सीएम योगी ने यूपी उपचुनाव में दिखाया दम, पांच दिन में 13 रैलियां और दो रोड शो

उत्तर प्रदेश में आगामी उपचुनावों के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने अपनी चुनावी मेहनत को और तेज कर दिया है। उपचुनाव की घोषणा के बाद, योगी ने अपने गृह राज्य में पांच दिनों में 13 रैलियां और दो रोड शो किए, जिससे वह मतदाताओं के बीच अपनी पहुंच और भाजपा की जीत की उम्मीद को और मजबूत करने में सफल रहे।

योगी आदित्यनाथ ने इस उपचुनाव में “विकास और संवाद” के फार्मूले को अपनाया। गाजियाबाद, खैर, मीरापुर, मझवा और फूलपुर सहित कई महत्वपूर्ण सीटों पर भाजपा की जीत को बरकरार रखने के लिए उन्होंने पूरे जोश के साथ अभियान चलाया। इसके अलावा, अन्य सीटों पर भी भाजपा को जीत दिलाने के लिए उन्होंने पूरी ताकत झोंक दी।

मुख्यमंत्री ने इस दौरान माफिया के खिलाफ अपनी कठोर नीति और समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की नीयत पर निशाना साधते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश को माफिया मुक्त करने के बाद अब अन्य राज्यों में भी माफिया से छुटकारा दिलाने के लिए भाजपा को समर्थन मिलना चाहिए। उन्होंने मतदाताओं से अपील की कि अगर वे विकास चाहते हैं, तो उन्हें फिर से “कमल” खिलाना होगा। योगी की यह अपील मतदाताओं में काफी प्रभावी साबित हो रही है, और यूपी में माफिया विरोधी उनके अभियान ने वोटरों को फिर से भाजपा के पक्ष में गोलबंद किया है।

उपचुनाव के लिए योगी ने गाजियाबाद, खैर, मीरापुर, मझवा, और फूलपुर से भाजपा उम्मीदवारों को प्रचार-प्रसार के लिए प्रेरित किया, जबकि अन्य सीटों जैसे कटेहरी, करहल, कुंदरकी, और सीसामऊ में भी उन्होंने भाजपा प्रत्याशियों के लिए पसीना बहाया।

इस उपचुनाव में भाजपा के लिए खास बात यह रही कि योगी की मेहनत ने समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव को अपने प्रत्याशियों की याद दिलाई। पहले के मुकाबले, अखिलेश ने इस बार खुद चुनावी मैदान में उतरने की बजाय अपने प्रत्याशियों को छोड़ दिया था, लेकिन योगी ने हर चुनाव में अपनी पार्टी के प्रत्याशियों को पूरा समर्थन दिया।

योगी आदित्यनाथ ने हमेशा ही उपचुनावों में सक्रिय भूमिका निभाई है, और इसका असर भाजपा की जीत पर पड़ा है। जैसे कि 2022 में गोला गोकर्णनाथ, 2023 में छानबे और स्वार टांडा उपचुनाव में योगी के प्रचार के कारण भाजपा की जीत सुनिश्चित हुई थी। इसी तरह, रामपुर और ददरौल में भी योगी की सक्रियता ने भाजपा को सफलता दिलाई।

इस उपचुनाव में योगी आदित्यनाथ की मेहनत और उनकी चुनावी रणनीतियां भाजपा के लिए जीत की कुंजी साबित हो सकती हैं, और मतदाता 20 नवंबर को मतदान के बाद परिणामों का इंतजार कर रहे हैं।

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