अपना दल(एस) की नेता और मोदी सरकार में मंत्री अनुप्रिया पटेल ने आरक्षण के फार्मूले को लेकर योगी सरकार पर जमकर हमला बोला है. अनुप्रिया पटेल ने कहा कि जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी के आधार पर आरक्षण मिलना चाहिए. यूपी सरकार एक का हिस्सा मारकर दूसरे को नहीं दे सकती.
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि जातीय जनगणना कराकर संख्या के आधार पर आरक्षण दे. यूपी सरकार जातीय जनगणना न कराकर पिछड़ों को आपस में लड़ाना चाहती है. अनुप्रिया पटेल ने कहा कि, “हम अपने कार्यकर्ताओं के सम्मान के साथ कोई समझौता नहीं करेंगे. हमारा केंद्र सरकार के साथ न कोई मतभेद है न मनभेद है. हम आगे भी केंद्र सरकार के साथ खड़े रहेंगे लेकिन हमारी समस्याओं का समाधान करना होगा.
अनुप्रिया पटेल ने कहा कि हम केंद्र और राज्य सरकार के सहयोगी हैं. हमने अपने सिद्धांतों के साथ कभी समझौता नहीं किया. हमारी राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग को संवैधानिक दर्जा देने जैसी कई मांगे स्वीकार की गईं. हमने जिले के डीएम-एसपी में से किसी एक पर दलित, पिछड़ा वर्ग का अधिकारी रखने की मांग की. तहसील और थानों पर भी दलित और पिछड़े वर्ग की तैनाती की मांग रखी. संविदा की नौकरियों में भी आरक्षण व्यवस्था लागू करने की मांग रखी.
बता दें कि यूपी में दलितों और पिछड़ों के आरक्षण में बंटवारे के लिए गठित सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट के आधार पर अब SC/ST और पिछड़ा वर्ग आरक्षण को बांटने की तैयारी चल रही है. समिति ने पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को 3 बराबर हिस्सों में बांटने की सिफारिश की है. इस फार्मूले पर अंतिम फैसला सीएम योगी को लेना है.
समिति ने इसके लिए तीन वर्ग.. पिछड़ा, अति पिछड़ा और सर्वाधिक पिछड़ा बनाने का प्रस्ताव किया है. पिछड़ा, अति पिछड़ा और सर्वाधिक पिछड़ा वर्ग को 9.9 फ़ीसदी आरक्षण देने की सिफारिश की गई है. इसके तहत 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण को तीन बराबर-बराबर हिस्सों में बांटा जाएगा. SC/ST में भी दलित, अति दलित और महादलित श्रेणी बनाकर इसे भी तीन हिस्से में बांटने की सिफारिश की है. फिलहाल समिति की सिफारिश मुख्यमंत्री के पास है, जिस पर मंथन चल रहा है.
जानकारी के मुताबिक समिति ने SC/ST के 22 फीसदी आरक्षण को भी 3 हिस्सों में बांटने की सिफारिश की है. दलित, अति दलित और महादलित तीन श्रेणियां प्रस्तावित की गई हैं. 22 फीसदी आरक्षण को इन 3 वर्गों में 7, 7 और 8 के फार्मूले पर बांटने का प्रस्ताव है. दलित वर्ग में 4, अति दलित में 37 और महादलित में 46 जातियों को रखने की बात चल रही है.
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