सुप्रीम कोर्ट ने पलट दिया इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला, UPTET के 1 लाख से ज्यादा शिक्षकों को मिली बड़ी राहत

सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को निरस्त करते हुए मंगलवार को उत्तर प्रदेश के करीब एक लाख से ज्यादा सहायक शिक्षकों (assistant teachers) को बड़ी राहत दे दी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा था कि जिन लोगों का टीईटी रिजल्ट पहले आया और बीएड या फिर बीटीसी का रिजल्ट बाद में आया, उनका टीईटी प्रमाण पत्र वैध नहीं माना जाएगा। हाईकोर्ट के इसी फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने पलट दिया है।


एक लाख से ज्यादा शिक्षकों की नौकरी जाने की थी आशंका

हाईकोर्ट के आदेश के बाद से करीब एक लाख से ज्यादा सहायक शिक्षकों (assistant teachers) की नौकरी जाने की आशंका थी, लेकिन मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इन शिक्षकों ने राहत की सांस ली। हाईकोर्ट के इस फैसले से सरकारी प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों में कार्यरत और 2012 से 2018 के बीच नियुक्त किए गए उन एक लाख से अधिक शिक्षकों को राहत मिली है, जो हाईकोर्ट के आदेश से प्रभावित हो रहे थे।


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जानकारी के मुताबिक, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 30 मई के अपने आदेश में बेसिक शिक्षा अधिकारियों से कहा था कि जिन शिक्षकों के प्रशिक्षण का परिणाम उनके टीईटी रिजल्ट के बाद आया है, उनका चयन निरस्त कर दें। हालांकि इस मामले में अबतक सरकार ने अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है। एक अनुमान के मुताबिक, ऐसे शिक्षकों की संख्या एक लाख से अधिक है, जिनका ट्रेनिंग का परिणाम टीईटी के बाद घोषित हुआ था।


इस आदेश का असर वर्तमान में चल रही 68,500 सहायक अध्यापक भर्ती पर भी पड़ने वाला था। इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले से प्रभावित शिक्षकों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। चयनित शिक्षकों का कहना था कि उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (यूपी-टीईटी) के लिए 4 अक्टूबर 2011 और 15 मई 2013 को जारी शासनादेश में इस बात का जिक्र नहीं था कि जिनके प्रशिक्षण का परिणाम टीईटी के बाद आएगा उन्हें टीईटी का प्रमाणपत्र नहीं मिलेगा।


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