OPINION: बेरोजगारी दूर करने के लिए केंद्र व राज्य सरकारों ने उठाये कदम

देश में बेरोजगारी की दर को कम करने के लिए केंद्र व भाजपा की राज्य सरकारें ठोस कदम उठाने की दिशा में बढ़ रही हैं। बेरोजगारी विगत कई विधानसभा चुनावों में युवाओ के बीच एक गम्भीर मुददा रहा है और अगले साल नौ राज्यों में विधानसभा चुनाव तथा 2024 में लोकसभा चुनाव भी होने हैं। वर्ष के अन्त में गुजरात व हिमांचल राज्यों के विधानसभा चुनाव होने जा रहे है। ऐसे में भाजपा की केंद्र व राज्य सरकारों ने युवाओ की सुध लेते हुए कुछ क्रांतिकारी कदम उठाकर एक साथ कई लक्ष्य साधने के प्रयास किए हैं।

केंद्र सरकार ने बेरोजगारी की समस्या को कम करने के लिए सरकारी नौकरियों में बैकलाग भरने के निर्देश दिए हैं। प्रधानमंत्री ने सभी विभागों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि अगले डेढ़ साल में मिशन मोड में 10 लाख भर्तियां की जायें। अनुमानित आंकड़ो के अनुसार 40 लाख केंद्रीय पदों में फिलहाल नौ लाख स्वीकृत पद खाली हैं। यह अब तक का सबसे बड़ा महाभियान होगा क्योंकि पिछले कई दशकों से सरकार में इतने बड़े पैमाने पर भर्तियां नहीं हुई हैं। इस महाभियान में एससी, एसटी और पिछड़े वर्गो के लिए आरक्षित पद भी भर दिए जायेंगे। इस महाभियान के अंतर्गत रेलवे भी अगले एक साल में 1,48,463 लोगों की भर्ती करेगा। इस महाभियान के माध्यम से युवाओं में छायी हुई निराशा को काफी हद तक दूर किया जा सकेगा।

सेना में भर्ती के लिए अग्निपथ योजना – केंद्र सरकार ने सेना को युवा बनाने के उद्देश्य से अग्निपथ नाम से एक नयी योजना की घोषणा कर दी है यह सेना में भर्ती का सबसे बड़ा सुधारात्मक कदम है। सेना में भर्ती के लिए अंग्रेजो के जमाने से चले रहे कानूनों व नियमों को समाप्त कर दिया गया है। इस योजना के अंतर्गत सेना में भर्ती होने वाले युवाओं को अग्निवीर कहा जायेगा। इस योजना के अंतर्गत 10वीं और 12वीं पास 17 से 21 वर्ष की आयु के 86,000 युवाओ का भर्ती किया जायेगा। योजना में छह माह की ट्रेनिंग और उसके बाद चार साल की सेवा के बाद उन्हें 11.71 लाख रूपये का करमुक्त सेवा निधि पैकेज भी मिलेगा। भर्ती अखिल भारतीय चयन समिति के तहत होगी। इस योजना में भर्ती होने वाले सभी युवाओं को देशभर में हर जगह नियुक्त किया जायेगा तथ इस योनजा में सेना के तीनों अंग जल, थल एवं नभ शामिल हैं। युवाओं मे लड़के एवं लडकियां दोनों शामिल होंगे।

योजना की घोषणा करते समय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने बताया कि भर्ती प्रक्रिया में बदलाव से सैनिको की भर्ती शुरू में चार साल के लिए होगी लेकिन बेहतर प्रदर्शन करने वाले करीब 25 फीसदी को आगे सेना में नियमित कर दिया जायेगा। उन्होंने बताया कि यह जवान चार साल की सेवा के बाद स्वस्थ शारीरिक व मानसिक स्थिति और आधुनिक तकनीक कौशल के साथ समाज के विभिन्न हिस्सों में अपने बेहतर योगदान के लिए तैयार रहेंगे। वायुसेना और नौसेना में युवा महिलाओं की भी भर्तियां होंगी। इस योजना के अंतर्गत सेनाओं में नियमित करने के लिए चुने गये युवाओं को न्यूनतम 15 वर्ष की अतिरिक्त अवधि के लिए सेवा करनी होगी।

