Aravali Case: सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने अरावली पर्वत श्रृंखला की नई परिभाषा को लेकर पिछले महीने दिए गए अपने आदेश पर रोक लगा दी। पर्यावरण कार्यकर्ताओं और वैज्ञानिकों का कहना था कि नई परिभाषा से संवेदनशील पारिस्थितिकी तंत्र के बड़े हिस्से खनन के लिए खोले जा सकते हैं। मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली अवकाशकालीन पीठ ने कहा कि समिति की सिफारिशों और अदालत के निर्देशों को स्थगित रखना जरूरी है, और यह रोक नई समिति के गठन तक लागू रहेगी।
सरकार से मांगा जवाब, नई समिति का गठन
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और चार राज्यों को नोटिस जारी किया है और सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है। मामले की अगली सुनवाई 21 जनवरी को तय की। अदालत ने विशेषज्ञों की एक नई समिति बनाने का निर्देश भी दिया, ताकि नई परिभाषा की समीक्षा निष्पक्ष और तटस्थ तरीके से हो सके। इस कदम से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि किसी भी अनियमित खनन को बढ़ावा न मिले।
विवाद की शुरुआत और सरकार की भूमिका
यह विवाद तब शुरू हुआ जब केंद्र सरकार ने अरावली की नई परिभाषा अधिसूचित की। कार्यकर्ताओं और विशेषज्ञों का आरोप था कि इसे पर्याप्त मूल्यांकन और सार्वजनिक परामर्श के बिना बनाया गया। नई परिभाषा से हरियाणा, राजस्थान और गुजरात में अरावली के बड़े हिस्सों पर खनन का खतरा बढ़ सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्टता पर जोर दिया
सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि समिति की रिपोर्ट और अदालत की टिप्पणियों की गलत व्याख्या हो रही है। उन्होंने कहा कि कार्यान्वयन से पहले निष्पक्ष और स्वतंत्र विशेषज्ञ की राय आवश्यक है। सीजेआई ने यह भी स्पष्ट किया कि नई परिभाषा ने गैर-अरावली क्षेत्रों को बढ़ाकर अनियमित खनन को बढ़ावा तो नहीं दिया, इसे सुनिश्चित करना जरूरी है।




















































