बंगाल से लेकर पुडुचेरी तक अपनी लुटिया डुबोने वाली कांग्रेस मना रही BJP की हार का जश्न, सामने आई अंदरूनी कलह

‘बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना’ वाली कहावत तो आपने सुनी ही होगी, आज यही कहावत बीते दिन 4 राज्यों में आए चुनावी नतीजों के परिणाम को लेकर कांग्रेस पर एकदम सटीक बैठती है. बंगाल लेकर पुडुचेरी तक अपनी लुटिया डुबोने वाली कांग्रेस आज बीजेपी की हार पर जश्न मना रही है. वैसे देखा जाए तो खुशी मनाने की कोई वजह समझ नहीं आती लेकिन देश की सबसे पुरानी पार्टी आज इसे अपनी एक उपलब्धि मानकर ही संतुष्ट हो जाती है. वहीं इसे लेकर पार्टी की अंदरूनी कलह भी सामने आई है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता संजय झा और रागिनी नायक ने इसे निराशाजनक बताया है.


संजय झा ट्वीट कर लिखते हैं, “मेरी कांग्रेस और उनके समर्थकों से अपील है कि बंगाल में बीजेपी के सत्ता में न आ पाने का जश्न मनाने में समय खराब न करें. सारांश यह है- बीजेपी ने असम जीता. पुडुचेरी में विजेता गठबंधन का हिस्सा बनी. बंगाल में मुख्य विपक्षी दल बनी. खुद पर फोकस करें. अपनी खामियों को दूर करें. यह संकट है.”



यही नहीं केरल में भी कांग्रेस की पराजय पर सवाल उठाते हुए संजय झा ने कहा, “बंगाल में 10 साल तक सत्ता में रहने के बाद भी टीएमसी वापस आ गई है. इसके अलावा बंगाल में बीजेपी ने अपनी ताकत को बढ़ा लिया है. विपक्ष में रहने के बाद भी कांग्रेस के पास बचाव के लिए कुछ नहीं है. इसके अलावा केरल में भी कांग्रेस मौके का फायदा नहीं उठा सकी है.”



संजय झा के अलावा कांग्रेस की मौजूदा प्रवक्ता रागिनी नायक ने भी कांग्रेस के रवैये पर सवाल खड़ा किया है. उन्होंने ट्वीट कर लिखा, “यदि हम (कांग्रेसी) मोदी की हार में ही अपनी खुशी ढूंढते रहेंगे, तो अपनी हार पर आत्म-मंथन कैसे करेंगे.”



अपनी हार की गम नहीं, BJP की हार की खुशी मना रहे कांग्रेसी

चार राज्यों में निराशाजनक प्रदर्शन करने वाली कांग्रेस पार्टी बीजेपी की हार से खुश है. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस की प्रचंड जीत के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को बधाई दी. उन्होंने ट्वीट कर लिखा, ”मैं भाजपा को पराजित करने के लिए ममता बनर्जी जी और पश्चिम बंगाल के लोगों को बधाई देता हूं.” उनके अलावा कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने ममता को बधाई देते हुए ट्वीट किया, ”आज झांसी की रानी ने फिर से इतिहास लिख दिया.”


ममता की आंधी में उड़ गई कांग्रेस

बंगाल में सबसे बड़ा झटका वामपंथी दलों और कांग्रेस के गठबंधन को लगा है जिसका खाता तक नहीं खुल सका है. राज्य में तीन दशक तक निर्बाध शासन करने वाले वामपंथी दल और दो दशक तक लगातार शासन करने वाली कांग्रेस पहली बार विधानसभा से बाहर होगी. वामपंथी दल और कांग्रेस के गठबंधन का भरभरा कर गिर जाना तृणमूल कांग्रेस के लिए बेहद फायदेमंद हुआ. उसने बड़े आराम से 200 पार का आंकड़ा हासिल किया, जबकि भाजपा तीन अंकों (सौ और आगे) तक भी नहीं पहुंच सकी. कांग्रेस पार्टी एक भी सीट पर जीत दर्ज कर पाने में असफल रही.


राहुल ने झोंकी ताकत, फिर भी केरल में नुकसान

2019 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी ने केरल की वायनाड सीट से लोकसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया. यहां से उन्हें बंपर जीत भी मिली थी. इसके बाद वह लगातार केरल का दौरा करते रहे. इस विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने पूरी ताकत झोंक दी थी. उन्होंने सबसे ज्यादा समय केरल में ही बिताया था. हालांकि राहुल ने जिस हिसाब से केरल में अपनी ताकत झोंकी, उस हिसाब से पार्टी का प्रदर्शन काफी निराशाजनक रहा. 56 विधायकों वाली कांग्रेस चुनाव नतीजे में सिर्फ 40 सीट जीतने में सफल रही.


राहुल-प्रियंका की जोड़ी भी नहीं दिला सकी असम में जीत

असम में चुनाव खत्म होते ही कांग्रेस ने अपने सभी उम्मीदवारों को दूसरे राज्यों में शिफ्ट कर दिया था. उन्होंने एक समय लगा था कि वह सत्ता के नजदीक पहुंच सकती है. हालांकि परिणाम कुछ और रहे. असम चुनाव में राहुल गांधी और उनकी बहन प्रियंक गांधी ने काफी चुनाव प्रचार किए. उन्होंने मतदाताओं को लुभाने के लिए शॉफ्ट हिंदुत्व का भी सहारा लिया, बावजूद राज्य का सत्ता में वापसी में सफलता नहीं मिली. कांग्रेस पार्टी सत्ता के नजदीक भी नहीं पहुंच सकी. इस चुनाव में देश की सबसे पुरानी पार्टी को 10 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा है. वह 46 से 36 सीटों पर सिमटकर रह गई.


पुडुचेरी में 23 से 4 सीट तक का सफर

विधायकों के इस्तीफे के साथ ही चुनावों की घोषणा से ठीक पहले केंद्रशासित प्रदेश पुडुचेरी में कांग्रेस पार्टी की सरकार अल्पमत में आ गई थी. इसके बाद राज्य में राष्ट्रपति शासान लगा दिया था. इस विधआनसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को भारी नुकसान उठाना पड़ा है. सत्ता से बेदखल होने वाली पार्टी 23 से सीधे 4 सीट पर आकर रुकी है. यह काफी ही निराशाजनक प्रदर्शन है.


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