गोरखपुर : नियमों को ताक पर रखकर गोरखपुर विश्वविद्यालय में हो रही है शिक्षकों की भर्ती

 

सीएम योगी के गृह जनपद गोरखपुर ( Gorakhpur ) के दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय(DDU) में चल रहा है घोटालों का खुला खेल, शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में हो रही है गलत तरीके से नियुक्ति, नियमों को ताक पर रखकर कराई जा रही है शिक्षकों की नियुक्ति, अपनी सरकार को पारदर्शिता वाली सरकार बताने वाले सीएम योगी के ही गृह जनपद में शिक्षकों की भर्तियों में हो रही है धांधली. यह मामला सीएम योगी के संसदीय क्षेत्र गोरखपुर का है, जहाँ गोरखपुर विश्वविद्यालय द्वारा धांधली का खुला खेल चल रहा है.

आरोप है कि शिक्षकों की चयन प्रक्रिया के दौरान आरक्षण नियमों का पालन नहीं किया गया और एक ख़ास जाति के आवेदकों को नियुक्ति में तरजीह दी गई.

 

इतना ही नहीं ऐसे भी मामले सामने आए हैं जहां पर आवेदक ने सामान्य (जनरल) यानी कि अनारक्षित वर्ग में इंटरव्यू दिया लेकिन उसकी नियुक्ति अनुसूचित जाति (एससी) में और एक अन्य की नियुक्ति अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी में किया गया.

 

 

इतना ही नहीं इन गड़बड़ियों के प्रमाण मिटाने की कोशिश का भी आरोप विश्वविद्यालय प्रबंधन पर लगा है.

शिक्षक भर्ती के इंटरव्यू के लिए बुलाए गए छात्र-छात्राओं की सूची है, जिससे यह पता चलता है कि शिक्षा विभाग में सहायक प्रोफेसर के लिए ममता चौधरी नाम की एक अभ्यर्थी का इंटरव्यू सामान्य वर्ग में हुआ था लेकिन उनकी नियुक्ति अनुसूचित जाति में की गई है.

ब्रेकिंग ट्यूब के पास ममता चौधरी के आवेदन फॉर्म की कॉपी है जिससे ये स्पष्ट होता है कि उन्होंने सामान्य वर्ग में नौकरी के लिए आवेदन किया था और 1,500 रुपये की आवेदन राशि जमा की थी. लेकिन आवेदन फॉर्म में जहां पर ‘जनरल’ लिखा है उसे काटकर बाद में पेन से ‘एससी’ लिख दिया गया है.

इसी तरह जहां पर 1,500 रुपये जमा राशि लिखी है उसे काटकर 1000 रुपये कर दिया गया है क्योंकि एससी वर्ग के लिए ऑवेदन शुल्क 1000 रुपये था. ममता चौधरी के आवेदन फॉर्म में जिन जगहों पर बदलाव किया गया है वहां पर न तो किसी भी संबंधित व्यक्ति का हस्ताक्षर है और न ही विश्वविद्यालय का स्टाम्प लगा हुआ है.

19 सितंबर 2017 को गोरखपुर विश्वविद्यालय में कुल 214 पदों के लिए विज्ञापन निकाला गया था. इसमें से प्रोफेसर के लिए 30 पद, एसोसिएट प्रोफेसर के लिए 44 पद और असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए 140 पदों के लिए आवेदन मंगाए गए थे.

इसी तरह विधि विभाग (लॉ डिपार्टमेंट) में सहायक प्रोफेसर की पद के लिए वंदना सिंह नाम की एक अभ्यर्थी का इंटरव्यू सामान्य वर्ग में हुआ था लेकिन उनका चयन अन्य पिछड़ा वर्ग में हुआ है. वंदना सिंह के भी आवेदन फॉर्म की कॉपी है जिसमें यह लिखा हुआ है कि उन्होंने सामान्य वर्ग में आवेदन किया था.