अयोध्या राम मंदिर विवाद: सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी तक के लिए टाली सुनवाई, जनवरी में तय होगी तारीख

अयोध्या राम मंदिर मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई जनवरी तक के लिए टाल दी है. दो लाइन के अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई जनवरी में शुरू किए जाने का फैसला दिया है. मामले की नियमित सुनवाई पर फैसला भी अब जनवरी में ही होगा.

 

सुप्रीम कोर्ट में इलाहाबाद हाईकोर्ट के दिए फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई होनी थी. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2010 के दिए अपने फैसले में विवादित भूमि को तीन हिस्सों में बांट दिया था.

 

मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एसके कौल और जस्टिस केएम जोसेफ की बेंच ने की. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 30 सितंबर, 2010 को 2:1 के बहुमत से अपने फैसले में कहा था कि 2.77 एकड़ जमीन को तीनों पक्षों- सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला में बराबर-बराबर बांट दिया जाए. इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई हैं.

 

इससे पहले 27 सितंबर को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने 1994 के अपने फैसले पर पुनर्विचार से इनकार करते हुए मस्जिद को इस्लाम का आंतरिक हिस्सा मानने से इनकार कर दिया था. मामले की सुनवाई मौजूदा चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नजीर कर रहे थे. सुप्रीम कोर्ट ने अपने 1 के मुकाबले 2 जजों के बहुमत फैसले में कहा था कि मामले की सुनवाई सबूतों के आधार पर होगी.

 

वहीं मुस्लिम पक्षकारों की ओर से दलील दी गई थी कि 1994 में इस्माइल फारुकी केस में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि मस्जिद में नमाज पढ़ना इस्लाम का अभिन्न अंग नहीं है. इस लिहाज से इस फैसले को दोबारा देखने की जरुरत है. और यही कारण है कि कि पहले मामले को संवैधानिक बेंच को भेजा जाना चाहिए. जमीन पर मालिकाना हक किसका है, इसकी लड़ाई 1949 से देश की अदालतों में लड़ी जा रही है.

 

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