प्रयागराज: भगवान राम के साथ निषादराज की विशाल मूर्ति लगवाएगी योगी सरकार

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) सरकार धार्मिक नगरी अयोध्या के बाद अब प्रयागराज (Prayagraj) में भगवान राम की विशाल मूर्ति (Ram Statue) लगवाएगी. इसी के साथ योगी सरकार ने रामायण सर्किट के अंतर्गत श्री राम वन गमनमार्ग को विकसित करने के लिए और इसकी धार्मिक दृष्टि इसके विकास का बड़ा निर्णय लिया है. सरकार ने श्रृंगवेरपुर (Shringverpur) में भगवान राम के साथ उनके परम मित्र निषादराज गुह (Nishadraj) की भी मूर्ति बनाने का फैसला लिया गया है. दोनों की भव्य मूर्तियों के साथ निषादराज पार्क बनाए जाने की भी योजना है. इन सभी योजनाओं के लिए सरकार ने 15 करोड़ के बजट की मंजूरी दी है.


श्रृंगवेरपुर में लगने वाली भगवान राम की यह मूर्ति अयोध्या के बाद यूपी में दूसरी सबसे बड़ी प्रतिमा होगी. ख़ास बात यह है कि यहां लगने वाली मूर्ति में भगवान राम के साथ ही निषादराज भी रहेंगे. भगवान राम और निषादराज की यह विशालकाय व भव्य मूर्ति आपस में गले मिलते हुए हो सकती है. दो साल पहले श्रृंगवेपुर में भगवान राम की निषादराज की मूर्ति लगाने का एलान करते वक्त डिप्टी सीएम केशव मौर्य ने बार -बार दोहराया था कि भगवान राम ने यहां निषादराज से दोस्ती निभाकर सामाजिक समरसता को जो संदेश दिया था, उस पर आज अमल किये जाने की ज़रुरत है.


क्या है रामायण सर्किट?

करीब दो साल पहले केंद्र की मोदी सरकार ने रामायण सर्किट योजना को शुरू करने का ऐलान किया था. इस प्रोजेक्ट के जरिए देश के उन सभी स्थानों को जोड़ने की योजना है, जहां-जहां भगवान राम गए थे. इस सर्किट में वे जगहें भी शामिल हैं, जो रामायण से जुड़ी पौराणिक कथाओं की वजह से प्रसिद्ध हैं. बता दें, स्वदेश दर्शन योजना के तहत 13 थीम आधारित पर्यटन सर्किट्स भी बनाए जाने हैं. रामायण सर्किट उनमें से एक है. इसमें 9 राज्यों के 15 स्थानों को शामिल किया गया है.


कौन हैं निषादराज ?

निषादों के राजा का उपनाम है. वे ऋंगवेरपुर के राजा थे, उनका नाम गुह था. निषाद समाज के थे और उन्होंने ही वनवासकाल में राम, सीता तथा लक्ष्मण को अपने सेवकों के द्वारा गंगा पार करवाया था. निषाद समाज आज भी इनकी पूजा करते है. वह श्रृंगवेरपुर के राजा थे. वनवास के बाद श्रीराम ने अपनी पहली रात अपने मित्र निषादराज के यहां बिताई थी. निषाद समाज आज भी इनकी पूजा करते है। निषाद समाज को ही कहार, भोई या मछुआरा कहा जाता है


निषादराज का महल श्रृंगवेरपुर में मौजूद है

श्रृंगवेरपुर लखनऊ रोड पर प्रयागराज से लगभग 45 किमी दूर स्थित है, वो जगह जो राम के धरती पर आने की वजह बनी. ये जगह है गंगा किनारे बसा श्रृंगवेरपुर धाम जो ऋषि-मुनियों की तपोभूमि माना जाता है. इसका उल्लेख वाल्मीकि रामायण में बहुत गहराई के साथ किया गया है.


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