना शोध पत्र प्रस्तुत किया। उन्होंने भारत के भौगोलिक सीमाओं, 1962 के भारत-चीन युद्ध और कारगिल संघर्ष के दौरान सियाचिन क्षेत्र में आतंकवादियों के हमलों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बीआरओ की प्रमुख उपलब्धियों जैसे अटल टनल, उमलिंग ला में दुनिया की सबसे ऊंची सड़क आदि का विस्तार से वर्णन किया।
विशेषज्ञों और शोधार्थियों की सहभागिता
कार्यक्रम में प्रो. सतीश चंद्र पांडेय, प्रो. श्रीनिवास मणि त्रिपाठी, डॉ. जितेंद्र कुमार, डॉ. विजय कुमार सहित विभाग के शोध छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।
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