सबसे बड़ी बात यह है कि राष्ट्र की सेवा के दौरान अग्निवीरों को विभिन्न सैन्य कौशल और अनुभव, अनुशासन, शारीरिक फिटनेस, नेतृत्व गुण, साहस और देशभक्ति का प्रशिक्षण दिया जायेगा। सेवानिवृत्त हुए अग्निवीरों को नई सेवाओं के लिए प्राथमिकता देते हुए नागरिक समाज में शामिल किया जायेगा, जहां ये राष्ट्र निर्माण में योगदान दे सकते हैं। इस योजना में अगर सेवा के दौरान कोई जवान शहीद होता है तो उसके परिवार को एक करोड़ रूपये दिये जायेंगे। सेवाकाल में अगर जवान दिव्यांग हो जाता है तो 100 प्रतिशत दिव्यांगता पर 44लाख, 75 प्रतिशत पर 25 लाख व 50 प्रतिशत दिव्यांगता पर 15 लाख रूपये मिलेंगे। सरकार का कहना है कि सेना में यह नई भर्ती योजना गेमचेंजर साबित होगी लेकिन विपक्ष व विशेषज्ञ इस स्कीम पर कई सवाल भी खडे कर रहे हैं। सरकार का कहना है कि इससे सेना का आधुनिकीकरण तेज होगा और इस योजना से उन युवाओं को अवसर मिलेगा जो तकनीक कौशल में ढलकर अनुशासित रूप में समाज में योगदान देना चाहते हैं। इस योजना से भारतीय सैन्य बलों को युवा चेहरा मिलेगा। सेनाओं की वर्तमान औसत उम्र 32 साल है और जो घटकर 6-7 साल में 26 साल हो जायेगी।

सरकार ने योजना के लिए नारा दिया है कि आओ बनें हम भारत के अग्निवीर थलसेना,नौसेना और वायुसेना में। सबसे बड़ी बात यह है कि जब देश में कोई आतंकी हमला होता है या चीन और पाक जैसे शत्रुओें से निपटने की तैयारी होती है तब देश के बहुत से युवा सेना में जाने के लिए तैयार रहते हैं और बहुत से युवा एक सैनिक जैसा प्रशिक्षण प्राप्त करने की इच्छा रखते हैं। यह योजना इन युवाओं के लिए भविष्य की चाभी साबित हो सकती है।

गृह मंत्रालय ने सेवा समाप्ति पर अग्निवीरों को प्राथमिकता के साथ केंद्रीय बालों में स्थान दिए जाने की बात कही है जबकि भाजपा शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों ने अग्निवीरों को प्रदेश सरकार के सुरक्षा बलों में भर्ती के लिए प्राथमिकता देगी तथा इन अग्निवीरों का उपयोग अन्य सरकारी व निजी व क्षेत्रों में भी व्यापक स्तर पर किया जा सकता है। यही कारण है कि यह योजना गेमचेंजर कही जा रही है। आने वाले समय में अब सरकार व सेना के पास सेवा के लिए अतिरिक्त युवाओं की कमी नहीं हो पायेगी। अभी तक सेनामें जो भर्तियां हो रही थीं वह ब्रिटिशकाल के नियमों के अंतर्गत हो रही थी जिसके कारण हमारे पास युवा और ऊर्जावान सैनिकों की कमी पड़ जाती थी अब वह कमी दूर हो सकती है और देश में युवा बेरोजगारी की दर में भी गिरावट आ सकती है।

यद्यपि मोदी से विरोध रखने वाले देश के कुछ रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि योजना में मा़त्र छह महीने की ट्रेनिंग एक कुशल सैनिक तैयार करने के लिए अपर्याप्त है। विशेषज्ञों का कहना है कि लीक से हटकर किया गया यह निर्णय बेहद खतरनाक भी हो सकता है और पूरी तरह से प्रशिक्षण न मिलने पर एक सैनिक किसी के भी जीवन को खतरे में डाल सकता है। वहीं दूसरी ओर बिहार के भी छात्र सड़क पर उतर आये हैं और सरकार की नयी स्कीम का विरोध कर रहे हैं। अब देखना यह है कि आने वाले समय मे सरकार बेरोजगारी दूर करने के लिए अपनी सभी स्कीम को किस तरह से लागू करती है।

( मृत्युंजय दीक्षित, लेखक राजनीतिक जानकार व स्तंभकार हैं.)

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