BSP ने विधायक विनय शंकर तिवारी और पूर्व सांसद कुशल तिवारी को पार्टी से किया निष्कासित, अब ज्वाइन करेंगे सपा!

उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव 2022 के मद्देनजर सियासी उठापटक का दौर जारी है। समाजवादी पार्टी में जाने की अटकलों के बीच बहुजन समाज पार्टी के विधायक विनय शंकर तिवारी (MLA Vinay Shankar Tiwari) को पार्टी से निष्काषित कर दिया गया है। यही नहीं, उनके बड़े भाई और संतकबीर नगर से पूर्व सांसद कुशल तिवारी (former MP Kushal Tiwari) व पूर्व विधान परिषद अध्यक्ष गणेश शंकर पांडेय (Ganesh Shankar Pandey) को भी बसपा ने बाहर का रास्ता दिखा दिया है।

सूत्रों का कहना है कि बसपा ने विधायक विनय शंकर तिवारी और उनके परिवार के लोगों पर निष्कासन की जो कार्रवाई की है, वह अपेक्षित ही है। माना जा रहा है कि पिछले कुछ दिनों से हाता परिवार की गतिविधियां बसपा विरोधी हो गई थीं। बताया जा रहा है कि विनय शंकर, भीष्म शंकर और गणेश शंकर पांडेय 12 दिसंबर को अखिलेश यादव की मौजूदगी में सपा की सदस्यता ले सकते हैं।

Also Read: चंदौली की घटना पर CM योगी का समाजवादी पार्टी पर तगड़ा हमला, कहा-‘जिस गाड़ी में सपा का झंडा, समझो होगा कोई जानामाना गुंडा’

दरअसल, पिछले कई दिनों से हाता परिवार के सपा में जाने की अटकलें लगाई जा रही हैं। 2 दिन पहले ही विधायक विनय शंकर तिवारी, पूर्व सांसद भीष्म शंकर तिवारी और पूर्व सभापति गणेश शंकर पांडेय की मुलाकात सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से हुई। बताया जा रहा है कि इन नेताओं के अलावा भाजपा के वर्तमान विधायक भी मिले हैं। इन्हें भी अखिलेश यादव ने टिकट देने का आश्वासन दिया है।

बता दें कि प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री पंडित हरिशंकर तिवारी के परिवार ने करीब 13 साल पहले बसपा ज्वाइन की थी। बलिया से पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के बेटे नीरज शेखर के खिलाफ पंडित हरिशंकर तिवारी के बेटे विनय शंकर ने 2008 में बसपा से ताल ठोकी थी। हालांकि चुनाव में विनय को हार का सामना करना पड़ा था।

Also Read: काशी विश्वनाथ मंदिर में होगी UP की कैबिनेट बैठक, ऐसा करने वाले पहले मुख्यमंत्री बनेंगे योगी

गोरखपुर जिले के टाड़ा गांव निवासी पूर्व मंत्री पंडित हरिशंकर तिवारी के बेटे भीष्म शंकर उर्फ कुशल तिवारी ने बसपा के टिकट पर साल 2007 के उप चुनाव में संतकबीरनगर लोकसभा सीट से जीत का परचम लहराया था। 2009 के आम चुनाव में भी उन्हें बसपा के टिकट पर यहां से जीत मिली थी, लेकिन 2014 के चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इस बार चुनाव से पहले बसपा ने उन्हें लोकसभा क्षेत्र का प्रभारी बनाया था। सपा-बसपा गठबंधन में यह सीट बसपा के खाते में जाने के बाद से कुशल तिवारी को टिकट का प्रबल दावेदार भी माना जा रहा था।

( देश और दुनिया की खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें, आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं. )