भारतीय सेना (Indian Army) द्वारा हाल ही में किए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद पाकिस्तान में गहरी बेचैनी देखी जा रही है। पाकिस्तान, बौखलाहट में बार-बार भारत पर हमले की नाकाम कोशिशें कर रहा है, लेकिन उसे हर बार मुंह की खानी पड़ रही है। इसके साथ ही वह अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मदद की गुहार लगाता फिर रहा है, लेकिन अब तक उसे कोई ठोस समर्थन नहीं मिला है।
अमेरिका बोला- युद्ध में नहीं होंगे शामिल
अमेरिका ने भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव पर अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है। अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस (JD Vance) ने फॉक्स न्यूज को दिए इंटरव्यू में कहा कि अमेरिका इस संघर्ष में हस्तक्षेप नहीं करेगा। वेंस ने साफ शब्दों में कहा, “यह अमेरिका का मामला नहीं है और हम इसे नियंत्रित नहीं कर सकते।” उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका दोनों पक्षों को तनाव कम करने के लिए प्रेरित जरूर कर सकता है, लेकिन हथियार छोड़ने की अपील करना या युद्ध में शामिल होना अमेरिका की नीति के खिलाफ है ये हमारा काम नहीं है। उपराष्ट्रपति वेंस ने यह भी कहा कि अमेरिका की यह आशंका है कि तनाव अगर ऐसे ही बढ़ता रहा, तो यह किसी व्यापक क्षेत्रीय संघर्ष या परमाणु युद्ध का रूप ले सकता है। हालांकि, फिलहाल उन्हें ऐसा कोई सीधा खतरा नजर नहीं आता।
डोनाल्ड ट्रंप बोले- शांति का रास्ता तलाशें
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने भी बयान दिया था कि अगर भारत और पाकिस्तान के बीच की मौजूदा स्थिति में वह किसी भी प्रकार से मदद कर सकते हैं, तो वह तैयार हैं। उन्होंने कहा कि “भारत और पाकिस्तान दोनों से मेरे अच्छे संबंध हैं और मैं चाहता हूं कि दोनों पक्ष मिलकर शांति का रास्ता तलाशें।”
UNSC मीटिंग में भी नहीं मिला पाकिस्तान को साथ
पाकिस्तान को उस समय एक और बड़ा झटका लगा जब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में उसकी अपील पर एक ‘क्लोज़ डोर’ बैठक बुलाई गई। लेकिन इस बैठक से भी उसे कोई राहत नहीं मिली।करीब डेढ़ घंटे चली इस बैठक के बाद न तो कोई आधिकारिक बयान जारी किया गया और न ही कोई प्रस्ताव पास हुआ। पाकिस्तान ने बैठक में भारत पर झूठे आरोप लगाए और सिंधु जल संधि को निलंबित करने को अंतरराष्ट्रीय कानूनों के खिलाफ बताया, लेकिन उसकी इन बातों को गंभीरता से नहीं लिया गया।