विश्व बौद्धिक संपदा दिवस के अवसर पर माननीय कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने विश्वविद्यालय की “आईपीआर एवं अनुसंधान पुरस्कार स्थिति 2024” पुस्तिका का किया विमोचन

मुकेश कुमार, ब्यूरो चीफ़ पूर्वांचल। माननीय कुलपति प्रो. पूनम टंडन के दूरदर्शी नेतृत्व में दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में अनुसंधान की गुणवत्ता को सशक्त बनाने और शिक्षकों एवं शोधार्थियों को बौद्धिक संपदा अधिकारों (IPRs) की ओर प्रेरित करने के लिए उल्लेखनीय प्रयास किए जा रहे हैं। पेटेंट, कॉपीराइट, भौगोलिक संकेतक, ट्रेडमार्क, व्यापार रहस्य आदि के रूप में बौद्धिक संपदा अधिकार गुणवत्ता शिक्षा के प्रमुख संकेतक बन चुके हैं और अब शोध का अभिन्न हिस्सा बन गए हैं।

Also Read : डीडीयू गोरखपुर विश्वविद्यालय में शुरू हुई प्रवेश प्रक्रिया, इस बार रजिस्ट्रेशन अनिवार्य

हर वर्ष 26 अप्रैल को विश्व बौद्धिक संपदा दिवस मनाया जाता है, जो कि 1970 में विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO), जिनेवा कन्वेंशन के लागू होने की स्मृति में मनाया जाता है। वर्ष 2000 में WIPO के सदस्य देशों ने 26 अप्रैल को “विश्व आईपी दिवस” के रूप में मनाने का निर्णय लिया ताकि बौद्धिक संपदा के प्रति सामान्य समझ को बढ़ाया जा सके। यह दिन विश्वभर के आविष्कारकों और रचनाकारों के योगदान का उत्सव मनाने का एक विशेष अवसर प्रदान करता है। इस वर्ष की थीम “आईपी और संगीत: आईपी की धड़कन को महसूस करें” रखी गई है।

माननीय कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने पेटेंट या कॉपीराइट फाइल करने के इच्छुक व्यक्तियों के लिए वित्तीय सहायता का प्रावधान किया है और विश्वविद्यालय के नाम पर पेटेंट एवं कॉपीराइट दाखिल करने में सहायता हेतु विशेषज्ञ भी उपलब्ध कराए हैं। इस प्रावधान के तहत अब तक 60 से अधिक पेटेंट दाखिल किए जा चुके हैं, जिनमें से 25 से अधिक पेटेंट प्रकाशित हो चुके हैं और 20 से अधिक फाइलिंग प्रक्रिया में हैं। तीन कॉपीराइट पंजीकृत हो चुके हैं और 13 से अधिक कॉपीराइट प्रस्तुत किए जा चुके हैं

Also Read : सरकार ने सभी मीडिया चैनलों को जारी की एडवाइजरी, रक्षा अभियानों की लाइव कवरेज पर रोक

बौद्धिक संपदा अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाने हेतु विश्वविद्यालय के अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ तथा आईपीआर प्रकोष्ठ द्वारा 2 मार्च 2024 एवं 30 जनवरी 2025 को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद, उत्तर प्रदेश के वित्तीय सहयोग से दो कार्यशालाओं का आयोजन किया गया।

कॉपीराइट दाखिल/पंजीकरण की विभागवार स्थिति:

अनुसंधान उत्कृष्टता को बढ़ावा देने हेतु दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय ने “अनुसंधान पुरस्कार” की शुरुआत की है, जो मुख्यतः प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय शोध पत्रिकाओं (Scopus या Web of Science में सूचीबद्ध) में प्रकाशित शोध कार्यों पर आधारित है। यह पुरस्कार पत्रिकाओं की क्वारटाइल रैंकिंग (Q1 से Q4) के अनुसार प्लेटिनम, डायमंड, गोल्ड और सिल्वर श्रेणियों में प्रदान किए जाते हैं, जिससे एक सम्मानजनक स्तरीय प्रणाली स्थापित होती है।

Also Read : ‘कुछ लोग कभी नहीं बदलेंगे, सबक सिखाना हमारा धर्म…’, पहलगाम हमले पर बोले RSS चीफ मोहन भागवत

इन पुरस्कारों के मुख्य उद्देश्य हैं:

उच्च प्रभाव वाली अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशन को प्रोत्साहित करना तथा विश्वविद्यालय की अकादमिक प्रतिष्ठा को बढ़ाना।

शिक्षकों एवं शोधार्थियों को उत्कृष्ट शोध कार्य हेतु प्रेरित करना।

वैश्विक अकादमिक मानकों के अनुरूप एक अनुसंधान-केन्द्रित संस्कृति का विकास करना ।

वर्ष 2024 के लिए “यूआरईए पुरस्कार वितरण समारोह” का आयोजन 17 फरवरी 2025 को किया गया, जिसमें माननीय कुलपति प्रो. पूनम टंडन मुख्य अतिथि रहीं। इस अवसर पर कुल 67 प्रतिभागियों (शिक्षक एवं छात्र) को लगभग पांच लाख रुपये की वित्तीय सहायता के साथ पुरस्कार प्रदान किए गए।
डॉ. अम्बरीश कुमार श्रीवास्तव, जैव प्रौद्योगिकी विभाग को वर्ष 2024 के लिए “आउटस्टैंडिंग रिसर्चर अवार्ड” से सम्मानित किया गया।

Also Read — जयपुर: विधायक बालमुकुंद आचार्य के खिलाफ FIR दर्ज, जामा मस्जिद में नारेबाजी करने का आरोप

इस अवसर पर अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ के निदेशक प्रो. दिनेश यादव, अंतरराष्ट्रीय प्रकोष्ठ के निदेशक डॉ. रामवंत गुप्ता, प्रो. मनीष श्रीवास्तव, प्रो. उमेश यादव एवं आईपीआर प्रकोष्ठ के नोडल अधिकारी डॉ. मनीन्द्र कुमार उपस्थित रहे।

देश और दुनिया की खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें, आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं