अब तक का सबसे बड़ा Digtal Arrest, ग्वालियर में BSF का इंस्पेक्टर 32 दिन तक कैद, 71 लाख की ठगी

ग्वालियर (Gwalior) में साइबर अपराध का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां सीमा सुरक्षा बल (BSF) के एक इंस्पेक्टर को 32 दिनों तक डिजिटल अरेस्ट (Digital Arrest) में रखकर साइबर ठगों ने 71 लाख रुपये की ठगी कर ली। ठगों ने पीड़ित को तब छोड़ा, जब उसने उनके खाते में पूरी रकम ट्रांसफर कर दी।

डिजिटल अरेस्ट से परेशान टीचर ने दी जान

वहीं, मध्य प्रदेश के मऊगंज जिले के घूरेहटा गांव में 35 वर्षीय टीचर रेशमा पांडे ने साइबर ठगों से परेशान होकर आत्महत्या कर ली। कई दिनों से वे डिजिटल अरेस्ट का शिकार थीं। ठग लगातार उन्हें फोन कर पैसे की मांग कर रहे थे। तंग आकर रेशमा ने अपनी जान दे दी। हैरानी की बात यह है कि उनकी मौत के बाद भी ठगों के फोन आते रहे।

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कानपुर में लगातार बढ़ रहे मामले

डिजिटल अरेस्ट के मामले कानपुर में भी तेजी से बढ़ रहे हैं। 14 सितंबर को काकादेव के एक एनआरआई डॉक्टर के साथ ऐसा ही मामला सामने आया, जिसमें ठगों ने उन्हें डिजिटल अरेस्ट में रखकर 80 लाख रुपये ठग लिए। क्राइम ब्रांच की टीम ने कार्रवाई करते हुए 50% रकम वापस कराई।

इसके बाद, शहर में डिजिटल अरेस्ट के 24 से ज्यादा प्रयास किए गए। हालांकि, जागरूकता के चलते कुछ लोग बच गए, लेकिन 16 लोग शातिर ठगों के शिकार हो गए। इन मामलों में 4.70 करोड़ रुपये की ठगी हुई। पुलिस ने क्राइम ब्रांच में 5 और विभिन्न थानों में 11 मामले दर्ज किए हैं।

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क्या है डिजिटल अरेस्ट?

डिजिटल अरेस्ट एक प्रकार का साइबर अपराध है, जिसमें ठग खुद को पुलिस, सीबीआई, ईडी, कस्टम, इनकम टैक्स या नारकोटिक्स अधिकारी बताकर कॉल करते हैं। वे पीड़ित पर अवैध गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाते हैं और उसे तुरंत वीडियो कॉल पर आने के लिए मजबूर करते हैं। इसके बाद फर्जी आईडी या दस्तावेज दिखाकर गिरफ्तारी से बचने के लिए जुर्माना देने का दबाव बनाया जाता है।

डिजिटल अरेस्ट से कैसे बचें?

सरकारी एजेंसियों से संबंधित जानकारी:

जान लें कि कोई भी सरकारी एजेंसी व्हाट्सएप या स्काइप जैसे प्लेटफॉर्म पर आधिकारिक बातचीत नहीं करती।

संदिग्ध कॉल पर सतर्कता:

किसी भी संदिग्ध कॉल या मैसेज को तुरंत रिपोर्ट करें। नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल या लोकल पुलिस से संपर्क करें।

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व्यक्तिगत जानकारी न दें:

फोन पर किसी भी प्रकार की पर्सनल या फाइनेंशियल जानकारी साझा न करें।

कॉल की पुष्टि करें:

किसी संदिग्ध कॉल पर बात न करें। अगर कॉल में पारिवारिक सदस्य की दुर्घटना जैसी बात कही जाए, तो तुरंत उस सदस्य या संबंधित अस्पताल से संपर्क करें।

साइबर क्राइम हेल्पलाइन: ऐसे मामलों की सूचना 1930 पर दें।

साइबर ठगों से बचने के लिए सुझाव
  • किसी अज्ञात व्यक्ति से वीडियो कॉल न करें।
  • बैंक पिन, आधार नंबर जैसी जानकारी साझा न करें।
  • किसी भी ठग की बातों में आकर डरें नहीं, बल्कि तुरंत पुलिस को सूचित करें।
  • डिजिटल अरेस्ट के बढ़ते मामलों के चलते प्रशासन ने लोगों से सतर्क रहने और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत पुलिस को देने की अपील की है।

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