लखनऊ: चर्चित श्रवण साहू हत्याकांड में IPS मंजिल सैनी की बढ़ सकती हैं मुश्किलें, CBI ने की कार्रवाई की सिफारिश

राजधानी लखनऊ के बहुचर्चित श्रवण साहू हत्याकांड (Shravan Sahu Murder Case) में तत्कालीन एसएसपी मंजिल सैनी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। सीबीआई की जांच में आईपीएस मंजिल सैनी (IPS Manzil Saini) को श्रवण साहू की सुरक्षा में लापरवाही बरतने का दोषी माना गया है। सूत्रों का कहना है कि सीबीआई ने यूपी के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर मंजिल सैनी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने की सिफारिश की है।

दुकान में घुसकर बदमाशों ने श्रवण को मारी थी गोली

जानकारी के अनुसार, श्रवण साहू को जान का खतरा होने के बावजूद उन्हें सुरक्षा उपलब्ध कराने में पुलिस अधिकारियों की लापरवाही सामने आई है। पुलिस की इस लापरवाही की वजह से ही लखनूऊ के सआदतगंज क्षेत्र में 1 फरवरी 2017 को बदमाशों ने श्रवण साहू की दुकान में घुसकर गोली मार दी थी, जिसकी वजह से उनकी मौत हो गई थी। इससे पहले अक्टूबर 2013 में लखनऊ के हिस्ट्रीशीटर अकील अंसारी ने श्रवण साहू के बेटे आयुष की गोली मारकर हत्या कर दी थी। सीबीआइ हाई कोर्ट के आदेश पर श्रवण साहू हत्याकांड की जांच कर रही है।

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ठाकुरगंज इलाके में हुई बेटे की हत्या के मामले में श्रवण साहू लगातार पैरवी कर रहे थे। जेल में बंद अकील अंसारी की तरफ से श्रवण साहू को बयान से मुकरने और केस में पैरवी न करने की लगातार धमकी दी जा रही थी। फोन पर मिल रही धमकियों के बारे में श्रवण साहू ने लखनू की तत्कालीन एसएसपी मंजिल सैनी से मुलाकत भी की थी।

श्रवण ने लगाई थी गुहार पर नहीं मिली सुरक्षा

उन्होंने एसएसपी से सुरक्षा की गुहार भी लगाई थी, लेकिन श्रवण साहू को सुरक्षा नहीं दी गई। इसके विपरीत आयुष साहू हत्याकांड के आरोपियों ने एक साजिश के तहत श्रवण साहू पर ही केस दर्ज करा दिया था। इसे लेकर भी लखनऊ पुलिस के तत्कालीन अधिकारियों व कर्मियों के विरुद्ध विधिक कार्रवाई हुई थी। इसके बाद ही 1 फरवरी 2017 को श्रवण साहू की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।

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मंजिल सैनी से हुई थी पूछताछ

सीबीआइ ने 11 अगस्त, 2017 को लखनऊ की तत्कालीन एसएसपी मंजिल सैनी से लंबी पूछताछ भी की थी। 2005 बैच की आइपीएस अधिकारी मंजिल सैनी पदोन्नति पाकर डीआइजी हो चुकी हैं और वह वर्तमान में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं। इन दिनों उनकी तैनाती राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) में है।

उन्होंने सीबीआई के अधिकारियों को बताया था कि पुलिस लाइन के तत्कालीन प्रतिसार निरीक्षक शिशुपाल सिंह को उन्होंने श्रवण साहू को सुरक्षा प्रदान कराने का मौखिक आदेश दिया था, लेकिन प्रतिसार निरीक्षक ने उसका पालन नहीं किया। सीबीआइ ने श्रवण साहू के बेटे आयुष की हत्या के बाद श्रवण साहू के खिलाफ फर्जी एफआइआर दर्ज किये जाने को लेकर भी उनसे सवाल-जवाब किये थे।

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