दिवंगत जनरल बिपिन रावत को उनकी पहली पुण्यतिथि पर आज पूरा देश मन, हृदय और आत्मा से नमन कर रहा है। आज ही के दिन तमिलनाडु के कुन्नूर में हुए हेलिकॉप्टर हादसे में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी मधुलिका रावत समेत 13 लोगों का निधन हो गया था। कश्मीर में अपनी तैनाती के समय उग्रवादियों के खिलाफ उनके कड़े स्टैंड के लिए भी देश में उन्हें हमेशा याद रखा जाएगा। आर्मी प्रमुख बनने से पहले उन्होंने कई सैन्य विभागों में सेवा की। जहां उनके कई साहसी फैसलों की छाप आज भी बरकरार है। देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) के पद को भी जनरल बिपिन रावत ने एक गरिमा प्रदान की और सीडीएस पद पर आने वाले सभी नए लोगों के लिए एक उदाहरण पेश किया।
जहां पिता की नियुक्ति हुई, उसी यूनिट में तैनात हुए थे बिपिन रावत
जानकारी के मुताबिक, सीडीएस बिपिन रावत ने देहरादून में कैंबरीन हॉल स्कूल, शिमला में सेंट एडवर्ड स्कूल और भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून से शिक्षा ली। यहां उन्हें ‘सोर्ड ऑफ ऑनर’ दिया गया। वे फोर्ट लीवनवर्थ, अमेरिका में डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज, वेलिंगटन और हायर कमांड कोर्स के ग्रेजुएट भी रहे। उन्होंने मद्रास यूनिवर्सिटी से डिफेंस स्टडीज में एमफिल, मैनेजमेंट में डिप्लोमा और कम्प्यूटर स्टडीज में भी डिप्लोमा किया। 2011 में, उन्हें सैन्य-मीडिया सामरिक अध्ययनों पर अनुसंधान के लिए चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी, मेरठ की ओर से डॉक्टरेट ऑफ फिलॉसफी से सम्मानित किया गया।
पूर्व सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत (61) को 2019 में देश का पहला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) नियुक्त किया गया था। वे 65 साल की उम्र तक इस पद पर रहने वाले थे। इस पद को बनाने का मकसद यह है कि आर्मी, नेवी और एयरफोर्स में सही तरीके से और इफेक्टिव कोऑर्डिनेशन किया जा सके। रावत दिसंबर 1978 में कमीशन ऑफिसर (11 गोरखा राइफल्स) बने थे। वह 31 दिसंबर 2016 को थलसेना प्रमुख बने। उन्हें पूर्वी सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा, कश्मीर घाटी और पूर्वोत्तर में कामकाज का अनुभव रहा। खास बात यह है कि रावत उसी यूनिट (11 गोरखा राइफल्स) में पोस्ट हुए थे, जिसमें उनके पिता भी रह चुके थे।
संभाली इन पदों की जिम्मेदारी
- ब्रिगेड कमांडर
- जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ (GOC-C) सदर्न कमांड
- जनरल स्टाफ ऑफिसर ग्रेड 2,
- मिलिट्री ऑपरेशन्स डायरेक्टोरेट
- कर्नल मिलिट्री सेक्रेटरी एंड डिप्टी मिलिट्री सेक्रेटरी
- सीनियर इंस्ट्रक्टर इन जूनियर कमांड विंग
- कमांडर यूनाइटेड नेशन्स पीसकीपिंग फोर्स मल्टीनेशनल ब्रिगेड
- वाइस चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ
- आर्मी चीफ
- चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ
मिले ये सम्मान
- परम विशिष्ट सेवा मेडल
- उत्तम युद्ध सेवा मेडल
- अति विशिष्ट सेवा मेडल
- युद्ध सेवा मेडल
- सेना मेडल
म्यांमार में घुसे और उग्रवादियों को सिखाया था सबक
ये जनरल रावत की ही ताकत थी कि वे दुश्मन को उसके घर में घुसकर मारते थे। इसका एक उदाहरण म्यांमार है। जहां घुसकर रावत ने उग्रवादियों को सबक सिखाया। बात वर्ष 2015 की। 8 और 9 जून की दरम्यानी रात में भारत के 21 पैरा कमांडो म्यांमार में घुसते हैं। तीन टीमों में बंटे जवान म्यांमार के पोन्यु इलाके के पास उंजिया में उग्रवादी गुट द नेशनल सोशलिस्ट ऑफ नगालैंड-खापलांग (NSCN-K) के उग्रवादियों को घेरकर खदेड़ते हैं। इस दौरान उग्रवादियों के सभी कैंप तबाह कर दिए जाते हैं। सभी जवान बिना किसी नुकसान के लौट आते हैं। दरअसल इन उग्रवादियों ने 4 जून 2015 को मणिपुर के चंदेल में सेना की डोगरा रेजिमेंट पर हमला किया था।
सर्जिकल स्ट्राइक को दिया अंजाम
18 सितंबर 2016 को आतंकियों ने उड़ी में आर्मी के 12वें ब्रिगेड हेडक्वॉर्टर में कायराना हमला किया था। इस हमले में भारत ने अपने 18 जवानों को खो दिया था। इसके जवाब में 28 और 29 सितंबर की रात को भारत के 25 कमांडो पीओके में घुसे और आतंकी कैंप तबाह कर दिए। 38 आतंकियों को खत्म कर देते हैं। यही नहीं जनरल बिपिन रावत की भूमिका पुलवामा हमले के बाद बालाकोट में हुई एयर स्ट्राइक में भी बताई जाती है। वह इस एयर स्ट्राइक की प्लानिंग और इमरजेंसी मीटिंग्स का हिस्सा थे।